Ishq Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है इश्क़ शायरी। दोस्तो हम उम्मीद करते है कि इस पोस्ट की शायरी आपको जरूर अच्छी लगेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
गुज़र रही है जिंदगी बड़े ही नाज़ुक दौर से,
मिलता नही सुकून तुम्हारे सिवा किसी और से।
बात कड़वी है मगर आपको समझनी होगी,
सच्चे इश्क के दो यार नही होते।
अल्फाजों में क्या बयाँ करूँ तुने जो सादगी पायी है,
सच शब्द नहीं कुछ कहने को बस चाँद तेरी परछाई है।
इश्क की परिपाटी बहुत सदियों पुरानी है,
मगर चलन समय के साथ बदल जाता है।
तेरी आँखों में वो कशिश है जो दिल को छू जाती है,
तेरी बातों में वो खुशी हैं जो रुह में समा जाती है।
सफर तन्हा चल रहा था इस जिन्दगी का
आ कहीं दुर चले जाए हम इस गुरुप से,
की ढूंढ ना सके कोई मेंबर।
वो रिश्ता ही क्या जिसे निभाना पडे ,
वो प्यार ही क्या जिसे जताना पडे।
प्यार तो एक खामोश एहसास हैं
वो एहसास ही क्या जिसकों लफ्जों में बताना पडे।
मुझे चाय और महबुब दोनो से इश्क है,
चाय होठ जलाती है और मेहबुब दिल जलाता है।
ज़िन्दगी आसान किसी की नहीं होती इसे आसान बनाना पड़ता है,
कुछ अपने अंदाज से और कुछ लोगो को नजरअंदाज करके।
मेरी अधूरी ख़्वाहिश बन कर न रह जाना तुम,
क्योंकि दोबारा जीने का इरादा नहीं रखते हम।
हुस्न खुदा ने दिया था आशिक हम हो गए,
वो किसी और का नसिब थी और बर्बाद हम हो गए।
अकड़ तोड़नी है उन मंजिलों की,
जिनको अपनी ऊंचाई पर गरूर है।
ये सोचना ग़लत है कि तुम पर नज़र नहीं,
मसरूफ़ हम बहुत हैं मगर बे-ख़बर नहीं।
जिंदगी में कोई अपना न मिला,
एक जो था वो भी धोखा दे गया।
वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता,
मगर इन एहतियातों से तअल्लुक़ मर नहीं जाता।
वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता,
मगर इन एहतियातों से तअल्लुक़ मर नहीं जाता।
ग़ैरों से तो फ़ुर्सत तुम्हें दिन रात नहीं है,
हाँ मेरे लिए वक़्त-ए-मुलाक़ात नहीं है।
गलतफहमीयों में खो गया वो रिश्ता,
वरना कुछ वादे अगले जन्म के भी थे।
हम उनके लिए अहम वाह दिल तेरा वहम,
पूछ लेते वो बस मिजाज़ मेरा कितना आसान था इलाज मेरा।
भटकता फिर रहा था गम लिपट कर मुझसे ये बोला,
कहा जाऊ तुझी को शहर भर में जानता हूं।
कैसे कह दूँ के थक गया हूँ मैं,
जाने किस किस का हौसला हूँ मैं।
छीन लूंगा मैं ये रोटी किसी परचम की तरह,
दिन के घमासान में उतरा हूं मैं फ़ाका लेकर।
शायरों से ताल्लुक रखो तबियत ठीक रहेगी,
ये वो हक़ीम हैं जो अल्फ़ाज़ों से इलाज करते हैं।
रूह से रूह का मिलना भी जरूरी है साहब,
सिर्फ हाथ थाम लेने को मोहब्बत नहीं कहते।
अब मरते नहीं तो और क्या करते यारो,
वो गले लगा कर धीरे से बोली अगले जनम मै तेरी।
चार नैनों में से जब दो नैन हल्की सी मुस्कान के साथ झुक जाऐ तो उसे मोह़बत कहते हैं।
कुछ प्यारा सा हम पर भी लिख दो,
सुना है बहुत दिलकश अल्फ़ाज़ हैं तुम्हारे।
किसी और को आज उनका हाल पूछते देखा,
बात तो थोड़ी सी थी लेकिन दिल बुरा मान गया।
नींद आने की दवाईयां हजार है,
ना आने के लिए इश्क काफी है।
ज़हर की जरूरत ही न पड़ी मुझे,
तेरे बरताव ने ही मुझे मार डाला।
बदलते चले गए रवैये उसके,
ना जाने लोग मेरे बारे में उसे कहते क्या क्या थे।
सोचता हूं एक बार और फ़ोन कर लू उसको,
एक बार और गिर जाऊ खुद की नज़र में।
सलामत रहे वो शहर जिसमे तुम बसे हो,
एक तुम्हारे खातिर हम पूरे शहर को दुआ देते हैं।
कहते है जिन्दगी मे सबको एक बार प्यार जरूर होता है,
तुम्हे कब होगा मुझसे?
कुछ लोग समझाये नहीं समझ पाते शायद,
वो लफ्ज़ पड़ते हे और हम जज़्बात लिखते है।
काफी हद तक भुला चूका है दिल तुम्हे,
मगर पत्थर से ठोकर लगे तो बेइंतेहा याद आते हो तुम।
चुभते हुए ख्वाबों से कह दो की अब आया ना करे,
हम तन्हा तसल्ली से रहते है बेकार उलझाया ना करे।
जो आँसू आँख से अचानक निकल पड़ें,
वजह उनकी ज़बान से बयां नहीं होती।
पर कटा परिंदा हूँ मैं पेड़ों से नहीं मिलता,
तुम आओ तो रूह लाना मैं जिस्मों से नहीं मिलता।
आदत न डालो मुझे पढ़ने की
या तो ऊब जाओगे या फिर डूब जाओगे।
बहुत महंगा हो गया है ये इश़्क आजकल,
अब उसे पहली मुलाकात में दिल नहीं तोहफे चाहिए।
तुम जिसे ढूंढते हो जिस्मों में,
प्यार महफूज़ है वो रूहों में।
बादलों का गुनाह नहीं कि वो बरस गए,
दिल को हल्का करने का हक तो सबको है।
वो कहते थे रह नही सकते तेरे बीना सब कहने की बात हैं,
रह भी रहे हैं वो ओर जी भी रहे हैं वो।
बेख़ुदी ले गयी कहाँ हमको,
देर से इन्तज़ार है अपना।
जिसका भी साथ देना है खुलेआम दो,
विरोधी कहलावोगे गद्दार नहीं।
दुनिया ख़ामोशी भी सुनती हैं,
लेकिन उससे पहले दहसथ मचानी पड़ती है।
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