Love Shayari For Husband: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल पति पर शायरी है। दोस्तो पति पत्नी का रिश्ता तो बहुत खूबसूरत होता है। थोड़ी सी नोक झोंक और ढेर सारा प्यार होता है। हम उम्मीद करते है कि ये पोस्ट आपको पसंद आएगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
खुशनसीब कुछ ऐसे हम हो जाए,
तुम हो हम हो और इश्क़ हो जाये।
सुनो ये बादल जब भी बरसता है,
मन तुझसे ही मिलने को तरसता है।
तुम्हें हमारे दिल ने हज़ारों में से एक चुना हैं,
इसीलिये मेरा प्यार तेरे लियें लाखों गुना हैं।
मेरी जान को हमेशा खुश रखना,
ए खुदा उसके जख्मों की कीमत मेरी जिंदगी से काट।
ज़रूरी नहीं है इश्क में बांहों के सहारे ही मिले,
किसी को जी भर के महसूस करना भी मोहब्बत है।
सुलझा हुआ सा समझते हैं मुझको लोग,
उलझा हुआ सा मुझमें कोई दूसरा भी है।
इतना तो यकीन है मुझे अपने पर,
कि लोग हमें छोड़ तो सकते है लेकिन भूल नहीं सकते।
उसके ख्यालों से रंग गयी है रूह तक मेरी,
अब किसी और का ख्याल आये तो आये कैसे।
खुदा ही जाने क्यूँ तुम हाथो पे मेहँदी लगाती हो,
बड़ी नासमझ हो फूलों पर पत्तों के रंग चढ़ाती हो।
दिल की खामोशी से सांसो के ठहर जाने तक,
मुझे याद रहेगा वो अजनबी मेरे मर जाने तक।
Romantic Love Shayari In Hindi For Husband
उसको ये गरूर कि उस जैसा कोई नहीं,
मुझको ये अहसास कि उसका जवाब हूं मैं।
कभी सागर कभी झील तो कभी जाम रखा है,
इश्क करने वालो ने भी आँखों का ना जाने क्या क्या नाम रखा है।
शौक का वार उतार आया हूं,
आज मैं उसको हार आया हूँ।
एक शख्स ऐसा भी है दुनिया में,
जो अपने घर से ज्यादा मेरे जहन में रहता है।
झुर्रियां तो जिस्म पर आती है,
इश्क़ तो हमेशा जवां रहता है।
मोहब्बत अपनी किस्मत मैं नही थी,
इबादत से गुजारा कर रहे हैं अब हम।
अब कहां तुम दस्ते नाज़ुक से उठाओगी कमान,
लाओ ख़ुद रख लू कलेजे में तुम्हारे तीर को।
बात करने क़ो क़ोई भी नही हैं,
यारो इतने अकेले तो मुर्दे होते हैं न।
ये दिल पर कोई दस्तक दे रहा हैं,
तुम कहा हो देखो तुम्हारी गैरहाजरी में कोई हमपर वार कर रहा हैं।
फना -ए- इश्क़ का दस्तूर तुझे क्या मालूम,
इश्क़ में दिल ही नही सर भी दिए जाते हैं।
इश्क़ का क्या है दोबारा भी हो सकता है,
नियत अच्छी हो तो बरकत बनी रहती है।
मेरी निगाहों में किन गुनाहों के निशां खोजते हो,
अरे मैं इतना भी बुरा नहीं जितना तुम सोचते हो।
इतने मसरूफ़ हो गए हम तुम,
मिलना जुलना तो ख़्याव हो जैसे।
कुछ पल सुकून की नींद हासिल हो,
कभी तो मुझे तुम्हारे बाँहोंके सहारे नसीब हो।
तुम न महरम न मेरे दोस्त न दुख के साथी,
हाय किस हक़ से मेरा तुमसे गिला रहता है।
मेरे इंतज़ार को ना बेकार किया जाए,
आग को राख का कर्ज़ अदा किया जाए।
ख़ुद को इतना दुनियांदार नही कर सकते,
आधे दिल से पूरा प्यार नहीं कर सकते।
मैं पढ़ा तो ब्याह लाया अनपढ़ को भी,
वो पढ़ी तो सैकड़ों पुरुषों को नापसन्द किया।
गए हो कचहरी कभी अपने क़त्ल के,
मुकद्दमे में अपनी बेगुनाही की सफ़ाई देने।
कुछ नही मिलता दुनिया में मेहनत के बगैर,
मेरा अपना साया मुझे धुप में आने के बाद मिला।
सैंकड़ों किताबें पढ़ी लेकिन ये ना जान पाए,
कोई अपना बहूत दूर रहे तो कैसे सब्र करते है।
वो भी इक़रार कर के फंस गई है,
हम भी अपना कहा भुगत रहे हैं।
चश्म ए बीमार की शिफा के लिए,
तेरे देखे हुए को एक बार देखेंगे।
वो चिड़िया ही क्या जो घोंसला ना बना दे,
और वो प्यार ही क्या जो तोतला ना बना दे।
वो उतारती रही कपड़े प्यार समझ कर,
और उसने एक झटके में उसे बाजारू कह दिया।
हमारी चीख ने एक भीड़ इक्ट्ठा कर दी,
मगर अफसोस पुकारा हुआ शख़्स नहीं आया।
हमदर्द थे हम-कदम थे हमसफ़र थे हमनशीं,
जो भी थे बस हम थे वो तो कभी थे ही नहीं।
अमानत जान कर मेरी उतारा है तुम्हें वरना,
खुदा परियों को इस दुनिया में अब आने नहीं देता।
तुम्हारी नींद भी गायब है ख्वाब भी है बेचैन,
अजीब शख्स हो किसने कहा था इश्क़ करो।
इश्क करो ना करो सख्त लहजे में बात ना करो तुम,
महबूबा हो फकत हमारी,हमारी माँ नही हो तुम।
Romantic Love Shayari In Hindi For Husband
वक़्त के पास वक़्त नही हैं,
वरना पल दो पल ठहरता जरूर।
तुम अपने शहर की रोशनियां संभाल कर रखो,
हमारे गांव में तो शाखों पे सूरज खिलते हैं।
सख़्त जां हूं मुझे इक वार से क्या होता है,
ऐसी चोटें कोई दो चार तो आने दिजिए।
यूं तन्हा शख्स से पहाड़ कटवा के मुहब्बत ने,
मांझी से इक चराग़ को सूरज बना दिया।
बात अजीब भी है मगर बहुत खूब भी है,
मेरा महबूब किसी और का महबूब भी है।
ताल्लुक औरो से भी है मेरा थोडा सा मगर,
जो रिश्ता तुझसे है वो सदियो पुराना लगता है।
लाखो के ढेर में पड़ा हुआ नदी किनारे का छिपला था,
उसने उठा के पिरोया धागे में गले का अनमोल हार बन गया।
हकीकत से परे आंखे मूंद के ख्वाबों में पाल के खुशियां अपनी,
रास्ते के मोड़ पे मिली एक परी जिसमे बसी थी दुनिया मेरी।
मैं वो सहरा जिसे बारीश की हवस ले डूबी,
तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं।
सोच कैसी है ईमान कैसा है,
लफ्ज़ बता देते हैं इंसान कैसा है।
वो हिजाब सी हिफ़ाज़त दिलों को भी ज़रूरी हैं शायद,
लोग रूबरू हो जाने पर यहाँ इरादे बदल दिया करते हैं।
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