Murshad Shayari: नमस्कार दोस्तों, हमेशा की तरह आज फ़िर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है मुर्शीद शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको अच्छा लगेगा और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
ग़जब का हंगामा है उसके शहर में मुर्शिद,
हर शख़्स कह रहा है वो मेरा है वो मेरा है।
मुर्शीद निकले हैं वो लोग मेरी शख्सियत बिगाड़ने,
किरदार जिनके खुद मरम्मत मांग रहे हैं।
मुर्शद उसे कहना के तुम्हारी याद आती है,
मुर्शद और उसे ये भी कहना के हम रो पड़ते हैं।
मुरशद हाल सुनना मुश्किल है,
इसलिए शेर सुनता रहता हूं।
मोहब्बत वाजिब थी हम पर हम ने कर डाली मुर्शिद,
वफ़ा फ़र्ज़ है तुम पर देखते हैं अदा करते हो या कजा़
देखता हूं अब तेरी याद कैसे आती है,
मुरशिद से अभी ताबीज बनवा कर आ रहा हूं।
मैं तो बस कश्ती थी मुर्शद
किनारे पर कोई और थी।
दुश्मनी उसकी तबियत में रची है मुर्शद,
कोई चिंगारी जहाँ देखी हवा दी उसने।
क्या हम भी जन्नत मे जायेंगे मुर्शीद,
हम तो हर जगह से ठुकराये हुए हैं।
उम्र कच्ची हो ज़हन बूढ़ा हो जाये
मुर्शीद ऐसी जवानी का दुख समझते हो।
उस लड़के का दुख भला तुम क्या समझोगे मुर्शीद,
जिसे मोहब्बत घेर ले और वो बेरोजगार हो।
मोहब्बत तो मेरी भी मुकम्मल हो सकती थीं मुर्शीद,
पर अफसोस वो शाकाहारी थी और मैं मुर्गाहरी।
खैर अब कोई नही खैरियत पूछने वाला,
मुर्शिद जहाँ रहे मेरे चाहने वाले ख़ुश रहे।
उफ्फ वो तेरे नाम का पासवर्ड रखना,
सुना है इश्क़ में पागलपन कहलाता है।
बस एक मोड़ ग़लत मुड़ गया था मुर्शिद,
फ़िर ना रास्ते मिले औऱ ना ही घर आया।
हर बात पे जो कर लेते है ऐतबार आप का मुर्शिद,
हमारी मोहब्बत को हमारी बेकफूफी ना समझो।
चेहरे से कहा पता चलता है मुर्शिद,
कौन अपने अंदर कितना दर्द रखता है।
मोहब्बत का मज़ा तब आता है मुर्शिद,
जब एक उदास हो औऱ दूसरे पर क़ायामत आ जाएं।
तुम मेरे दिल की उस गली में रहते हो मुर्शिद,
जहाँ पहला घर खुदा का है।
सीखा ही तो रही है ज़िंदगी आहिस्ता आहिस्ता मुर्शिद
जाने क्यो लोग नीद की गोलियां क्यो लेते है।
मुझे तुमसे शिकायत नहीं लेकिन मुरशद,
मगर याद आता है तेरे मुझसे मोहब्बत करना।
रोज़ जी भर कर आपको देखतें ही होंगे मुर्शिद,
आपके घर बालो की क्या ही बात हैं।
सारी दुनिया की मोहब्बत से किनारा करके मुर्शिद,
हमने खुद को रखा है तुम्हारा करके।
जाओ मुर्शिद तुम्हे इजाज़त है रूको,
जाते जाते सब दरवाज़े बंद कर जाना।
सुना था फ़रिश्ते जान लेते है मुर्शिद,
खैर छोड़ो अब तो इंसान लेते है।
सारी दुनिया की मोहब्बत से किनारा करके मुर्शिद,
हमने खुद को रखा है तुम्हारा करके।
इश्क़ जिंदा भी छोड़ देता है मुरशद,
मैं तुम्हे अपनी मिसाल देता हूं।
मुर्शीद हमें सिंगल नहीं मरना,
मुर्शीद हमें भी जानू चाहिए।
मुर्शीद वफा की बातें सिर्फ खयालों में रहने दो,
मुर्शीद ये इश्क़ मोहब्बत किताबों में रहने दो।
मुर्शीद निकले हैं वो लोग मेरी शख्सियत बिगाड़ने,
किरदार जिनके खुद मरम्मत मांग रहे हैं।
वो जो मेरे बाल तक बिखरने नहीँ देता था,
मुर्शिद मुझे वो इस हाल में देखेगा तो मर जायेगा।
ये जो तुम करने लगे हो इश्क़ में हिसाब-किताब,
मुर्शद हम जो करने बैठे तो ख़रीद लेगे तुझे।
उसे भूल जाने का इरादा कर लिया है,
भरोसा मुर्शिद खुद पर कुछ ज्यादा ही कर लिया है।
हैरत करू मलाल करू गिला करु,
तुम गैर लग रहे हो मुर्शद बताओ मैं क्या करूँ।
मैंने उसे छोड़ना ही मुनासिब समझा मुर्शीद,
क्योंकी मैं उसे बाँट नहीं सकता था।
मुर्शिद हर एक रात में महताब देखने के लिए,
हम तो सोते हैं तेरे ख़्वाब देखने के लिए।
तेरे किरदार में ऐसा क्या है मुर्शिद,
हम एक उम्र से तलबगार सिर्फ तेरे है।
आज मौसम का गुरूर तो देखो मुर्शिद,
जैसे मेरे महबूब का दीदार कर आया हो।
सलीके हमें भी आते है उन्हें कब्ज़े में करने के,
मुर्शिद उनसे कहदो अपनी अदाओं पर गुरूर न करें।
नहीं मिलता वक्त साथ गुजारने को,
मुर्शिद! हम दोनो एक ही फलक के सूरज चांद है।
एक बार फिर से मोहब्बत करेंगे हम मुर्शिद,
भरोसा उठा है हमारा जनाज़ा नहीं।
सब्र अब कब तक किया जाये मुर्शीद,
उसकी याद मेरी जान पर बन आयी हैं।
मेरे गाँव की शहजादीयां जलती थी मुर्शिद,
मैं एक सांवली को अपनी जान बुलाया करता था।
सर्द रातों में उसकी यादों का कम्बल बन जाना,
मुर्शिद किसी नेअमत से कम नहीं हैं।
मुर्शिद जब उसको मेरे ख़्याल आते होंगे,
रुख़्सार खिलते होंगे लब मुस्कराते होंगे।
उसे भूल जाने का इरादा कर लिया है,
भरोसा मुर्शिद खुद पर कुछ ज्यादा ही कर लिया है।
अब तेरा खेल खेल रही हु अपने साथ,
मुर्शीद खुद को बुलाती हूं औऱ आती नही हूं।
मैंने उसे छोड़ना ही मुनासिब समझा मुर्शीद,
क्योंकी मैं उसे बाँट नहीं सकता था।
मुर्शीद हमारी न क़दर की गई,
मुर्शिद हमें बिन चाय पिलाये निकाला गया,
मुर्शीद हमें कहा गया भाड़ में जाओ।
मुर्शद कहानी फिर लिखी जाए,
इस बार बेवफाई हमें करनी है।
रात सारी गुजरी इन हिसाबों में मुर्शद,
उसे मोहब्बत थी नहीं थी है या नहीं है।
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