This post contains Rahat Indori shayari in hindi font.This post also includes Rahat Indori shayari images for your facebook and whatsaap status.You will love to share this Rahat Indori shayari with your friends on social sites.
जो तौर है दुनिया का,
उसी तौर से बोलो,
बहरों का इलाक़ा है,
ज़रा ज़ोर से बोलो।
नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती है,
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है,
जो ज़ुर्म करते हैं इतने बुरे नहीं होते,
सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती है।
मिलाना चाहा है इंसा को जो भी इंसा से,
तो सारे काम सियासत बिगाड़ देती है,
हमारे पीर तकीमीर ने कहा था कभी,
मियां ये आशिक़ी इज्ज़त बिगाड़ देती है।
Rahat Indori shayari in hindi
मुंतज़िर हूं कि सितारों की ज़रा आंख लगे,
चांद को छत पर बुला लूंगा इशारा करके,
मैं वो दरिया हूं कि हर बूंद भंवर है जिसकी,
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।
ये सहारा जो नहीं हो तो परेशां हो जायें,
मुश्किलें जान ही ले लें अगर आसां हो जायें,
ये जो कुछ लोग फरिश्तों से बने फिरते हैं,
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाएं तो इंसान हो जाएं।
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया,
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है।
Rahat Indori shayari
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है।
मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को,
समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे।
ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर,
जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे।
शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए,
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए।
Rahat Indori hindi shayari
इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है,
नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं।
लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार तुम्हारा है,
तुम झूठ को सच लिख दो, अख़बार तुम्हारा है,
इस दौर में फरियादी, जाएं तो जाएं कहां,
सरकार भी तुम्हारी है, दरबार तुम्हारा है।
अब ना मैं हूं न बाकी है ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर है शहरों में फ़साने मेरे,
जिंदगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अभी भी बाकी कई दोस्त पुराने मेरे।
Rahat Indori shayari in hindi
फिर उस गली की तरफ ख़ुद-ब-ख़ुद उठे हैं कदम,
जहां से रोज नए ज़ख्म खा के आते हैं,
पराई आग को बुझाने जा रहे हैं लोग,
अभी सब अपनी हथेली जला के आते हैं।
झूठों ने झूठों से कहा है सच बोलो,
सरकारी ऐलान हुआ है सच बोलो,
घर के अंदर झूठों की एक मंडी है,
दरवाजे पर लिखा हुआ है सच बोलो।
सबब वो पूछ रहे हैं उदास होने का,
मिरा मिज़ाज नहीं बे-लिबास होने का,
नया बहाना है हर पल उदास होने का,
ये फ़ाएदा है तिरे घर के पास होने का।
Rahat Indori shayari
महकती रात के लम्हो नज़र रखो मुझ पर,
बहाना ढूँड रहा हूँ उदास होने का,
मैं तेरे पास बता किस ग़रज़ से आया हूँ,
सुबूत दे मुझे चेहरा-शनास होने का।
मिरी ग़ज़ल से बना ज़ेहन में कोई तस्वीर,
सबब न पूछ मिरे देवदास होने का,
कहाँ हो आओ मिरी भूली-बिसरी यादो आओ,
ख़ुश-आमदीद है मौसम उदास होने का।
बन के इक हादसा बाज़ार में आ जाएगा,
जो नहीं होगा वो अख़बार में आ जाएगा।
बादशाहो से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए,
हमने ख़ैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से।
ये कैंचियां हमें उड़ने से ख़ाक रोकेंगीं,
कि हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं।
चोरों-उचक्कों की करो कद्र, के मालूम नहीं,
कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जाएगा।
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