Akela Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है अकेला शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको अच्छी लगेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
उन किनारे के पत्थरों को ख़ामोश रहनें दो,
बड़े दिन से अकेले है कहीं इश्क़ न कर बैठें।
हमें तो भरोसा था आप की वफ़ादारी पर आज पता चला कि,
आप हमें अकेला छोड़कर फुल्की खानें चल दिये।
मेरे शहर में अपनों की कोई कमी तो न थी,
फिर भी अकेले यूँ तुझसे मिलने चले आये।
हमें पसंद है अकेले में रोना,
सापों से दोस्ती का सबब झेला है मैनें।
अश्क़ भी अब सूखनें की कगार पे हैं,
अब अकेले जीनें के आदत सीखनी होगी ही मुझे।
हर शर्त मानना मोहब्ब्त में ज़रूरी है क्या,
मोहब्ब्त तो दोनों तरफ़ से थी तो मैं अकेला क्यों रोऊँ।
हर बात का ज़वाब होता था उसके पास,
वो आख़िरी ज़वाब जो मिल जाता उससे यूँ अकेला मैं रों रहा नहीं होता।
मेरा मन नहीं करता कि मैं उसे अब मना लाऊँ,
गर ये नाटक-ए-ज़िन्दगी इश्क़ है तो हम अकेले अच्छे।
वो ख़ुद को मुझसे जोड़ने में लगा रहता है रात-दिन,
मैं मजबूर हूँ कमानें के लिए अकेले शहर आया हूँ।
वो दुआएं फिर भी उसके नाम की हर रोज़ करती है,
बेटे को उसे वहाँ अकेले छोड़े एक अरसा हो गया।
आज मैनें देखा है उसे मुस्कुराते हुए,
एक हम ही अकेले छटपटा रहें है उसके जानें के बाद।
मैं किनारे जाकर दरिया-ए-मोहब्ब्त के अकेला लौट आया हूँ,
मैं कमज़ोर खिलाड़ी इस खेल के क़ाबिल नहीं था।
सुनो एक काम कर दोगे मुझसे जी नहीं जा रही,
ये जिंदगी अकेले मेरे साथ जीओगे।
एक मैं ही अकेला दौड़ थोड़ी रहा था उसे पानें की रेस में,
पर बस मुझे ये था कि उससे इश्क़ करता हूँ मैं पाना न पाना अलग बात है।
मैं अकेला चलनें से डरता नहीं मगर,
तू साथ होता है चलनें में मज़ा आता है।
अब कैसे किसी ग़ैर का ऐतबार कर पाएँगे हम,
वक़्त नें सिखा दिया है अकेले रहना और कम बोलना।
मैं अकेला रहना चाहता हूं उसकी ख़ातिर,
वो गर कभी लौटे और मैं ना मिलूँ ये सोच भी मुझसे मार देगी।
मैं सुबह से अकेले ही बैठा था मगर शाम को,
उसके जानें के बाद का अकेलापन मुझे चुभनें लगा है।
बहुत मसरूफ़ रहा वो अपनें काम काज में,
बहुत अकेला रह गया मैं बस उसके इंतेज़ार में।
बड़े ख़ुश्क़िस्मत होते हैं वो लोग जिनके सपनें पूरे होते हैं,
हम उनमें से हैं जो अकेले ही रातों को रोते हैं।
Akela Shayari in Hindi
कही दूर इस शहर से चलना है तेरे साथ,
और फ़िर हम और तुम अकेले औऱ एक बेहतरीन शाम।
अकेले चलना बड़ा मुश्किल काम है,
पर यकीन मानिए जानना ज़रूरी है एक बार औक़ात अपनीं भी।
किसी ख़ास ज़गह मोहब्बत का निसान दिया है हमनें उनको,
औऱ वो पागल अकेले में उसे देखकर ख़ुश हो लिया करती है।
आसान तो नहीं पर अच्छा काम है सबको हँसाकर,
अकेले में रोना क़ाबिल-ए-तारीफ़ होता है।
अकेले बदनाम नही होना मुझे ज़माने में,
लिख लिख कर तुझे भी मशहूर करूँगी मैं।
याद वो नहीं जो अकेले में आए याद वो है,
जो महफिल में आए और अकेला कर जाए।
अकेले हम नहीं इश्क जुर्म में शामिल,
नजरें जब भी मिली तुम भी तो मुस्कुराए थे।
जीत लेते हैं सैकड़ो लोगो का दिल ये शायरी करके हम,
लेकिन लोगो को क्या पता अंदर से कितने अकेले हैं हम।
तन्हां मकानों पर कभी तरस खाते थे हम,
आज खुद के घर के सामने अकेले खड़े हैं हम।
हमको भी एक शख्स ने चाहा है टूटकर,
ऐसा नहीं कि हमनें ही झेले है सारे दुख अकेले।
Akela Pan Shayari in Hindi
सुना है दिल से याद करो तो खुदा भी आ जाता है,
हमने तो तुम्हें सांसो मैं बसाया फिर भी अकेले है।
ठहरना है अब किसी दिल में,
थक चुकी हूँ अब अकेले रहते रहते।
ठहरना है अब तुम्हारे ही दिल में,
थक चुका हूँ अब अकेले रहते रहते।
मत करना इश्क़ बहुत झमेले है,
हंसते साथ है रोते अकेले हैं।
जिंदगी की राहों में लाखों गमों के मेले है,
जिस वक्त तुम्हें मेरे साथ होना चाहिए वहां हम अकेले हैं।
Akela Shayari
तलब तुझे मेरी आज भी है वरना,
तू आज यहां शराब के साथ अकेला ना बैठा होता।
तेरी यादों में होकर अकेला
मैं लगा रहा हूं अब आम का ठेला।
रानी बन जाओ तुम दिल की मेरे,
अकेला राजा कहानी किससे सुने।
जिसको जितनी ज़रूरत थी वो उतना ही मेरे साथ चला,
सुबह मैं काफ़िला लेकर चला था शाम को अकेला मिला।
सहारे ढूढ़ने की आदत नहीं हमारी,
हम अकेले पूरी महफ़िल के बराबर हैं।
अक़्ल हज़ारों भेष बदलती रहती है,
ये दिलमर जाने तक बुद्धू रहता है।
अकेले ही काटा करो उम्र की हर पड़ाव,
सुना है लोग बदल जाते है 2 कदम साथ चल कर।
वो चांद सी नूरानी में सितारों सा अलबेला,
एक दूजे के बिन पूरा आसमां हैं अकेला।
कभी तुम मुझ से बात करके देखना अकेले में,
इस खलनायक और उस खलनायक में फर्क बहुत है।
मोहब्बत हार गई ए इश्क़ तेरे इक गुरुर पर,
लोग छोड़ जाते हैं अकेला ज़रा से कुसूर पर।
अकेले हम भी शामिल नहीं जुर्म ए इश्क़ में,
नजर जब भी मिली थी मुस्कुराये तुम भी थे।
कभी जो थक जाओ तुम दुनिया की महफ़िलों से तो,
मुझे आवाज़ दे देना हम आज भी अकेले रहते हैं।
अकेले बैठोगे तो मसले जकड लेंगे,
ज़रा सा वक़्त सही दोस्तों के नाम करो।
इस ज़माने में हज़ारों महफिलें सजी है और लाखों मेले हैं,
लेकिन जहां तू नही वहाँ हम बिल्कुल अकेले हैं।
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