Sad Shayari In Hindi For Life: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है उदास शायरी। हम उम्मीद करते है कि इस पोस्ट की शायरी आपको अच्छा लगेगा और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
तेरे इश्क़ की आग में जल कर ए महबूब,
कुछ मैं राख हुआ कुछ मैं पाक हुआ।
परखने वाले बहुत मिले मुझे,
काश किसी ने समझा भी होता।
कमज़ोर पड़ गया था मुझसे उसका ताल्लुक,
क्योंकि उसके सिलसिले कहीं और मजबूत हो गए थे।
दिल तो करता है लिख दूँ तुम्हारा नाम शायरीयों मे,
पर डरते है कोई चुरा ना लें तुमको मेरे अल्फाजों की तरह।
मुझे तुमसे बिछड़ना ही पड़ेगा,
मैं तुम्हे याद आना चाहती हूं।
मैं वाकिफ़ हूँ चार दिन की मोहब्बत से,
मैं भी रह चुका हूँ अज़ीज़ किसी का।
मोहब्बत को भी भूख होती है इज्ज़त की,
इज्ज़त ना मिले तो मोहब्बत मर जाती है।
ज़िक्र जब कोई ज़िन्दगी का करे,
हम तस्वुर में सिर्फ तुम्हे लाते है।
ज़ज्बात अपने काबू में रखो साहिब,
मुस्कुराना लड़कियों की फितरत होती है।
नहीं है तो ना सही उसे मोहब्बत,
अब झूठा वहम भी क्या पालना
बिछड़ गए अबकी बार हंसते खेलते हम,
दिलों में मलाल हमसे अब रखा नहीं जाता।
जरा सी देर में दिल मे उतरने वाले लोग,
जरा सी देर में दिल से उतर जाते हैं।
बहुत लाजवाब फरमाइश है मेरे दिल की,
फिर से मुहब्बत करनी है और उससे ही करनी है।
मोहब्बत में शर्त भी कितनी अजीब रखती है वो,
हर शिकायत के बदले बोसा लबों पर लेती है वो।
शनिवार शाम को वो उसका रूखापन,
मेरे इतवार को सोमवार कर देता है।
मैं दिया हूँ मेरी फ़ितरत है उजाला करना,
वो समझते हैं कि मजबूर हूँ जलने के लिए।
जिसे जाना है उसे जाने दो
वो अगर आज रुक भी गया, तो कल चला जाएगा।
समेटकर रख दिया है जज्बातों को,
थोड़े सुकून के हकदार हम भी हैं।
सलीके का ख्याल है मुझे,
तभी सिर्फ आंखें नम हुई आंसू छलके नहीं।
शहर की गलियों में अब पागल नहीं दिखते साहब,
शायद उस हद तक मोहब्ब्त करने वालों का जमाना चला गया।
महसूस करना भी इबादत से कम नही,
बताइये तो जरा छू कर भगवान को किसने देखा है।
ज़ाहिर इश्क़ था जनाब इसलिए हासिल थे उनको,
हस्ती इतनी सस्ती भी नहीं की खरीद सके हमको।
गर न लिखते हम तो कबके राख हो गए होते,
दिल के साथ रूह में भी सुराख़ हो गए होते।
नजऱ भर देख पाने की हसरत है,
तुम मेरे नहीँ हो फिर भी तुमसे मोहब्बत है।
सब मेरी उदासी में तुझे ढूंढ रहे थे,
हँसना भी मेरा तुझ को छुपाने के लिए था।
कोई ढूंढ लाओ उसको वापस मेरी ज़िन्दगी में,
ज़िन्दगी अब साँसे नहीं उसका साथ मांग रही हैं।
वो गुलाब का फूल लेकर कर बोली,
इत्मीनान रखिये सेनेटाइज किया हुआ है।
टटोलते नब्ज ही हकीमों ने कहा,
साहब इसने तो इश्क़ पी रखा है।
ख्यालों मे भटक जाना तेरी यादों में खो जाना,
बहुत महंगा पड़ा है मुझको सिर्फ तेरा हो जाना।
रहने दो की अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे
बरसात में कागज की तरह भीग गई हू मैं।
भटकती रूह को मिल ही गया किनारा,
जो ख्वाब आँखो में ठहरा वो बस तुम्हारा।
मेरे बाद मेरी शायरियो को दफ़्न करना,
ये मेरी चीखें नई नस्लो तक ना पहुँचे।
इस तरह मेरे पीछे मेरे व्यक्तित्व को भुला दिया गया,
उंगली पानी से बाहर निकली और जगह भर गई।
चलते चलते थक गया तो पूछा पाँव के छालों ने,
कितनी दूर बसाई है दुनिया तेरे चाहने वालो ने।
दर्द भरी मुस्कान बेहद खूबसूरत होती हैं,
बारिश के बाद ही तो इंद्रधनुष अद्भुत लगता हैं।
किसी के बगीचे में थोड़े ज्यादा फूल होने से,
तुम्हारे फूलों की अहमियत कम नहीं हो जाती।
तुम्हारे बिना मैं उतनी ही अकेली हूं,
जितनी एक पैर की चप्पल।
नए दीवानों को देखो तो खुशी होती है,
हम भी ऐसे ही थे जब आए थे वीराने में।
लफ्जों ने ज़रूर कहा था अलविदा,
मगर मेरे लहजे ने हाथ जोड़े थे।
सच कहूं तो मैं आज भी इस सोच में गुम हूं,
मैं तुम्हें जीत तो सकता था जाने हारा क्यूं।
चल एक खूबसुरत सा गुनाह कर लें,
नजर से नजरें मिला के इश्क बेपनाह कर लें।
वो जो एक शख्स ना मिला,
तो लेके सारी कायनात मैं क्या करूं।
सौ दिल भी अगर हमारे होते,
तो कसम से वो सब तुम्हारे होते।
ना ज़ाहिर हुई तुमसे ना ही बयां हुयी हमसे,
बस सुलझी हुई आँखों में उलझी रही मोहब्बत।
इंतज़ार की हद भी अजीब होती है,
ना दरवाजा बंद होने देती हैं ना आँखे।
रख लो आईने हज़ार तसल्ली के लिए,
पर सच के लिए आखें मिलानी पड़ेंगी।
ज़रूरी नहीं कि हर बात का जवाब दिया जाए,
कुछ तीर के नसीब में निशाना नहीं होता।
झुक के तेरे आगे ये इकरार करता हूं,
मै तुमसे मेरी जान बहुत प्यार करता हूं।
वो कहती हैं बहुत मजबूरियाँ हैं वक़्त की,
वो साफ़ लफ़्ज़ों में ख़ुद को बेवफ़ा नहीं कहती।
तेरी याद कुछ इस तरह से मेरे दिल से लिपटी है,
जैसे गुलाब के फूल पर किसी तितली को नींद आ जाये।
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