Mast Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है मस्त शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको जरूर पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
बात कोई और होती तो कह भी देते,
कम्बखत मोहब्बत है बतायी भी नही जाती
बिक गया मेरा सारा गुरूर,
एक उनकी चाहत खरीदने में।
मैंने ही बड़ा रखा था उसका दाम सरेबाज़ार,
सुना है, मेरे बाद बहुत सस्ता बिकना पड़ा उसे।
अगर रो पढ़ू किसी दिन तेरे सामने,
तो समझ लेना वो मेरे बर्दाशत की आखिरी हद थी।
जी तो लेंगे हम तुम्हारे बिना,
मग़र ज़िन्दगी जीने में अब वो बात नहीं रहेगी।
कितना कुछ कहना था तुमसे,
पर तुमने मुझे पहले ही मौन कर दिया।
सारी दुनिया छोड़ के मैंने तुझको अपना बनाया था,
करोगे याद सदियो तक किसी ने दिल लगाया था।
उम्र कम थी मेरी, इश्क बेहिसाब हो गया,
इक वक्त के बाद ये रोग लाइलाज हो गया।
दोस्ती रूह में उतरा हुआ मौसम है जनाब,
ताल्लुक कम करने से दोस्ती कम नहीं होती।
मोहब्बत में महबूब की आज यूँ अपनी बेबसी देखी,
उनकी तस्वीर तक जलाई मगर राख नही फेंकी।
नसीब मै कुछ रिश्ते अधुरें ही लिखें होते हैं,
लेकिन उन की यादें बहुत ख़ूबसूरत होती हैं।
क्यूँ करूँ कि तुम मुझे चाहोगे उम्र भर,
इतना ऐतबार ही काफी है कि मुझे भूल नहीं पाओगे उम्र भर।
रिश्तों को वक़्त और हालात बदल देते हैं,
अब तेरा ज़िक्र होने पर हम बात बदल देते है।
मुझसे ना मिल सकेगा किसी का मिज़ाज,
मुझको तो अब काले गुलाब ही पसंद हैं।
नींद आती है अगर जलती हुई आँखों में
कोई दीवाने की ज़ंजीर हिला देता है
उसकी कुछ खेर खबर हो तो बताओ यारों
हम किसी और दिलासे में नहीं आएंगे
मसला अगर तेरी ख़ुशी का है तो
हर मंदिर पर अपना सर झुकाउंगा
इक आदमी की बड़ी क़द्र है मेरे दिल मे,
भला तो वो भी नहीं है,मगर बुरा कम है
सौ तरह से याद आते हो तुम,
और मुझे करवटें दो ही आती हैं।
ग़म हूँ दर्द हूँ साज़ हूँ या आवाज़ हूँ,
बस जो भी हूँ तुम बिन बहुत उदास हूँ।
जिन पर मैं थोड़ा सा भी आसान हुआ हूँ
वही बता सकते हैं कितना मुश्किल था मैं
और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे है.
दूर ना जाओगे ये वादा कर दो,
मैं तेरी दी हुई हर बंदिश की परवाह करूंगा
एक नाम ठहर जाता है जुबां पर उम्र भर के लिए,
कौन कहता है कि वक़्त ठहरता नहीं है
इश्क़ तेरे सिवा किसी से हुआ ही नहीं
जिस्म लेकर आये थे बहुत तेरी कसम किसी को छुआ ही नहीं।
लोग दूरियां बना के ज़िंदा है आजकल,
यहां हर कोई तेरी मेरी नकल कर रहा है।
न जाने कौन है जाता ही नहीं ज़हन से मेरे,
जैसे कोई नाव किसी सूखी नदी में ठहरी हो।
जो कभी ना भर पाए,एसा भी एक घाव है,
जी हां उसी का नाम लगाव है।
मैं पीसती रही इलायची, अदरख, दालचीनी,
पर महक चाय से तेरी यादों की आयी।
तेरी मुस्कान से सुधर जाती है तबियत मेरी,
बताओ ना तुम इश्क़ करते हो या इलाज़।
तू जैसे चाहे मुझसे इन्तेकाम ले ले,
बस एक बार आजा फिर चाहे जान ले ले।
सब तुझे चाहते होंगे तेरा साथ पाने के लिये
मैं तुझे चाहता हूँ तेरा साथ देने के लिये
नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नही,
इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही।
जी भर के देखूं तुझे अगर तुझको गवारा हो,
बेताब मेरी नजरें हो और चेहरा तुम्हारा हो।
इतनी चाहत के बाद भी तुझे एहसास ना हुआ,
जरा देख तो ले दिल की जगह पत्थर तो नहीं।
तुझको चुन लिया है मैंने ज़िंदगी भर के लिये,
मैं कोई बेईमान नहीं कि रोज़-रोज़ ईमान बदलूँ।
जितने की जिद है तो लोगो की नही दिल की सुनो
किसी ने धूल क्या झोंकी आँखों में पहले से बेहतर दिखने लगा।
जिनकी नज़रों में हम बुरे हैं
खुदा उन नज़रों को सलाम्मत रखे।
जिंदगी में वो अजनबी बन कर आये थे,
अब अपने बन कर दूर जा रहे हैं।
मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।
आते जाते हैं कई रंग मेरे चेहरे पर,
लोग लेते हैं मजा ज़िक्र तुम्हारा कर के।
कुछ दर्द कुछ नमी कुछ बातें जुदाई की,
गुजर गया ख्यालों से तेरी याद का मौसम।
कभी टूटा नहीं दिल से तेरी याद का रिश्ता,
गुफ्तगू हो न हो ख्याल तेरा ही रहता है।
तस्वीर में ख्याल होना तो लाज़मी सा है,
मगर एक तस्वीर है जो ख्यालों में बनी है।
मुझे जिस दम खयाले-नर्गिसे-मस्ताना आता है,
बड़ी मुश्किल से काबू में दिले-दीवाना आता है।
पीते-पीते जब भी आया तेरी आंखों का खयाल,
मैंने अपने हाथ से तोड़े हैं पैमाने बहुत।
रोज़ आता है मेरे दिल को तस्सली देने,
ख़याल ऐ यार को मेरा खयाल कितना है।
आने लगा हयात को अंजाम का खयाल,
जब आरजूएं फैलकर इक दाम बन गईं।
तेरी चाहत में रुसवा यूँ सरे बाज़ार हो गये,
हमने ही दिल खोया और हम ही गुनहगार हो गये।
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