Majburi Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है मजबूरी शायरी। हम उम्मीद करते हैं कि ये पोस्ट आपको अच्छी लगेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
होंठो की भी क्या मजबूरी रहती है,
सब कह के बात अधूरी रहती है।
बदलना कौन चाहता है,
मजबूर कर देते है लोग।
मेरी मोहब्बत है वो कोई मज़बूरी तो नही,
वो मुझे चाहे या मिल जाये जरूरी तो नही।
मजबूर नही करेंगे तुझे वादे निभानें के लिए,
बस एक बार आ जा अपनी यादें वापस ले जाने के लिए।
हम तुम में कल दूरी भी हो सकती है,
वज़ह कोई मज़बूरी भी हो सकती है।
बिक गयी यूँ सरे बाजार वफा की पूंजी,
बिक गए हम किसी मजबूर की जेवर की तरह।
तुम्हारे बाद ये दुःख भी तो सहना पड़ रहा है,
किसी के साथ मजबूरी में रहना पड़ रहा है।
मोहब्बत मज़बूर करती है,
वरना याद करने से शवाब थोड़ी मिलता है।
बस एक इश्क़ हीं तो है जो गुरूरी है,
वरना सब समझौता है मजबूरी है।
कुछ यूँ हुआ किसाथ चलने की बारी आई,
तो वो शख़्स इत्तफ़ाक़ से मजबूर हो गया।
हर मौसम में ख़ालीपन की मजबूरी हो जाओगे,
इतना उस को याद करोगे तो पत्थर हो जाओगे।
तेरी खामोशी अगर तेरी मज़बूरी है,
तो रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है।
दोनों ही मजबूर रहे अपने अपने दायरे में,
एक इश्क़ कर न सका एक इश्क़ भुला न सका।
नज़र भी ना आऊं इतना दूर भी मत कर,
पूरी तरह बदल जाऊ इतना मजबुर भी मत कर।
ना पा सकूँ ना भुला सकूँ तू मेरी मजबूरी सा है,
तेरे बिना जी रहे हैं और जी भी लेगें फिर भी तू जरूरी सा है।
हाँ पता नहीं है उसे की जरा मजबूरी है मेरी,
वरना ख्वाहिशें तो उसकी मैं हर बार पूरी करता हूं।
तक़दीर की बातें बहुत करता था वो
वक़्त आनें पर ख़ुद को मजबूर बता के चलता बना वो।
कैसे मान लूँ कि मजबूर थी तुम,
लहँगा तो तुम्हारी पसन्द का था।
इक और उम्र हमें जीने को मजबूर करती है,
तुम्हारी ख्वाहिश हमको कभी मरने नहीं देगी।
मजबूर नही करेंगे तुझे वादे निभानें के लिए,
बस एक बार आ जा अपनी यादें वापस ले जाने के लिए।
हम तुम में कल दूरी भी हो सकती है,
वज़ह कोई मज़बूरी भी हो सकती है।
मजबूर नही करेंगे तुझे वादे निभानें के लिए,
बस एक बार आ जा अपनी यादें वापस ले जाने के लिए।
कुछ अलग ही करना है तो वफ़ा करो वरना,
मजबूरी का नाम लेकर बेवफ़ाई और तो सभी करते है।
शाख़ से कांटे का गम उनको बहुत था लेकिन
फ़ूल मजबूर थे हँसते रहे गुलदानों में ।
कह तो सकता हूं मगर मजबूर नहीं कर सकता,
इख्तियार अपनी जगह है बेबसी अपनी जगह।
Majburi Sad Shayari
वो इश्क़ ही क्या जो मरने को मजबूर कर दे,
इश्क़ तो वो है जो दोबारा जीने को मजबूर कर दे।
रिश्ते बधें हो अगर दिल की डोरी से,
तो दुर नही होते किसी मजबुरी से।
मुझे आगोश मैं ले कर मेरी सारी कसक दूर कर दो,
मैं सिर्फ तुम्हारा हो जाऊ मुझे इतना मजबूर कर दो।
अपनी बेवफाई को मजबूरी बता गई,
आज फिर वो एक समझोता कर गई।
हमें सीने से लगाकर हमारी सारी कसक दूर कर दो,
हम सिर्फ तुम्हारे हो जाऐ हमें इतना मजबूर कर दो।
बेशक थोड़ा तो हम भी चाहने लगे थे तुझे,
तेरी पाबंदियों नें दूर जाने को मजबूर कर दिया।
मजबूर रहे हम दोनो अपने अपने दायरे मैं,
वो मोहब्बत निभा ना सका मैं मोहब्बत भुला ना सका।
हँसना कभी कभी मजबूरी बन ही जाता है,
वो जिंदगी का उसूल है हँसो यारो।
बाहों में नहीं है वो कोई बात नहीं साहब,
अभी ये दूरियाँ तो मजबूरी हैं ज़िन्दगी के लिए।
तक़दीर की बातें बहुत करता था वो,
वक़्त आनें पर ख़ुद को मजबूर बता के चलता बना वो।
हम मजबूरी में काम करते रह हर वक़्त,
जब लौट के आये कोई था ही नहीं हमारा।
वो इस क़दर हमसे दूर जानें को तैयार हो गया,
जैसे कि हमनेँ उसे मजबूर किया था मोहब्ब्त के लिए।
उसके इज़हार को मना करना मजबूरी थी मेरी,
उससे इश्क़ करके छोड़ देना हमसे हो नहीं पाएगा।
उसका घर तबाह किया गया सबके सामनें,
लोगों ने बाद में कहा की मजबूरी थी चुप रहना।
अब हम थोड़े पुरानें खयाल के हैं क्या करें,
हमसे ये नए नए ट्रेंड नहीं होते ज़रा मजबूरी भी तो समझा कीजिए।
इन फासलों को हमारी मजबूरी न समझना,
सुना था इश्क में दूरियां बेहतर होती हैं।
सवाल समझ कर भी जो जबाब ना दे पा रहा हो,
सोचो ज़रा कितना मजबूर होगा वो।
किसी को बांध कर रखना फितरत नहीं मेरी,
मैं प्रेम का धागा हूं मजबूरी की जंजीर नहीं।
गर्दिश तो चाहती है तबाही मेरी मगर,
मजबूर है किसी की दुआओं के सामने।
दोनों ही मजबूर रहे अपने अपने दायरे में,
एक इश्क़ कर ना सका औऱ एक इश्क़ भुला ना सका
दोनों ही मजबूर रहे अपने अपने दायरे में,
एक इश्क़ कर न सका एक इश्क़ भुला न सका।
सुनना नही चाहता मैं किस्से तेरी मजबूरियों के,
में खुद मजबूर हूँ मुझे अब मोहब्बत नही करनी।
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का,
बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम।
मैं दिया हूँ मेरी फ़ितरत है उजाला करना,
वो समझते हैं कि मजबूर हूँ जलने के लिए।
कुछ मजबूर करती है उसकी यादें,
कुछ मुझे भी लिखना अच्छा लगता है।