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जनाब हमारी क्या बराबरी करोगे तुम,
हमने तो मजाक करना भी जिंदगी से सीखा है।
जी भर के गुस्सा निकाल लो तुम मुझ पर,
क्या पता मेरे जैसा बेजुबान कभी कहीं और ना मिले।
मुझे पसंद हो तुम ऐसे,
किसी टपरी की चाय हो जैसे।
रोकने की कोशिश तो बहुत की पलकों ने, मगर,
इश्क में पागल थे आँसू, ख़ुदकुशी करते चले गए।
अब जब कुछ बचा ही नहीं खोने को
जो हो रहा है होने दो।
तुझे भूल कर करें भी तो क्या करें,
इकलौता शौक है तू मेरी ज़िंदगी का।
Gulzar poetry
जिंदगी के फासले कुछ इस तरह बढ़ गए,
कुछ अपने मुझे छोड़ गए और चंद रिश्ते मैंने तोड़ दिये।
दिल हर किसी के लिए नहीं धड़कता,
धड़कनों के भी अपने कुछ उसूल होते हैं।
जो दुख में साथ दे वो अपने होते हैं,
वरना जनाब सलाह तो राह चलते भी दे देते हैं।
मैं टपरी की चाय सा सीधा लड़का,
तुम CCD की कॉफी ☕ सी तेज प्रिय।
खुदा तूने लाखों की तकदीर सवारी है,
मुझे दिलासा तो दे कि अब मेरी बारी है।
खामोश रह कर,
मैंने आजमा लिया सबको।
Gulzar poetry on life
एक तमन्ना थी कि जिन्दगी रंगीन हो,
और दस्तूर देखिये जितने भी मिले रंगीन ही मिले।
करने लगे हिसाब ये ज़िन्दगी तो रो बैठे,
गिनते रहे सालों को और लम्हों को खो बैठे।
पाने की ख्वाहिश भी रखता है,
और खोने से भी डरता है,
ये दिल सिर्फ तुम्हें चाहता है।
तेरी नाराजगी जायज है,
मैं भी खुद से खुश नहीं आजकल।
मरना है तो खुदकुशीहराम है साहब,
मेरी मानो तो इश्क़ करलो।
हसरत थी दिल में की एक खूबसूरत महबूब मिले,
मिले तो महबूब मगर क्या खूब मिले।
Gulzar poetry in hindi
कभी तुमने चाँद से पानी गिरते देखा है,
मैंने देखा है जब वो मुँह धोती है तब।
जरूरी तो नहीं हमारे बीच कोई रिश्ता हो,
वो मेरी दोस्त है और मैं उसे अच्छा लगता हूँ।
हम एक दूसरे को उसी में देख लिया करते हैं,
उनके शहर का चांद हमारे शहर में भी निकलता है।
अहसास मिटा,तलाश मिटी, मिट गई उम्मीदें भी,
सब मिट गया पर जो न मिट सका वो है यादें तेरी।
वो अनजान, चला है जन्नत को पाऩे की खातिर,
बेखबर को इत्तला कर दो की माँ-बाप घर पर ही है।
ख्वाब तो हर रोज हर कोई देखता है,
मगर पूरे उसी के होते हैं जो तकदीर लेकर आता है।
Gulzar poetry hindi
कहानी शुरू हुई है तो खतम भी होगी,
किरदार गर काबिल हुए तो याद रखे जाएंगे।
एक शख्स के लिए मैंने अपना सब कुछ वार दिया,
वो साथ हो कर भी मेरे साथ नहीं था ये उसने कैसा प्यार दिया।
तुमसे अच्छा कोई नहीं लगा,
ना तुमसे बुरा कोई मिला मुझे।
बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है।
मीलों दूर है तू मुझसे,
फिर भी मेरे सबसे करीब है तू।
रिश्ता चाँद से रखा तो तारे सारे रूठ गए,
मोहब्बत क्या की हमने यार सारे छूट गए।
Gulzar's poetry
मैंने रंग दिया हर पन्ना तेरे यादों से,
मेरी किताबों से पूछ इश्क किसे कहते हैं।
सोचने से कहाँ मिलते हैं तमन्नाओं के शहर,
चलना भी जरुरी है मंजिल को पाने के लिए।
रूह को समझना भी जरूरी होता है,
महज हाथ थामने भर से कोई अपना नहीं होता।
माना कि जिंदगी की राहें आसान नहीं है,
फिर भी मुस्कुरा कर चलने में नुकसान नहीं है।
दिल तो बहुत पहले संभल चूका है,
मगर यादें आज भी आँखें नम कर जाती है।
लबों पर ठहरे अल्फाज़ अपने एहसास न बता सके,
महोब्बत थी बेसुमार मग़र फिर भी उसे न जता सके।
Gulzar poetry
बुरे वक्त में कंधे पर रखा गया हाथ,
कामयाबी पर तालियों से ज्यादा मूल्यवान होता है।
उड़ाओ पंछियों को तुम्हारे,
होंगे तो लौट कर आयेंगे।
शाम को थक कर टूटे झोपड़े में सो जाता है,
वो मजदूर, जो शहर में ऊंची इमारतें बनाता है।
छीन लेता है हर चीज़ मुझसे ऐ खुदा,
क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब है।
कुछ इस तरह पढे गए हम, जैसे पुराना अखबार थे,
कुछ इस तरह छूट गए हम, जैसे गणित का सवाल थे।
Gulzar poetry on life
खूबसूरत सा सिलसिला था वो दोस्ती का जनाब,
जो कुछ दूर चला और इश्क़ में बदल गया।
था यक़ीन मुझे, कि तुम याद बहुत आओगी,
लेकिन ये नहीं मालूम था, कि इतना सताओगी।
किन लफ़्ज़ों में बंया करूँ दर्द-ए-दिल को मैं,
सुनने वाले तो बहुत हैं,
समझने वाला कोई नही।
झूठ अगर ये है कि तुम सिर्फ मेरी हो,
तो यकीन मानो मैं जिंदगीभर सच नहीं सुनना चाहूँगा।
मोहताज हूँ तेरे इश्क़ का,
क्या करू तजुर्बा नही है किसी और का।
टूटे हुए दिल को जोड़ कर फिर तोड़ा तुमने,
पहले भी कहीं के ना थे फिर कहीं का ना छोड़ा तुमने।
Gulzar poetry in hindi
मुझे उस जगह जाना है,
जहाँ से कोई वापस नहीं आता।
माना उदासियों में हूँ इन दिनों,
फिर भी तुम्हें सोचकर मुस्कुरा देता हूँ।
दोस्ती करने वालों की कमी नहीं है दुनिया में,
अकाल तो निभाने वालों का पडा है साहब।
वो फूल दे कर मोहबत का इजहार करते रहे,
वंहा चुपके से जान दे कर कर्जदार बना गया कोई।
आशिक तो मै भी हूँ इसमिट्टी की फिजाओ का,
भूलू तो भूलू कैसे पुलवामा शहीदों की तारीख।
हमें सीने से लगाकर हमारी सारी कसक दूर कर दो,
हम सिर्फ तुम्हारे हो जाऐ हमें इतना मजबूर कर दो।
Gulzar poetry hindi
मोहब्बत लिबास नही जो बदला जाए,
मोह्ब्बत कफन की तरह है जो एक बार पहन कर उतारा नही जाता।
टूटे हुए दिल भी धड़कते है उम्र भर,
चाहे किसी की याद में या फिर किसी फ़रियाद में।
कौन मेरी चाहतों का फसाना समझेगा इस दौर में,
यहाँ तो लोग अपनी जरुरत को मोहब्बत कहते हैं।
रस्सी जैसी जिंदगी हैं,तने तने से हालात है,
एक सिरे पर ख्वाहिश, दूजे पर औकात है।
तेरी गली का आखिरी चक्कर याद है मुझे,
तेरे इश्क़ में हद से गुजर जाना याद है मुझे।
काश कोई तो ऐसा हो,
जो अंदर से बाहर जैसा हो।
Gulzar's poetry
एक हवेली का चौकीदार बुखार से मर गया,
सुना है उस हवेली में एक डॉक्टर रहता था।
तू कभी इस शहर से हो कर गुज़र,
रास्तों के जाल में उलझा हूँ मैं।
न साथी है न मंज़िल का पता है,
मोहब्बत रास्ता ही रास्ता है।
जुदाई अपना काम कर गयी,
देख तुझे पाने की चाहत ही मर गयी।
हो सके तो दूर रहो मुझसे,
टूटा हुआ हूँ चुभ जाऊँगा।
मैं दीवारों को बातो में लगाए रखूंगा,
तुम चुपके से निकल जाना तस्वीर से अपनी।
Gulzar poetry
हमारे बाद तुम्हें अपना बनाने कौन आएगा,
रुलाने तो सब आएंगे हंसाने कौन आएगा।
गुजरा हूँ हादसों से लेकिन वही हूँ मैं,
तुम ने तो एक बात पे रस्ते बदल लिए।
लफ्ज़ करेंगे इशारा जाने का,
तुम आँखें पढ़ना और रुक जाना।
तेरे दिल में ठिकाना मिले जो उम्रभर,
फिर किसी आशियाने की परवाह नहीं मुझे।
हुस्न के क़सीदे तो गढ़ती रहेंगी महफ़िले,
झुर्रियां भी प्यारी लगने लगे तो मान लेना इश्क़ हैं।
यूँ तो मिल ही जाएगी मोहब्बत मेरे बाद भी तुम्हें,
पर चाँद और चिराग़ में कुछ तो फ़र्क़ होता है।
Gulzar poetry on life
मोहब्बत तो खामोशी से हो जाती है जनाब,
यह तो ख्वाहिशें है जो शोर मचा देती हैं।
किस्मत वालो को ही मिलती है पनाह दोस्तो की,
दिल मे यू ही हर शख्स जन्नत का हकदार नहीं होता।
पल पल रंग बदलती हैं ये दुनिया,
और लोग पूछते है कि होली कब हैं।
रूह का रूह से ऐसा वास्ता हो जाता है,
आंखे कह देती हैं और दिल समझ जाता है।
जहर से अधिक खतरनाक हैं यह प्यार ,
जो भी चख ले मर मर के जीता हें।
मोहब्बत की आजमाइश दे दे कर थक गया है मेरा वजूद,
किस्मत मेँ कोई ऐसा लिख दे.जो मौत तक वफा करे।
Gulzar poetry in hindi
काश तू मेरे आँखों का आंसू बन जाये,
मैं रोना ही छोड़ दूँ तुझे खोने के डर से।
बरसों बाद भी तेरी जिद की आदत नहीं बदली,
काश हम मोहब्बत नहीं... तेरी आदत होते।
कभी ज़रूरत पड़े तो आवाज़ दे देना,
में गुज़रा वक़्त नहीं जो वापिस न आऊ।
हर किसी के नसीब में कहाँ लिखी हैं चाहतें,
कुछ लोग दुनिया में आते ही तन्हाईयों के लिए है।
मैंने अपनी मौत की अफवाह उड़ाई थी,
दुश्मन भी कह उठे आदमी अच्छा था।
अरसे बीत गए तेरे इश्क़ में लिखते लिखते,
दो लफ्ज़ तू मेरे सब्र पर ही लिख दे।
Gulzar poetry hindi
बड़ी कश्मोकश है इन दिनों ज़िन्दगी में,
किसी को ढूंढते फिर रहे हैं हर किसी में।
जरूरी नहीं इश्क़ में बांहो के सहारे ही मिले,
किसी को जी भर के महसूस करना भी इश्क़ है।
वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते हैं तन्हा,
मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ।
जख्मी हो गई नीद मेरी ख्वाबो पर किसने वार किया,
जिस्म तो सलामत बच गया रूह को किसी ने मार दिया।
लेकर के मेरा नाम वो मुझे कोसता है,
नफरत ही सही पर वो मुझे सोचता तो है।
अच्छा नहीं लगता ये अलार्म को सुनकर उठना,
काश कोई जुल्फो से पानी झटक कर हमे भी जगाता।
Gulzar's poetry
मेरे दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो,
इंतज़ार उसका है जिसे मेरा एहसास तक नहीं।
कोई और इल्जाम है तो वो भी देते जाओ,
हम तो पहले से ही बुरे थे थोड़े और सही।
किताब के सादे पन्ने सी शख्सियत मेरी,
नजरंदाज कर देते हैं अक्सर पढ़ने वाले।
ना जाने इस ज़िद का नतीजा क्या होगा,
समझता दिल भी नहीं मैं भी नहीं और तुम भी नहीं।
फिक्र है सबको खुद को सही साबित करने की,
जैसे ये ज़िंदगी, ज़िंदगी नहीं, कोई इल्जाम है।
उम्र कम थी और इश्क़ बेहिसाब हो गया...
उम्र बढ़ती गई और ये रोग लाईलाज हो गया।
Gulzar poetry
तुमने भी हमें बस एक दिए की तरह समझा है,
रात गहरी हुयी तो जला दिया सुबह हुयी तो बुझा दिया।
मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मों पर लगा,
देना हकीम बहुत हैं बाजार में अमीरों के इलाज खातिर।
सब आदतें छोड़ सकता हूँ,
तुम्हारे लिए, तुम्हारे सिवा।
शिकवा तो बहुत है मगर शिकायत नहीं कर सकते,
मेरे होठों को इज़ाज़त नहीं तेरे खिलाफ बोलने की
कुछ खबर नही कि कब मुझे मौत आ जाए,
तुम भी एक जख्म दे दो.. कहीं तुम रह ना जाओ
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