Deep Love Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है डीप लव शायरी। हम उम्मीद करते है कि इस पोस्ट की प्यार भरी शायरी आपको अच्छी लगेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
नज्मों से ना तोलो जज़्बातों को,
कागज़ पर उतारने में और दिल से गुज़रने में फर्क होता है।
तुझे यूं समेट कर रख दूं खुद में,
तू बिखरे भी तो मेरी हद में।
उदास होने पर भी मुझे हँसा देती है,
वो कुछ यादें जो सिर्फ तेरी है।
एक मुकाम जिंदगी मै ऐसा भी आता है,
क्या भूलना है बस यही याद रह जाता है।
यूँ अचानक से नींद खुल गई,
ऐसा लगा तुमने नींद से जगाया हो।
मेरी रूह से लिपटे रहते है तेरी यादों के अहसास,
अब कैसे बताऊँ दुनियाँ को तू दूर है या पास।
सितंबर के बाद आओगे तो ये बारिशें कहां होगीं,
आओ सावन हैं फिर ये मुलाकात कहां होगी।
तुम्हारी एक आवाज़ पे हम दौड़े चले आएंगे,
शर्त ये है कि लहज़े में बेकरारी होनी चाहिए।
दोस्तो से टूट कर रहोगे तो कुत्ते भी सतायेंगे,
और दोस्तो से जुड़ कर रहोगे तो शेर भी घबरायेंगे।
ख़्वाहिशों को भी पालना सीखिए,
एक दिन मुकाम मिलेगा ज़रूर।
गिराया जिसे अपनों ने वो उठकर फिर क्या करता,
परायों से जो लड़ा नहीं वो अपनों से क्या लड़ता।
समंदर तेरा हुआ तो क्या हुआ,
मेरी कश्तियां मुझे डूबने नहीं देती।
वो दिये जा रहे हैं हम लिए जा रहे हैं,
उनकी रज़ा भी उनकी सजा भी
दमक तो सकतें हैं हम भी गैरों की चमक चुरा के,
मगर उधार की रोशनी का चाँद बनना हमें मंज़ूर नहीं।
झूठी मोहब्बत वफा के वादेसाथ निभाने की कसमें,
कितना कुछ करते हैं लोग सिर्फ वक्त गुजारने के लिए।
तुझे कैसे ले जाऊं तेरे पिता की मर्ज़ी के बग़ैर,
कल को मैं भी एक बेटी का बाप बनूंगा।
आज गूगल पर नशा सर्च किया,
नाम तेरे होठों का आया।
कितने ही लोग दुनिया में मां बाप के ख़ातिर,
कहानी मोड़ लेते हैं मोहब्बत छोड़ देते हैं।
नहीं हूं मैं किसी बड़े घराने का,
फ़िर भी मैं तुम्हें राजकुमारी की तरह रखूंगा।
वो पत्थर कहाँ मिलता है बताना जरा ए दोस्त,
जिसे लोग दिल पर रखकर एक दूसरे को भूल जाते हैं।
मोहब्बत में गुस्सा और शक़ वही करता है,
जिसमें मोहब्बत कूट-कूट के भरी होती है।
काश तुम पूछो के तुम मेरे क्या लगते हो,
मे ग़ल्ले लगाऊँ और कहूं सब कुछ।
प्यास को प्यार करना था केवल
आदि को याद रखना था केवल
मुझे देख के जा रहे हैं तुझे देख के आ रहे हैं,
देखो लोग कैसे मिरे ही नग़मे गुनगुना सा रहे हैं।
बस सुन कर मेरा लेहजा वो समझौता है सब अच्छा,
मुद्दत हुई उसे मेरी आंखें नहीं देखीं।
जब मेरी जात से जी भर जाए तो बताता देना,
मैं आंख से अंशु की तरह खुद ही निकल जाउंगा।
टूट कर चुब रहा है आँखों में,
आईना तो नहीं था ख्वाब मेरा।
हाथ मेरे भूल बैठे दस्तकें देने का फ़न,
बंद मुझ पर जब से उस के घर का दरवाज़ा हुआ।
मोहब्बत ख़ूबसूरत होगी किसी और दुनियाँ में,
इधर तो हम पर जो गुज़री है हम ही जानते हैं।
मोहब्बत उसे भी बहुत है मुझसे,
जिंदगी सारी इस वहम ने ले ली।
तुम मुझे कभी दिल से कभी आँखों से पुकारो,
ये होठों के तकल्लुफ तो ज़माने के लिए होते हैं।
अपनी हार पर इतना शकून था मुझे,
जब उसने गले लगाया जीतने के बाद।
अब तो मेरे दुश्मन भी मुझे ये कह कर अकेला छोड़ गये,
की जा तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए।
हमको भी आता है यूं तेरी तरह तरह बदल जाना,
पर वादे कर नहीं आता है अपने ही वादे से मुकर जाना।
हम जमाने में थे अखबार की तरह,
कम्बख्त इश्क ने इश्तेहार बना डाला।
इश्क है तो बेहिसाब कर नहीं है तो मुझे माफ़ कर,
मेरी बातो पर तू जोर दे मेरी उलझनो का हिसाब कर।
में मुहब्बत के इरादे से नहीं आया हूँ,
में फकत शेर सुनाऊँगा चला जाऊँगा।
मुफ्त में मिल जाऊँ राय थोड़ी हूँ,
हर किसी को पसंद आऊँ चाय थोड़ी हूँ ।
कुछ यूँ भर लिया है मैंने अपनी आँखों में उन्हें,
अब ये आइना मुझे मेरी तस्वीर नहीं दिखाता।
तुम थोड़ा कम मुस्कुराया करो,
डूब मरेंगे हम तुम्हारे गालों के गड्ढे में।
सलीके हमें भी आते है उन्हें कब्ज़े में करने के,
मुर्शिद उनसे कह दो अपनी अदाओं पर गुरूर न करें।
तुम आओ चाहे हर रोज़ या हर इतवार,
मैं पहनूंगी सादा सा कुर्ता तुम बनना मेरा श्रृंगार।
कहने को मोहब्बत है पर गुरूर भी रखते हो,
तुम ही बताओ अब ऐसा कैसे मुमकिन हो।
अपनी मसरूफियत की दुहाई ना दे,
वास्ता हमारा भी फुर्सतों से नहीं हैं।
मुझसे कोई ताल्लुक तो है नहीं उसका फिर,
क्यों वो उदास रहता है इक मेरे रूठ जाने से।
उसका नाम भी बस उसी पर अच्छा लगता था,
उस नाम का अब कोई भी अच्छा नही लगता।
मैं इज़हार करूँ तो ना भी हो सकती है,
तुम करो तो हां की ज़िम्मेदारी मेरी।
मुहब्बत कितनी रंगीन है किसी से सुन के देखिये,
और मुहब्बत कितनी संगीन है खुद कर के देखिये।
बरसाती बूंदों में पुराने नग्में सुनाए कोई,
मौसम सर्द है अदरक वाली चाय पिलाए कोई।
खामोशियां पसंद हैं मुझे,
शोर ने काफ़ी जख्म दिए हैं।
मैने भी देखने की हद कर दी,
वो भी तस्वीर से निकल आया।