Allama Iqbal Shayari in Hindi | अल्लमा इक़बाल शायरी

Allama Iqbal Shayari :अल्लमा इक़बाल या मुहम्मद इकबाल ( Muhammad Iqbal ) अविभाजित भारत के एक महान उर्दू शायर एवं पाकिस्तान के राष्ट्रकवि थे। इक़बाल जी ने सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा‘, ‘लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी‘ जैसी मशहूर गीतों की रचना की है। उर्दू और फ़ारसी में इनकी शायरी को आधुनिक काल की बेहतरीन शायरी में गिना जाता है। आज के इस पोस्ट में हम Allama Iqbal Shayari लेकर आए है। हम उम्मीद करते है की आपको ये पोस्ट जरूर पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,

ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।


Allama Iqbal Shayari in Hindi

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं,

अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं।


माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं, 

तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख।


तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ, 

मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ।


तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा, 

तिरे सामने आसमाँ और भी हैं।


Allama Iqbal Love Shayari


हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है, 

बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा।


Allama Iqbal Shayari in Hindi

अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी, 

तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन। 


अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल, 

लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे। 


दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब,

क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो।


बाग़-ए-बहिश्त से मुझे हुक्म-ए-सफ़र दिया था क्यूँ ,

कार-ए-जहाँ दराज़ है अब मिरा इंतिज़ार कर।


Allama Iqbal Shayari Hindi


नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर,

तू शाहीं है बसेरा कर पहाड़ों की चटानों में। 


Allama Iqbal Shayari in Hindi

इल्म में भी सुरूर है लेकिन, 

ये वो जन्नत है जिस में हूर नहीं। 


बाग़-ए-बहिश्त से मुझे हुक्म-ए-सफ़र दिया था क्यूँ,

कार-ए-जहाँ दराज़ है अब मिरा इंतिज़ार कर।


दिल से जो बात निकलती है असर रखती है, 

पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है। 


यूँ तो सय्यद भी हो मिर्ज़ा भी हो अफ़्ग़ान भी हो, 

तुम सभी कुछ हो बताओ मुसलमान भी हो। 


Allama Iqbal Shayari in Hindi


अक़्ल को तन्क़ीद से फ़ुर्सत नहीं, 

इश्क़ पर आमाल की बुनियाद रख। 


Allama Iqbal Shayari in Hindi

वतन की फ़िक्र कर नादाँ मुसीबत आने वाली है, 

तिरी बर्बादियों के मशवरे हैं आसमानों में। 


तिरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया न वो दुनिया, 

यहाँ मरने की पाबंदी वहाँ जीने की पाबंदी।


अनोखी वज़्अ' है सारे ज़माने से निराले हैं 

ये आशिक़ कौन सी बस्ती के या-रब रहने वाले हैं।


बुतों से तुझ को उमीदें ख़ुदा से नौमीदी, 

मुझे बता तो सही और काफ़िरी क्या है।


Allama Iqbal ki Shayari


नहीं है ना-उमीद 'इक़बाल' अपनी किश्त-ए-वीराँ से, 

ज़रा नम हो तो ये मिट्टी बहुत ज़रख़ेज़ है साक़ी। 


Allama Iqbal Shayari in Hindi

यक़ीं मोहकम अमल पैहम मोहब्बत फ़ातेह-ए-आलम, 

जिहाद-ए-ज़िंदगानी में हैं ये मर्दों की शमशीरें।


भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी,

बड़ा बे-अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ ।


तू ने ये क्या ग़ज़ब किया मुझ को भी फ़ाश कर दिया, 

मैं ही तो एक राज़ था सीना-ए-काएनात में। 


आईन-ए-जवाँ-मर्दां हक़-गोई ओ बे-बाकी,

अल्लाह के शेरों को आती नहीं रूबाही। 


Allama Iqbal Shayari


कभी हम से कभी ग़ैरों से शनासाई है,

बात कहने की नहीं तू भी तो हरजाई है।


Allama Iqbal Shayari in Hindi

मुझे रोकेगा तू ऐ नाख़ुदा क्या ग़र्क़ होने से, 

कि जिन को डूबना है डूब जाते हैं सफ़ीनों में।


निगह बुलंद सुख़न दिल-नवाज़ जाँ पुर-सोज़, 

यही है रख़्त-ए-सफ़र मीर-ए-कारवाँ के लिए। 


न पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमाँ-बर्बाद रहने की, 

नशेमन सैकड़ों मैं ने बना कर फूँक डाले हैं।


अंदाज़-ए-बयाँ गरचे बहुत शोख़ नहीं है,

शायद कि उतर जाए तिरे दिल में मिरी बात। 


अल्लमा इक़बाल शायरी


मोती समझ के शान-ए-करीमी ने चुन लिए, 

क़तरे जो थे मिरे अरक़-ए-इंफ़िआ'ल के। 


Allama Iqbal Shayari in Hindi

हवा हो ऐसी कि हिन्दोस्ताँ से ऐ 'इक़बाल',

उड़ा के मुझ को ग़ुबार-ए-रह-ए-हिजाज़ करे।


मिरी निगाह में वो रिंद ही नहीं साक़ी, 

जो होशियारी ओ मस्ती में इम्तियाज़ करे। 


ज़मीर-ए-लाला मय-ए-लाल से हुआ लबरेज़, 

इशारा पाते ही सूफ़ी ने तोड़ दी परहेज़।


नहीं इस खुली फ़ज़ा में कोई गोशा-ए-फ़राग़त, 

ये जहाँ अजब जहाँ है न क़फ़स न आशियाना। 


गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देख 

है देखने की चीज़ इसे बार बार देख 


मक़ाम-ए-शौक़ तिरे क़ुदसियों के बस का नहीं 

उन्हीं का काम है ये जिन के हौसले हैं ज़ियाद 


तू है मुहीत-ए-बे-कराँ मैं हूँ ज़रा सी आबजू 

या मुझे हम-कनार कर या मुझे बे-कनार कर 


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