Akelapan Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के तरह जिसका टाइटल है अकेलापन शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको जरूर अच्छी लगेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
किसी को बार-बार विश्वास दिलाना पड़े,
ऐसी मोहब्बत से तो अकेलापन ही ठीक है।
इश्क़ बिना ज़िन्दगी आ जाता है खालीपन्,
हमे पसंद नहीं ऐसा अकेलापन।
मोहब्बत हैं मुझे मेरे अकेलेपन से,
ये सुकून तेरी ख़ास महफीलों में भी नहीं।
मैंने अकेलापन चुना नहीं है,
केवल स्वीकार किया है।
अब मुझे रास आ गया अकेलापन,
अब आप अपने वक़्त का अचार डाल लीजिए।
मुझे अब अपने अकेलेपन में मज़ा आने लगा है,
अब तुम अपना वक़्त लो और भाड़ में जाओ।
कल मैंने ख्वाब बोए थे आज अकेलापन काटा है,
इस मोहब्बत में यारो हद से ज्यादा घाटा है।
मैं सुबह से अकेले ही बैठा था मगर,
शाम को उसके जानें के बाद का अकेलापन मुझे चुभनें लगा है।
मेरे शहर में अपनों की कोई कमी तो न थी,
फिर भी अकेले यूँ तुझसे मिलने चले आये।
हमें पसंद है अकेले में रोना,
सापों से दोस्ती का सबब झेला है मैनें।
अकेलापन शायरी
अश्क़ भी अब सूखनें की कगार पे हैं,
अब अकेले जीनें के आदत सीखनी होगी ही मुझे।
उन किनारे के पत्थरों को ख़ामोश रहनें दो,
बड़े दिन से अकेले हैं कहीं इश्क़ न कर बैठें।
हर शर्त मानना मोहब्ब्त में ज़रूरी है क्या,
मोहब्ब्त तो दोनों तरफ़ से थी तो मैं अकेला क्यों रोऊँ।
हर बात का ज़वाब होता था उसके पास
वो आख़िरी ज़वाब जो मिल जाता उससे यूँ अकेला मैं रों रहा नहीं होता।
मेरा मन नहीं करता कि मैं उसे अब मना लाऊँ,
गर ये नाटक-ए-ज़िन्दगी इश्क़ है तो हम अकेले अच्छे।
वो ख़ुद को मुझसे जोड़ने में लगा रहता है रात-दिन,
मैं मजबूर हूँ कमानें के लिए अकेले शहर आया हूँ।
वो दुआएं फिर भी उसके नाम की हर रोज़ करती है ,
बेटे को उसे वहाँ अकेले छोड़े एक अरसा हो गया।
आज मैनें देखा है उसे मुस्कुराते हुए,
एक हम ही अकेले छटपटा रहें है उसके जानें के बाद।
मैं किनारे जाकर दरिया-ए-मोहब्ब्त के अकेला लौट आया हूँ,
मैं कमज़ोर खिलाड़ी इस खेल के क़ाबिल नहीं था।
सुनो एक काम कर दोगे,
मुझसे जी नहीं जा रही ये जिंदगी अकेले मेरे साथ जीओगे??
अब कैसे किसी ग़ैर का ऐतबार कर पाएँगे हम,
वक़्त नें सिखा दिया है अकेले रहना और कम बोलना।
एक मैं ही अकेला दौड़ थोड़ी रहा था उसे पानें की रेस में,
पर बस मुझे ये था कि उससे इश्क़ करता हूँ मैं पाना न पाना अलग बात है।
मैं अकेला चलनें से डरता नहीं मगर,
तू साथ होता है चलनें में मज़ा आता है।
मैं अकेला रहना चाहता हूं उसकी ख़ातिर,
वो गर कभी लौटे और मैं ना मिलूँ ये सोच भी मुझसे मार देगी।
मैं सुबह से अकेले ही बैठा था मगर,
शाम को उसके जानें के बाद का अकेलापन मुझे चुभनें लगा है।
बहुत मसरूफ़ रहा वो अपनें काम काज में,
बहुत अकेला रह गया मैं बस उसके इंतेज़ार में।
बड़े ख़ुश्क़िस्मत होते हैं वो लोग जिनके सपनें पूरे होते हैं,
हम उनमें से हैं जो अकेले ही रातों को रोते हैं।
अकेले चलना बड़ा मुश्किल काम है,
पर यकीन मानिए जानना ज़रूरी है एक बार औक़ात अपनीं भी।
सारा जमाना तेरे रुखसार पर फिदा हैं,
बस हम अकेले तेरे रूह के दीवाने हैं।
वो ख़ुश हैं अपनों में हम भी अकेले ख़ुश हैं,
वादे पर क़ायम रहना कोई हम से सीखिए।
दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ ,
मैं अकेला सच को लेकर शाम तक बैठा रहा ।
मैंने तमाम बुरे लम्हात अकेले गुजारे,
मैं किसी का शुक्र गुजार नहीं हूँ।
इस दुनिया में हर वो शक्स अकेला है,
जिसने किसी को दिल से चाहा।
एक आदत सी है सब कुछ ठीक है कहने,
की पर बेकार है ये आदत सब अकेले सहेने की।
अकेले है कोई गम नहीं,
जहां इज्जत नहीं वहां हम नही।
छोड़कर गए अपनो को कब तक अपना समझूं,
ऐ जिंदगी तू अकेले क्यू नही गुजरती।
अकेले में उनसे दिल की क्या बात हो गई,
लोगो केे मन में फिर शक की शुरूआत हो गई।
अकेले ही तय करने होते हैं कुछ सफर,
हर सफर में हमसफर नही होते।
सारा जमाना तेरे रुखसार पर फिदा हैं,
बस हम अकेले तेरे रूह के दीवाने हैं।
बोहोत शोक था दूसरो को खुश रखने का,
होश तब आया जब में खुद अकेला आया।
Akelapan Shayari
अकेले पन को इतना अकेला बनाया मैंने,
अपना किस्सा खुद अपने आप को सुनाया मैंने।
मैं उस रास्ते पर भी अकेला चला हूँ,
जहां मुझे किसी की शक्त ज़रूरत थी।
रातों में खूब बातें होतीं हैं खुद से,
कौन कहता है अकेला हूँ मैं।
कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ-कहाँ से गुजरे,
अकेले ही नजर आये हम जहाँ-जहाँ से गुजरे।
अकेला छोड़ दे मुझको,
वरना प्यार हो जाएगा तुझको।
अकेले महसूस करो ख़ुद को तो मुझसे बात करना,
फ़िर भी मन ना लगे तो मुझसे मुलाक़ात करना।
अक्ल आयी थी मशवरा देने,
इश्क़ ने मुस्करा के टाल दिया।
ए इश्क़, मुझे माफ़ कर,
मैं अपने घर का एक अकेला ज़िम्मेदार हूं।
तूफान तक सह सकते हैं लोग,
अकेले सन्नाटा झेल नहीं पाते।
वो जो सबसे अकेला शख्स है ना,
कभी हर एक को दोस्त बनाने की आदत थी उसे।
तुम्हारे बिना मैं उतनी ही अकेली हूं,
जितनी एक पैर की चप्पल।
बात करो रूठे यारों से सन्नाटे से डर जाते हैं,
इश्क़ अकेला जी सकता है दोस्त अकेले मर जाते हैं।
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