Ishq Shayari in Hindi: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है इश्क शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको जरूर पसंद आएगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
बदतमीज़ बे-हया बे-दर्द बेरहम होता है,
सुन ले ओ बे-खबर इश्क़ फिर भी इश्क़ ही होता है।
वजह बिछड़ने की कुछ और थी कुछ और बताते रहे,
वो मेरा अपना इश्क था जो कुछ ज्यादा ही सताते रहे।
ज़िन्दगी की कश्मकश में और क्या बाक़ी था,
इश्क जिस से हुआ वो ही बेवफा निकला था।
तू रख गुरूर तेरे हुस्न का बेशक,
हम आँखें मूंद कर इश्क करते हैं ।
कुछ तेरा इश्क कुछ तेरी हसरत,
अब और रखा ही क्या है मुझ में।
इश्क शायरी
इश्क़ का इज़हार नही हुआ तेरे बाद,
और किसी से प्यार नही हुआ तेरे बाद।
खुद को सनम की अमानत समझ कर,
हर लम्हा वफ़ा करते रहना ही इश्क़ है।
इश्क ने मुझे जख्म तो बहुत दिए है,
और दर्द तो जैसे मुझे तोहफे मैं मिले है।
इश्क गुनाह करवा ही देता है,
आशिक का सर झुका ही देता है।
वो इश्क़ ही क्या जो मरने को मजबूर कर दे,
इश्क़ तो वो है जो दोबारा जीने को मजबूर कर दे।
मेरे इश्क करने के तरीके जुदा है औरों से,
मुझे तन्हा रहने पर भी इश्क करना आता है।
इश्क की साजिसे कुछ इस तरह हुई,
मोहब्बत में ही जिंदगी तमाम हुई।
इश्क़ के ख्यालों का एक हँसी मंज़र हो तुम,
डूब गई है मेरे दिल की कश्ती जिसमे वो समंदर
हो तुम।
इश्क मुझसे मेरा ऐसे जुदा है,
बाद मरने के बस मेरा खुदा है।
इश्क का धंधा ही बंघ कर दिया साहेब,
मुनाफे में जेब जले और घाटे में दिल।
तेरे इश्क को मैने किताबो में निखारा है,
महक तेरे इश्क की महफिलों में बिखेरा है।
मेरे आने का यूं तेरा इंतजार करना मेरे इश्क का असर है,
मुलाकात के बाद मेरा यूं निखरना तेरे इश्क का असर है
वक्त वक्त की बात होती है इश्क में जिंदगी गुलजार
होती है,
बिछड़ जाए सनम अगर यही जिंदगी नरक से भी
बदतर होती है।
है अगर इश्क तो इकरार कर,
नही तो मुझे अपनी जिंदगी से आजाद कर।
ना छेड़ वो किस्सा इश्क का बहुत लंबी कहानी है हम,
किसी गैर से नहीं हरे किसी अपने की मेहरबानी है।
पहले खुशी फिर ज़िद फिर आदत बन जाता है,
इश्क़ और निखर जाता है जब इबादत बन जाता है।
इश्क करते है तुमसे इसलिए खामोश है अबतक,
खुदा न करे मेरे लब खुले और तुम बर्बाद हो जाओ।
वज़ाहत इसकी पूछोगे तो फिर लाज़िम है उलझोगे,
ये अक्सर बे-वजह होता है जिसको इश्क़ कहते हैं।
बदल ही देता है चेहरे की रंगत,
इश्क़ भी सर्जरी से कम नहीं है।
वो शराब का प्याला नही जो पी लूं उसे,
वो इश्क है मेरा बस इसी एहसास मैं जी लू उसे।
सर से पांव तक वो हुस्न की मिसाल है,
कोई और नही वो मेरा इश्क मेरी जान है।
दर्द सा है दिल में सुकून नही जिंदगी मैं
जख्म गहरे हुए है इश्क में लाइलाज हवा हु मर्ज में।
लोग कहते है तुम कुछ बदल से गए हो,
पहले आबाद थे इश्क मैं अब बरबाद लग रहे हो।
माना जिंदगी में इश्क से बड़ा कोई रोग नहीं है,
लेकिन इश्क से बेहतर कोई मरहम भी नहीं है।
कदम भला बहके कहाँ है शराब से,
ये तो बहके हैं करके इश्क़ एक गुलाब से।
हर एक चेहरे को जख्मों का आईना न कहो,
ये इश्क तो है रहमत इसे सजा मत कहो।
थाम रखा है तेरे इश्क ने इस कदर,
कई जनमो से हम हमसफर हो जैसे।
इश्क में हुजूर कहा हिसाब होता है
इश्क हर हाल मैं बेमिसाल और लाजवाब होता है।
इश्क़ का ना रंग उतारा ना ही ख़ुशबू कम हुई,
किताब में रक्खा वह सूखा गुलाब आज भी ज़िंदा है।
मैं सुलझा सा लड़का परेशान सा हूं,
मैं शायर तेरे इश्क का बिमार सा हूं।
तैरकर पार भी आ सकते थे दरिया से मगर,
इश्क़ लहरों से हुआ था तो डूबना ही था ।
वादा है जब भी मिलोगे हर बार तुम्हें इश्क होगा,
मुहब्बत पुरी शिधत से होगी और प्यार बेपनाह होगा।
रूह से तुम्हें महसूस करें लफ्ज़ों में तुम्हारे खो जाए ,
इश्क का मौसम है कहो तो तुम्हारे हो जाऐ।
कहा था किसी ने इश्क़ में बर्बाद हो जाओगे,
मैं से हम हम से तुम, तुम से कौन हो जाओगे।
कर लू जो कैद तुम्हे इश्क के दायरे में,
लोग जल जायँगे तुम्हे मेरे इतना करीब देख के।
बेईमानी भी तेरे इश्क ने सिखाई थी,
तू ही पहली चीज है जो माँ से छिपाई थी।
खता की थी इश्क़ की कहाँ मिलती माफ़ी है,
ना पूछो हाल-ए-दिल ज़िंदा हूँ बस यही काफी है।
हर एक शख्स खफा मुझ से इश्क़ की महफ़िल में था,
क्योंकि मेरे लब पे वही था जो मेरे जहन और दिल में था।
पहले इश्क फिर धोखा फिर बेवफ़ाई,
बड़ी तरकीब से एक शख्स ने तबाह किया।
वफा वक्फ करके मोहब्बत तर्क कर दी
उस बेवफा ने इश्क कर के जिंदगी तबाह कर दी।
इश्क में जख्मी जिस्म कहा बिकते है जनाब,
हम को भी बेच दो कोई खरीदार हो तो।
इश्क मैं नाराजगी होना लाजमी है,
थोड़ा नजर अंदाज करना भी जरूरी है।
इरफान इश्क की राह में कोई दावा नही करता,
दीवाना इश्क करता है दिखावा नहीं करता।
धड़कते रहेंगे तुम्हारे दिल की गहराइयों में दिन रात हम,
जो कभी खत्म न हो वो अहसास हैं हम।
मेरे ख्यालों की रहगुजर में तेरा ही नूर है,
गुमशुदा से हो गये हम तेरे इश्क का कुसूर है।
इश्क सिर्फ रोने के लिए नही था,
कुछ गम कुछ दिल का फसाना भी था।
अपने दिल के जख्मों को कलम से लिख नही पाता हूं,
इश्क मैं तुमसे करता हूं तुम्हारे बिन रह नही पाता हूं।
जरा संभलकर इश्क फरमायें हुजूर,
गर बस गए सांसों में तो नशा हो जायेगा।
इश्क वो नहीं जो तुझे मेरा कर दे,
इश्क वो है जो तुझे किसी और का ना होने दे।
ये इश्क एक जुआं है बताओ खेलोगे,
समझलो दांव पर सब कुछ लगाना पड़ेगा।
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