Good Night Love Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाज़िर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल गुड नाइट लव शायरी है। हम उम्मीद करते है कि ये पोस्ट आपको अच्छी लगेगी और आप इसे अपने सोशल साइट्स पर जरूर शेयर करेंगे।
दिल में चाहत का होना जरूरी है वरना,
याद तो रोज दुश्मन भी करते हैं।
पांच रुपये के नोट सी हो गई है जिन्दगी,
चलती है मगर फटे हाल मे।
परखो तो कोई अपना नही,
समझो तो कोई पराया नहीं।
उम्मीद ना करो इस दुनिया से किसी से हमदर्दी,
की बड़े प्यार से जख्म देते हैँ, शिद्दत से चाहने वाले।
वो चांद सी नूरानी में सितारों सा अलबेला,
एक दूजे के बिन पूरा आसमां हैं अकेला।
रोक दिया है अपनी दिल की धड़कनों को मैंने,
उन्होनें वादा किया था मिलनें का मौत आनें से पहले।
सुकून हमें चाय में ही मिल जाता है जनाब,
अब तुम ही बताओ महबूब की जरूरत क्या है।
अजीब सा अंधेरा है ऐ इश्क तेरी महफ़ील में,
किसी ने दिल भी जलाया तो रोशनी ना हुई।
कोशिशें नाकाम ही सही कर के देखें जरूर,
वो क्या है ना सुकून वाली नींद तो ताबड़तोड़ काम के बाद ही आती है।
मेरी शायरी मेरे तजुर्बे का इजहार है और कुछ भी नही,
सोचता हूँ कोई तो संभल जाएगा मुझे पढ़ने के बाद।
बरसे हुए पानी से सीखे वफाएं कोई,
बादल तो अक्सर शहर बदल लेते हैं।
किसी मे सादगी किसी जुबाँ से नाज छलकता हैं,
हर शख्स का उसके किरदार से मिजाज छलकता हैं।
अपनी ही जिंदगी से रूठ जाऊंगा,
अभी वक्त है संभाल लो मुझे मैं टूट जाऊंगा।
हमने भी छोड़ दिया अब उनकी फ़िक्र करना,
जो इस बात की भी फिक्र नही कि मेरी अगली सुबह होगी भी या नही।
होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है,
रंज कम सहता है एलान बहुत करता है।
सियासतों की तरह है मुहब्बतों का मिज़ाज़,
जिसे भी सौंपी हुकूमत उसी ने लूट लिया।
ज़िन्दगी अब चुभ रही है मुझे,
मौत से कहो कि मुझे गले लगा ले।
अब ना कोई मेरा ना मैं किसी की,
अब आजाओ मेरी बाहों में में भी नहीं किसी का।
बर्बादी त्याग कर मैं भी आबाद होना चाहता हूं,
हां मैं उस शख़्स से आजाद होना चाहता हूं।
गुज़र जाते है खूबसूरत लम्हे यूंही मुसाफिरों की तरह,
यादें वहीं खड़ी रह जाती है रुके रास्तों की तरह।
ज़िंदा रहने की अब ये तरकीब निकाली है,
ज़िंदा होने की ख़बर सब से छुपा ली है।
तालीम मुझे अगर दग़ाबाज़ी की मिली होती,
तो हसरते मेरी भी यू अधूरी नहीं रही होती।
मैंने तेरे बाद किसी के साथ जुड़ कर नहीं देखा,
मैंने तेरी राह तो देखी,पर तूने मुड़ कर नहीं देखा।
एक तिल का पहरा भी ज़रूरी है लबो के आसपास,
मुझे डर है कहीं तेरी मुस्कुराहट को कोई नज़र न लगा दे।
दिल मोहब्बत से भर गया बेख़ुद,
अब किसी पर फ़िदा नहीं होता।
तेरी खुशबू तेरी चाहत तेरी यादें लाये हैं,
आज फिर मेरे शहर में बादल आये हैं।
ना जाने मेने किसे इस्क की थी,
दिया सब कुछ और मिली भीख थी।
अपनी बद्दुआ अपने पास रखो साहब ,
मुझे इश्क़ है खुद ही बर्बाद हो जाऊंगा।
मैंने अनंत बनाना चाहा तुमको,
तुम तो शून्य की ही बात करते रहे।
तू हमें सोच भी ले तो हम ख़ामोशी पड़ लेंगे,
तू एक कदम तो बड़ा वाकी सफर हम तय कर लेंगे।
माँगने को तो बहुत कुछ माँग लूँ तुमसे,
कैसा हो अगर मांग मे तुम हो।
लफ्ज़ थक गए तो फिर आँखों ने बात की,
जो आँखें भी थक गयीं तो अश्कों से बात हुई।
आंखो को अक्सर वही चीज़ पसंद आती है,
जिसका मिलना मुश्किल हो।
अपनी दोस्ती का बस इतना सा असूल है,
जो तू कुबूल है तो तेरा सब कुछ कुबूल है।
क्या ऐसा नहीं हो सकता हम प्यार मांगे,
और तुम गले लगा के कहो और कुछ।
तुमसे मिलने की तम्मन्ना और तेरा ख़याल,
उलझा उलझा सा मैं अज़ीब सा है हाल।
मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबूत रखना,
जरा से भी चुके तो महोब्बत हो जायेगी।
तुम को लिख पाना कहाँ मुमकिन है,
इतने खूबसुरत तो लफ्ज़ भी नहीं मेरे पास।
हमारी उदासियाँ उसे नज़र आती भी तो कैसे,
उसे देखकर ही हम अक्सर मुस्कुराने लगते थे।
तेरे बाद किसी और को देखा नहीं हमने,
सुख गए गुलाब लेकिन फेंका नहीं हमने।
होठो की भी क्या मजबूरी होती है,
वही बात छुपाते है जो कहनी ज़रूरी होती है ।
ताल्लुक हो तो रूह से रूह का हो,
दिल तो अक्सर एक दूसरे से भर ही जाया करते हैं।
बिन बुलाये आ जाता है, सवाल नही करता,
आपका ख्याल भी मेरा ख्याल नही करता।
इश्क़ की राह में खुबसूरत क्या हैं,
एक मैं हूँ एक तुम हो और जरूरत क्या है।
रोशन हुई हैं महफिल मेरी तेरे आ जानें से,
तु रोज ही चला आया कर ना यूं ही किसी बहाने से।
Good Night Love Shayari
किस्सों में ढूंढा गया मुझे पर मैं तो कहानी में था,
आप तो किनारे से लौट आए मैं वहीं पानी में था।
तुम संग बीते वक़्त का मैं कोई हिसाब नहीं रखती,
मैं बस लम्हे जीती हूँ इसके आगे कोई ख्वाब नहीं रखती।
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन,
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा।
क्या खूब है ये ज़माना पहले जख्म देता है,
फिर माफी मांग लेता है।
मुझसे ज्यादा तो मेरे लफ्ज तुम पर मरते है,
जब भी निकलते हैं ज़िक्र तुम्हारा ही करते हैं।
तेरे रुखसार पर ढले हैं मेरी शाम के किस्से,
खामोशी से माँगी हुई मोहब्बत की दुआ हो तुम।
फिक्र है सबको खुद को सही साबित करने की,
जैसे ये ज़िंदगी ज़िंदगी नहीं कोई इल्जाम है।
ज़िंदगी जिसका बड़ा नाम सुना है हमने,
एक कमजोर सी हिचकी के सिवा कुछ भी नहीं।
हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो ग़म मिलते है,
इसी वास्ते अब हम हर शख्स से कम मिलते है।
चलो आओ यारों आज एक महफ़िल सजाते है,
जो जल रहे है हमसे उनको थोड़ा और जलाते है।
कुछ नहीं बस इतना सा वादा चाहिए,
मुझे तेरा प्यार थोड़ा औरों से ज्यादा चाहिए।
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