Bharosa Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है भरोसा शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको जरूर अच्छा लगेगा और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
निगाहों में कोई भी दूसरा चेहरा नहीं आया,
भरोसा ही कुछ ऐसा था तेरे लौट आने का
जो लम्हा साथ हैं उसे जी भर के जी लेना,
कम्बख्त ये जिंदगी भरोसे के काबिल नहीं हैं।
एक बार फिरसे मोहब्बत करेंगे हम,
भरोसा उठा है हमारा जनाज़ा नहीं।
कुछ ठोकरों के बाद नजाकत आ गयी मुझमें,
अब दिल के मशवरों पे मैं भरोसा नहीं करता।
भरोसा कोई एक तोड़ता है,
और नफरत सब से हो जाती है।
हिसाब तेरी चाहत का हम भी कहा रखते है,
एक तेरे ही भरोसे पे जमाना छोड़ बैठे है।
लोग कहते है पैसा पास रखो बुरे वख्त काम आयेग
में कहता हूँ मुझपे भरोसा रखो बुरा वख्त ही नही आयेगा।
गम ना करना तू भी सनम मुझे तेरी मोहब्बत पे भरोसा पूरा है,
तन्हाईयाँ चुबती हैं बस क्योंकि तेरा मेरा मिलन अभी अधूरा है।
आज भी हारी हुई बाज़ी खेलना पसंद हैं हमें,
क्योंकि हम तकदीर से ज्यादा खुद पर भरोसा रखते हैं।
मार देने का इरादा है तो मार दो एक ही वार में,
ये बार बार जो घाव देना हमे अंदर से तड़पा रहा भरोसे की आड़ में।
भरोसा तो आजकल खेलने का एक तरीका है,
नही तो लोग यूँ लोगों को तड़पता छोड़ न जाते।
वादा नही पर इतना तो ज़रूर है कि,
भरोसा दिलाने के लिए कसमो की वक़ालत नहीं है।
ये जो आज तुमने यूँ ही कह दिया कि भरोसा है,
मुझपर कसम से आत्मा खुशी से झूम उठी।
जो कहना है कह दीजिए जल्दी ही,
जिन्दगी है बहुत छोटी और मौत का भरोसा इतना भी क्या क्या पता कब आ जाए।
हमदर्द करने का दिखावा भी अजीब है,
सबको भरोसा दिला ही देता हूँ की वे सबसे ख़ास हैं मेरे
सच क्या है और क्या-क्या है क्या बताएं,
आपको लोगों को भरोसा न रहा मेरी बात का।
हमें तो भरोसा था आप की वफ़ादारी पर
आज पता चला कि आपहमें अकेला छोड़कर फुल्की खानें चल दिये।
मुक़्क़दर का क्या भरोसा कभी लौट भी आये,
अब हम किसी के भी भरोसे बैठना छोड़ चुके हैं।
ग़ैरों पे भरोसे की आदत डाल ली हमनें,
रावन की मौत का कारन भी अपना ही कोई था।
इश्क़ का क्या है हो जाएगी फिर से शायद,
भरोसा जो टूट गया है अब शायद वैसा हो ही न पाये।
जिंदगी इस मोड़ पे आ जायेगी हमें भरोसा न था,
हमें तो लगता था जहाँ जाएँगे सिकंदर हम ही होंगें।
चलो घूम आएं कहीं ज़िन्दगी का क्या भरोसा,
तो सुनो ज़माना बदल गया हैघर में रहोगे तो ज़िन्दगी बची रहेगी।
पता नहीं कैसे भरोसा करें लोगों पर
यहाँ हर रोज़ कोई अपना किसी अपनें का गला काट देता है।
जिस भरोसे से हमनें उसे पानें की बग़ावत की थी,
खुद उसी नें रौंद दिया अपनें पैरों तले मेरे ग़ुरूर को।
आजकल नए लोगों से मिलना मिलाना हमनें छोड़ दिया है,
वो क्या है जो अपनें थे वो तो चले गएजो आएंगे उनका क्या भरोसा।
Bharosa shayari in Hindi
यक़ीन नहीं होता कि वो मेरा है अब,
पर उसका भरोसा देख के भरोसा हो ही जाता है।
कहावतों पे गाँव की हमें भरोसा न था,
पर मौत ऐसी चीज़ है एक मरे तो दूसरे भी काँप जाते हैं।
पर तुझसे बिछड़ जानें का खयाल मुझे रुला देता है,
उन्हें लगता है ख़ैरात है मेरी वफ़ा।
वो मैसेज करेंगे और मैं भरोसा पूरा कर लूंगी,
उसनें कहा भरोसा है नाँ मुझपे
मैंने कहा जान नहीं दे सकता और बताओ क्या करें।
उसे भरोसा ही नहीं कि उसके जाने के बाद भी जिंदा हूँ मैं,
शायद अबतक उसे समझ नहीँ आया मैं सह सकता हूँ बहुत हद तक।
मिटी हुई तस्वीरों पे भरोसा न किजिए,
मुरझाए फूलों से ख़ुशबू की उम्मीद नहीं होती।
किसी मुसाफ़िर पे इतना भरोसा अच्छा नहीं,
लोग यहाँ हार पहनानें के बहानें गला काट देते हैं।
यकीन मानों भरोसा करोगे
तो रोना पड़ेगा
दोस्त समझ कर भरोसा कर लिया था मैनें,
उसनें काम निकलवानें की हद तक निचोड़ा मुझको।
चेहरे पढ़ने का हुनर सीख लो,
यूँ बार बार भरोसा करके भुगतना अच्छा नहीं होता।
हर एक सख़्श यहाँ कई चेहरों वाला है,
यकीन मानिए मैनें भरोसा किया था कइयों पर।
भरोसा-ए-इश्क़ पर हमें भरोसा नहीं आजकल,
हमबिस्तर किसी ग़ैर से होनें में भी लोग सोचा नहीं करते तो हम क्या करें।
करके लाख दुआएँ भी मैं हार रहा हूँ,
पर भरोसा अब भी मैनें परवरदिगार पर कायम रखा है।
वादे तो अक़्सर टूट जाते ही हैं उनका क्या,
पीड़ा तो साहब भरोसा टूटने पर हुईऔर वो भी जानलेवा किस्म की।
हम तो वक़्त बेवक़्त ख़ुद से ही बात कर लिया करते हैं आज़कल,
औरों का क्या भरोसा हो सकता है भरोसा तोड़ दें वो।
सबूत हर इक बात का देना पड़ रहा है,
भरोसा वाक़ई बुरे दौर से गुज़र रहा है।
कैसे कर लेती भरोसा उसकी मोहब्बत पर उसने, मोहब्बत करना भी यूट्यूब से सीखा है।
जो लम्हा साथ है उस जी भर के जी लिया करो,
ये कमबख्त जिंदगी भरोसे लायक नहीं है।
दिल बड़ा रखिये और लोगों को माफ़ कर दीजिये,
पर समझ इतनी रखिये कि दुबारा उन पर भरोसा मत कीजिये l
मेरी निगाह में फिर कोई दूसरा चेहरा नहीं आया,
भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का।
कुछ लोगों ने मुझे ये भरोसा दिलाया है,
कि कुछ लोग भरोसे के लायक नहीं होते।
ग़ैरों पे भरोसे की आदत डाल ली हमनें,
रावन की मौत का कारन भी अपना ही कोई था।
यकीन कर मुझे भरोसा तो बहोत है,
पर तुझसे बिछड़ जानें का खयाल मुझे रुला देता है।
क्यों भरोसा करता है गैरो पर,
जबकि तुम्हे चलना है खुद के पैरो पर।
रिश्ता चाहे दोस्ती का हो या फिर प्यार का,
एक दुसरे का सम्मान और भरोसा बेहद जरुरी है।
मोहब्बत को वो दोस्ती का नाम देती है,
वफा तो है लेकिन भरोसा नही करती है।
भरोसा जीता जाता है मांगा नही जाता,
ये वो दौलत है जो पाया नही कमाया जाता है।
हमने अपने नसीब से ज्यादा अपने दोस्तों पर भरोसा रखा है,
क्यूंकि नसीब तो बहोत बार बदला है पर मेरे दोस्त अभी भी वही है।
सुनो जनाब ज़िन्दगी का तो भरोसा नही लेकिन जब तक मेरे सीने में दिल धरकता है तब तक मेरे दिल मे आप ही रहोगी।
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