Jism Shayari | Shayari On Jism | Jism Shayari Image

Jism Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल जिस्म शायरी है। हम उम्मीद करते है कि इस पोस्ट की shayari on jism, shayari jism, jism shayari image आपको अच्छी लगेगी और आप इसे आप अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।


दिल करता है लिपट जाऊं रुह बनकर तेरे जिस्म से,

कि जब तुम हमसे जुदा हो तो मेरी जान निकल जाए।


Jism Shayari - जिस्म शायरी

एक ही ज़िस्म मेदो किरदार रहा करते हैं,

मैं खुद में सफर करता हूँवो मुझमे बसर करती है।


खत्म हो जाता है जब इश्क जिस्मों का,

फिर लोग तोहफे झाड़ियों में छोड़ देते है।


Jism Shayari


किसी से जुदा होना इतना आसान होता तो, 

रूह को जिस्म से लेने फ़रिश्ते नहीं आते।


Jism Shayari - जिस्म शायरी

होती है मोहब्बत सिर्फ रूह की आवाज़,

शर्त इतनी है जिस्म से नजर हटानी होगी।


बिना जिस्म को छुए,

कोई रूह से लिपट जाए वो इश्क है।


Shayari On Jism


कैसे सो पायेगी वो आँखे,

जिसमे कोई जाग रहा हे।


Jism Shayari - जिस्म शायरी

इश्क रूहानी हो तो ही इज़हार करना, 

भूख जिस्म की हो तो किनारा कर लो।


हम मर्दों को तुम्हारे झुमके तक से प्यार है,

लड़कियों तुम्हें ये जिस्म की गलतफहमी मिटानी होगी।

जिस्म से जो हो वो इश्क़ तो कतई नहीं,


Shayari Jism


मेरे शहर में ऐसे लोग रहते हैं,

जिस्म की भूख़ को इश्क़ कहते हैं।


Jism Shayari - जिस्म शायरी

इश्क की अब आख़िरी नस्ल हैं हम,

अगली पीढ़ी को बस जिस्म की जरूरत होगी।


मुझे जिस्मों वाली मोहब्बत समझ नहीं आती,

मगर क्या करूं जनाब,

यहां रूह वाली मोहब्बत किसी को पसंद नहीं आती।


Jism Shayari Image


काफी पुराने जमाने का दिल है मेरा,

इसे जिस्मों वाली मोहब्बत नहीं आती।


Jism Shayari - जिस्म शायरी

जिस्म देखा है या जज़्बात देख रहे हो,

पूरी ज़िंदगी नज़र आ रही है या सिर्फ एक रात देख रहे हो।


इश्क़ की ये आखिरी नस्ल हैं हम साहब,

अगली पीढ़ी को तो बस जिस्मों की ज़रूरत होगी।


Jism Ki Chahat Shayari


मत ढूंढ मेरे जिस्म पर ज़ख्म के निशान,

की मैंने हर चोट दिल पर खाई है।


Jism Shayari - जिस्म शायरी

कहानी लिखने वाला बड़ा नहीं होता बड़ा वह है,

जिसने कहानी अपने जिस्म पर झेली है।


वो जिस्म भी परोस देगी तुझे इश्क़ में,

क्या तु इश्क़ परोस पाएगा।


जिस्म शायरी


तेरे जिस्म की बनावट संगमरमर की मूरत से कम नहीं,

तुझे देख लो जी भर के फिर मरने का भी गम नहीं।


Jism Shayari - जिस्म शायरी

छू के गुज़री जो मेरे जिस्म को बारिश की हवा,

और निखरे तेरी यादों के पुराने रिश्ते।


तमाम जिस्म ही घायल था घाव ऐसा था,

कोई न जान सका रख-रखाव कैसा था।


Jism Shayari


प्यार जब जिस्म की चीखों में दफन हो जाए,

ओढनी ऐसे फसे की कफन हो जाए।


Jism Shayari - जिस्म शायरी

जख्मी हो गईं नींदे मेरी ख्वाबों पर ऐसा वार किया

जिस्म तो सलामत रह गया मेरी रूह को तूने मार दिया।


वो कहता था तेरे जिस्म का साया हुँ मैं,

शायद इसलिए अंधेरो में साथ छोड गया।


Shayari On Jism


ख़ुद को छान के भी देखा है मैने,

उसकी यादें मेरे  जिस्म ओ जान से जाती ही नही।


Jism Shayari - जिस्म शायरी

बेताब सा रहते हैं तेरी याद में अक्सर,

रात भर नहीं सोते हैं तेरी याद में अक्सर,

जिस्म में दर्द का बहाना बना के,

हम टूट के रोते हैं तेरी याद में अक्सर। 


जो जिस्म से हो वो सौदा है सौदागर,

जो रूह से हो वो ही मोहब्बत है

जिसे कोई समझ नहीं पाया


कुछ जख़्मों की कोई उम्र नहीं होती ताउम्र,

साथ चलते हैं जिस्म के ख़ाक होने तक,

जिस्म तो जिस्म है चाहे किसी का भी हो,

जो रूह में उतर जाये मोहब्बत तो उसे कहते है।


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