This post contains Rahat Indori shayri in hindi font.This post also includes Rahat Indori shayri images.You will love to share this Rahat Indori shayri with your friends on social media.
अपने हाकिम की फकीरी पे तरस आता है,
जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे।
मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ ,
यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे।
जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे,
मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे।
तेरे बदन की लिखावट में है उतार-चढ़ाव,
मैं तुझको कैसे पढ़ूगा मुझे किताब तो दे।
Rahat Indori shayri
तेरा सवाल है साकी, के जिंदगी क्या है,
जवाब देता हूं पहले मुझे शराब तो दे।
आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो,
जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो,
राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें,
रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो।
उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है,
बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूं।
Rahat Indori shayri in hindi
नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से,
ख़्वाब आ,आ के मेरी, छत पे टहलते क्यूं हैं।
मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना,
मैं तेरी माँग में सिन्दूर भरने वाला था।
अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए
कितने शरीफ़ लोग थे,सब खुल के आ गए।
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
Rahat Indori shayri image
कभी दिमाग़,कभी दिल, कभी नज़र में रहो,
ये सब तुम्हारे ही घर हैं, किसी भी घर में रहो।
लूट मची है चारों ओर सारे चोर,
एक जंगल और लाखों मोर सारे चोर।
एक थैली में अफ़सर भी, चपरासी भी,
क्या ताकतवर क्या कमज़ोर सारे चोर।
उजले कुर्ते पहन रखे हैं सांपों ने,
ये ज़हरीले आदमख़ोर सारे चोर।
झूठ नगर में रोज़ निकालो मौन जुलूस,
कौन सुनेगा सच का शोर सारे चोर।
क्या खरीदोगे ये बाजार बहुत महंगा है,
प्यार की ज़िद ना करो प्यार बहुत महंगा है।
Rahat Indori shayri
मैंने अपनी खुश्क आंखों से लहू छलका दिया,
एक समंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए।
अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है,
यह सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है।
लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में,
यहां पर सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है।
हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है,
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़बान थोड़ी है।
मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन,
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है।
Rahat Indori shayri in hindi
जो आज साहिब-ए-मसनद है कल नहीं होंगे,
किराएदार हैं ज़ाति मकान थोड़ी है।
मुझसे पहले वो किसी और की थी,
मगर कुछ शायराना चाहिए था,
चलो माना यह छोटी बात है,
मगर तुम्हें सब कुछ बताना चाहिए था।
दो गज सही ये मेरी मिल्कियत तो है,
ऐ मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया।
मैं वो दरिया हूं कि हर बूंद भंवर है जिसकी,
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।
बे नाम सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता,
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता।
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में,
जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नहीं जाता।
अब ना मैं हूं,ना बाक़ी है,ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर है शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िंदगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
Rahat Indori shayri
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी।
मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोग,
गीली ज़मीन खोद के फ़रहाद हो गए।
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते।
ये ज़रूरी है कि,आँखों का भरम क़ाएम रहे,
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो।
ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले,के काग़ज़ का बदन,
दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो।
Shayari-Kisi k baap ka hindustan thodi hai
अगर खिलाफ हैं, होने दो, जान थोड़ी है
ये सब धुँआ है, कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
मैं जानता हूँ कि दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है
हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुंह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
जो आज साहिब-इ-मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं जाती मकान थोड़ी है
सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है.
Shayari- Aasman laye ho
मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो
आसमां लाये हो ले आये ज़मीं पर रख दो
अब कहां ढूंढने जाओगे हमारे कातिल
आप तो कत्ल का इल्जाम हमीं पर रख दो
उसने जिस ताक पे कुछ टूटे दीये रक्खे हैं
चाँद तारों को भी ले जाकर वहीं पर रक्ख दो
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