Facebook Love Shayari With Image: Hi friends, aaj phir se hajir hai ek naye post ke sath jiska title hai Facebook Love Shayari With Image. Aajkal hm pure din phone me ghuse rehte hai aur social media pe har waqt active rehte hai. Kaun kya kr raha hai kya status daal raha hai hum dekhte hai. To aaj ki post ki shayari aap bhi apne status pe post kar sakte hai taki jab koi dekhe to usko bhi acha feel ho.
Hum umeed karte hai ki ye post apko achi lagegi aur ise aap apne dosto ke sath share karenge.
तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो,
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है।
यूँ तो ना थी जनम से पीने की आदत,
शराब को तनहा देखा तो तरस खा के पी गए।
पत्थर नदी में मार कर खुश हो रहे थे आप,
पानी का जख्म देखिये पानी ने भर दिया।
बार बार ढूंढते हैं नोटिफिकेशन तेरे नाम की,
जब तू ही न देखे तो मेरी शायरी किस काम की।
वो रूठा रहे मुझ से, ये मंज़ूर है लेकिन,
यारों उसे समझाओ, मेरा शहर न छोड़े।
मैंने उससे प्यार किया है मिल्कियत का दावा नहीं,
वो जिसके भी साथ है मैं उसको भी अपना मानता हूं।
जमीन पर शोर मचा था, हमारी हुकूमत हमारी मर्जी,
फिर खुदा ने सब को बताया मेरी दुनिया मेरी मर्जी।
तूने देखी कहाँ मेरी चाहतों की दुनियां,
समंदर इश्क़ का तेरे लिए अभी सूखा नहीं है।
जहां से शुरू किया था सफ़र फिर वहीं खड़े हो गए हैं,
अजनबी थे लो फिर अज़नबी हो गए हैं।
तसल्ली के भी नख़रे बहुत हैं,
लाख कोशिशें कर लो मिलती ही नही है।
Facebook Love Shayari With Image
वो बेवफ़ा है तो क्या मत कहो बुरा उसको,
कि जो हुआ सो हुआ खुश रखे ख़ुदा उसको।
आँख खुलते ही याद आ जाता है तेरा चेहरा,
दिन की ये पहली खुशी भी कमाल होती है।
बात मुक्कदर पे आ के रुकी है वर्ना,
कोई कसर तो न छोड़ी थी तुझे चाहने में।
मुझे पसन्द नहीँ वो हवा के झोंके,
जो सर्द रातों में तेरा जिस्म सहलाते हैँ।
बहुत रुक रुक के खाता है- वफ़ा- की- वो- अब- कसमें,
उसे भी आख़रि अल्लाह को इक दिन मुँह दिखाना है।
नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नही,
इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही।
हम उस तकदीर के सबसे पसंदीदा खिलौना हैं,
वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए।
उसने हर नशा सामने लाकर रख दिया और कहा,
सबसे बुरी लत कौन सी हैं, मैने कहा तेरे प्यार का।
देख कर आइना तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई।
उसे पाना उसे खोना उसी के हिज्र में रोना,
यही गर इश्क है तो हम तन्हा ही अच्छे हैं।
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो,
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए।
आँख भर कर मैं देखता था जिसे,
आज देखा तो आँख भर आई।
मेरे लिए न रुक सके तो क्या हुआ,
जहाँ कहीं ठहर गए हो ख़ुश रहो।
पता नहीं क्या रिश्ता था टहनी से उस पंछी का,
उसके उड़ जाने पर वो कितनी देर कांपती रही।
माॅं के लिए क्या लिखूं मैं,
माॅं ने तो खुद मुझे लिखा है।
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अब यकीन का हाल ये बन चुका है के,
डर घावों से नहीं लगावों से लगने लगा है।
तेरा मेरा रिश्ता भी कागज और कलम सा है,
जब भी मिलते हैं गैरों की बातें करते है।
मैं इतनी छोटी कहानी भी न था,
तुम्हें ही जल्दी थी किताब बदलने की।
मौसम की तरह तुम बदल गए,
फसल की तरह मैं बरबाद हो गया।
में कर रहा था इश्क़ में बर्बाद हुए आशिकों का जिक्र,
नए नए आशिक़ मुझे पागल बता रहे थे।
अपनी चुप में न जाने क्या क्या खो दोगे,
जैसे तुम हो, मैं हो जाऊं तो रो दोगे।
वो लफ्ज कहां से लाऊं जो तेरे दिल को मोम कर दें,
मेरा वजूद पिघल रहा है तेरी बेरूखी से।
लौट आती है हर बार इबादत मेरी ख़ाली,
ना जाने किस ऊंचाई पर मेरा खुदा रहता है।
दाद देते है तेरी मोहब्बत की,
तुझे इश्क़ हुआ हर किसी से सिवाय मेरे।
इश्क करना है किसी से तो बेहद कीजिए,
हदें तो सरहदों की होती है दिलों की नहीं।
आओ नफरत का किस्सा दो लाइनों में तमाम करें,
मुहब्बत जहाँ भी मिले उसे झुक के सलाम करें।
मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना,
यार, अच्छा नही इतना बड़ा हो जाना।
सुकून मिलता है दो लफ्ज़ कागज़ पर उतार कर,
चीख भी लेता हूँ आवाज़ भी नहीं होती।
वाकई पत्थर दिल ही होते हैं दिलजले शायर,
वर्ना अपनी आह पर वाह सुनना कोई मज़ाक नहीं।
सुना था वफ़ा मिला करती है मोहब्बत में,
हमारी बारी आई तो रिवाज़ ही बदल गए।
पानी में अक्स देख के इतरा रहा था मै,
पत्थर किसी ने फेक के मंजर ही बदल दिया।
सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम,
जीने के बावजूद भी, मर जाते हैं कुछ लोग।
हमने पूँछा कैसे निकलती है जान एक पल में,
उसने चलते चलते मेरा हाँथ छोड़ दिया।
इतनी नफरत थी उसे मेरी मोहब्बत से ,
उसने हाथ जला डाले मुझे तक़दीर से मिटाने के लिए।
मुमकिन न होगा यूँ भूल जाना मुझको,
तेरा गुनाह हूँ, याद अक़्सर आऊंगा।
कोई और तरीक़ा बताओ जीने का,
साँसे ले ले कर थक गया हूँ।
दो शब्द तसल्ली के नहीं मिलते इस शहर में,
लोग दिल में भी दिमाग लिए घूमते हैं।
ख्वाहिशों का मोहल्ला बहुत बड़ा होता है,
बेहतर है हम जरूरतों की गली में मुड़ जाएं।
मर जाने की ख्वाइश को मैं कुछ इस कदर मारा करता हूँ,
दिल के जहर को मैं कागज पर उतरा करता हूँ।
हजार जवाबों से अच्छी है खामोशी मेरी,
ना जाने कितने सवालों की आबरू रखती है।
कच्चे-रिश्ते, और अधूरा-अपनापन,
मेरे हिस्से में आयी हैं ऐसी ही सौग़ातें।
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