Single Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है सिंगल शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको जरूर अच्छी लगेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
कहीं जो प्यास लगे तो इधर चले आना,
यहाँ इश्क़ बहता है शायरी छलकती है।
उम्र भर हमने मुहब्बत की इबादत की है,
अब हम इस उम्र में अल्लाह नहीं बदलेंगे।
तरस गई है आंखे तेरे दीदार को,
काश आखरी बार थोड़ा और देख लेता।
बात करने से बात बन जाती है,
यही सोचकर वो बात नहीं करते।
तुम कोशिश ना करो मुझे रुलाने की,
मुझे आदत है गम में भी मुस्कराने की।
तेरे जाने के बाद यारा इतने गम मिलें,
कि अब तेरे जाने का गम ही न रहा।
तुम्हारे बाद ये दुख भी तो सहना पड़ रहा है,
किसी के साथ मजबूरी में रहना पड़ रहा है।
जाने कैसे छूते हैं लोग अब की बीमार पड़ जाते है
हमे जब किसी ने छुआ था तो हमें इश्क़ हुआ था
जिनको हम इतना लिखते है,
क्या वो हम पर भी कुछ लिखते होंगे।
कभी तो ठहरेगा उसका भी सफ़र,
जो हमराह बन हमें राह में गुमराह कर रहा।
सोचा था कि किसी से मोहब्बत नहीं करेंगें,
देखी जो अदा उनकी तो ख़यालात बदल गये।
कपड़ों से पर्दा होता है साहब,
हिफाजत तो निगाहों से होती है।
आओ बैठो करीब मेरेे कभी तुम भी कुछ बात कर लो,
मेरे लफ्ज़ अगर ख़ामोश है तो तुम ही शुरुआत कर लो।
झूठा कोई इल्ज़ाम लग जाये तो क्या कीजिये,
फिर ये करें कि वो गुनाह कर लीजिए।
कोई थक चुका है सफर से,
कोई हार चुका है खुद से।
ये बात अलग है कि वो मेरा कातिल है,
मगर पूरे शहर में तारीफ के काबिल है।
यूं ही शायर नहीं बने साहिब,
अपने दिल और जज्बातों का कतल करवाया है।
तुम्हारी याद मे मैं चाए बहोत पीता हूँ,
य़ा तो दीदार काराओ य़ा फिर चायपत्ती भेजो।
अपने सामने किसी और को गले लगाते हुए देखा है,
हाँ मैंने मेरी मुहोब्बत को जाते हुए देखा है।
सभी को खलता है मेरा मशहूर होना,
गुनाह है क्या खुद के पैरों पर खड़ा होना।
दिल की बेचैनियों का क्या हम जिक्र करे,
फरेब भी वही पर हुआ जहां बेफिक्र हुए।
सपना कुछ और ही देखा था,
पर जिंदगी ने कुछ और ही दिखा दिया।
उसे शक़ है हमारी मुहब्बत पर लेकिन,
गौर नहीं करता मेरी मेहँदी का रंग कितना गहरा हैं।
इशक वो नही जो तुझे मेरा कर दे,
इशक वो है जो तुझे किसी और का ना होने दे।
इक रात चाँदनी मिरे बिस्तर पे आई थी,
मैं ने तराश कर तेरा तेरा चेहरा बना दिया।
फासले होंगे इतने कभी सोचा ना था,
सामने बैठा था वो मेरे पर मेरा ना था।
लाजमी नहीं कि तुम भी चाहो,
मैं इश्क हूं एकतरफ़ा भी हो सकता हूं।
उन्हें मंजिलों की क्या खबर,
जिन्हें रास्तों से इश्क़ हो।
सबकुछ तो बंद है इस ईद पे मौला,
इस बार चिमटा हमीद कहा से लाएगा।
चूड़ियाँ तो तुम्हारे पास बहुत सी हैं,
लेकिन जो मैं पहनाऊंगा उनकी बात ही कुछ और होंगी।
कुछ यूँ लगता है तेरे साथ ही गुज़रा वो भी,
हमने जो वक़्त तेरे साथ गुज़ारा ही नहीं।
रंग ख़ुश्बू और मौसम का बहाना हो गया,
अपनी ही तस्वीर में चेहरा पुराना हो गया।
बंद कमरों में जैसे खिड़कियाँ जरूरी हैं,
यूँ ही नजदीकियों में दूरियाँ जरूरी हैं।
मेरी आह ना बुझा दे तेरी खुशियों के चिराग,
मै एक हादसा हूं मुझे चुप चाप गुजर जाने दें।
मुझे मालूम था वो मेरा हो नही सकता,
मगर देखो मुझे फिर भी मोहब्बत हो गई उससे।
रूठी हुई किस्मत मेरी भी मेहरबान हो गई,
तेरी ही वजह से मेरी भी एक पहचान हो गई।
इश्क़ का उम्र से कोई लेना देना नही ज़नाब,
ये वो शय है जितनी पुरानी उतनी नशीली।
तूफान सा आ गया है मेरे आशियाने में शायद,
तनहाई ने कदम रख लिया है मेरे मयखाने में।
अदाएं क़ातिल होती हैं आंखे नशीली होती हैं,
मोहब्बत में अक्सर होंठ सूखे होते हैं आंखे गीली होती हैं।
ये अलग बात है मैंने कभी जताया नही,
मग़र तू ये नासमझ के तुमने दिल दुखाया नही।
अज़ीब किस्सा देखा आज हमने खुदकुशी का,
एक आदमी ने ज़िंदगी से तंग आकर मोहब्बत कर ली।
हाल ये है कि बस रोया जाए,
मलाल ये है कि किसके लिए रोया जाए।
वो अब तक उदास है मेरा फोन काटकर,
उसे गुमान था मेरी काल फिर आएगी।
तुम्हारा सिर्फ हवाओं पे शक़ गया होगा,
चिराग़ खुद भी तो जल-जल के थक गया होगा।
दिल का दर्द आँखों से बयान होता है,
ज़रूरी नही के हर ज़ख़्म का निशान होता है।
हाल तो पूछ लूं तेरा पर डरता हूं आवाज़ से तेरी,
जब भी सुनी है कमबखत मोहब्बत ही हुई है।
बात लम्हों की कभी थी ही नहीं,
हमें तो जिंदगी बितानी हैं तुम्हारी मोहब्बत में।
वार कर तुझ पर जँहा भर की खुशियाँ,
तुझे हंसता देखु जी चाहता है।
वो जो उठाते है क़िरदार पे उंगलियाँ,
तोहफ़े में उनको आईने दीजिये।
मैं हर क़दम पे कोसता रहा जिसको।
सड़क वो जैसी भी थी साथ साथ चली।
शहर का मौसम आज बहुत इतरा रहा है,
लगता है तुमसे गुफ्तगू करके आया है।
तेरे हांथों की चाय भी तेरे होंठों की तरह है,
कि लब लगाने के बाद हमसे छोड़ा नहीं जाता।
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