Husn Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल हुस्न शायरी है। इस साइट पे आपको नए नए तरह की शायरी मिलेंगी। हम हमेशा कोशिश करते है कि आपको आपके मन पसंद की शायरी मिलती रहे। अगर इस पोस्ट की शायरी पढ़ के आपको अच्छा लगता है तो हम समझेंगे की हमारी कोशिश सफल रही।
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वो ढूंढ रहा है सच्ची मोहब्बत मेरी ख़ाक में,
देखो ना हुस्न आया है आज किस फ़िराक़ में।
कितना मुश्किल है जहाँ मे अच्छा दिलजानी होना,
हुस्न के दौर में ईश्क का रूहानी होना।
मत करो बहस, हार जाओगी,
हुस्न इतनी बड़ी दलील नहीं।
Husn Shayari Hindi
ढल जाये तेरा हुस्न तो आऊँगा पूछने,
नख़रे तेरे शबाब के सारे कहाँ गये।
अक्ल भी खुदा देता है हुस्न भी खुदा देता है,
पर इश्क़ वो समन्दर है जो दोनों को डूबा देता है।
हुस्न पर तो हर कोई मर जाता है,
रूह सुनहरी लगे तो समझना इश्क हैं।
Husn Ki Tareef Shayari In Hindi Font
हुस्न के कशिदे तो गढ़ती रहेंगी महफिलें,
झुर्रियां भी प्यारी लगे तो समझ लेना इश्क है।
आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न,
आया मिरा ख़याल तो शर्मा के रह गए।
फिदा होना शादिक़ मेरा उनपे लाजमी है,
हुस्न के ताजमहल को अंगड़ाई लेते जो देखा मैने।
Husn Ki Tareef Shayari In Hindi
कूचे में शादिक़ के बैठना हुस्न को उस के देखना,
हम तो उसी को समझे हैं बाग़ भी और बहार भी।
हमे शायर समझकर यूं नजरअदाज मत करिए,
नजर हम फेर लें तो हुस्न का बाजार गिर जाएगा।
कहाँ तक लिखूं एक ताज़ा शायरी आपके लिए,
आपके हुस्न में तो रोज एक नयी बात हुआ करती है।
हुस्न का हक है रूठना,
और इश्क़ का फ़र्ज़ है मनाना।
ये आईने ना दे सकेंगे तुझे तेरे हुस्न की खबर,
कभी मेरी आँखों से आकर पूछो के कितनी हसीन हों।
Shayari On Husn
सुनो मेरे गाँव का हुस्न मत पूछो,
वहाँ चाँद कच्चे मकान में रहता है।
हुस्न का क्या काम सच्ची मोहब्बत में,
रंग साँवला भी हो तो यार क़ातिल लगता है।
सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने,
हसीन जिसकी जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है।
Husn Ki Tareef Shayari 2 Lines
लोग कहते हैं कि इश्क मत करो,
कि हुस्न सर पे सवार हो जाये,
हम कहते हैं कि इश्क इतना करो,
कि पत्थर दिल को भी तुमसे प्यार हो जाये।
अब भला छोड़ के घर क्या करते,
शाम के वक्त हम सफ़र क्या करते,
इश्क ने सारे सलीके बख्शे हमें,
हुस्न से कस्बेहुनर क्या करते।
हासिल हो हुस्न उन्हें जिसे हुस्न चाहिएं,
मिले मोहब्बत उन्हें जिन्हे इश्क़ चाहिए,
मुझे तुझसे बेहतर या तुझ जैसा नहीं,
मुझे तू और तू बस तू चाहिए।
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