Mulaqat Shayari: नमस्कार दोस्तों, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है मुलाकात शायरी। प्यार मोहब्बत बड़ा ही खूबसूरत शब्द है और अगर बात अपने उस खास इंसान से मुलाकात की उसका तो कोई जवाब ही नहीं है। आज के इस पोस्ट के मुलाकात शायरी को आप अपने खास लोगों के साथ भी शेयर कर सकते है।
मुलाक़ातों में ज़रा फ़ासला रखा कीजिये साहब,
क्योंकि वो कहते हैं न बेताबियों में इश्क़ खूबसूरत होता है।
अजीब का प्यार था उसकी उदास आँखों में,
महसूस तक न हुआ की मुलाकात आखरी है।
पूरी दुनिया के जज्बात एक तरफ,
तुमसे रात को छत पर मुलाकात एक तरफ।
दिल के रिश्ते किस्मत से मिलते है,
वरना मुलाक़ात तो हजारों से होती हैं।
खामोशियां बोल देती हैं जिनकी बातें नहीं होती,
इश्क उनका भी कायम रहता है जिनकी मुलाकाते नहीं होती।
मिलना है तो ज़रा क़रीब से मिलो,
यूँ दूर-दूर रहकर मुलाक़ात ज़रा अधूरी सी रहती है।
बेवजह ही तो नहीं होती मुलाकातें अंजानो से,
कोई तो अधूरा रिश्ता पूरा होता होगा।
काफ़ी नहीं ख्वाब किसी बात के लिए,
तशरीफ़ लाएं हसीं मुलाक़ात के लिए।
तुझसे मुलाकात की एक ख्वाहिश है,
यूँ तो मेरे फोन मे तेरी तस्वीर कई हैं।
तरसेगा जब दिल तुम्हारा हमसे मुलाकात को,
ख्वाबों में होंगे तुम्हारे हम उसी रात को।
देखना एक दिन हम मर जायेगे,
तुझसे मुलाकात की ख्वाहिश लिये।
वादों की तरह इश्क भी आधा रहा,
मुलाकातें कम रही इंतजार ज्यादा रहा।
आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई,
ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई।
सूरज के सामने कभी रात नहीं होती,
श्मशान में जाने के बाद मुलाकात नहीं होती।
तुम मिले तो क्यू लगा मुझे की खुद से मुलाक़ात हो गयी,
कुछ भी कहा तो नही मगर जिंदगी से बात हो गयी।
हर दिन कुछ सवालों से ज़ो यूँ मुलाक़ात होती हैँ,
हर रात मैं खुद के लिए एक सवाल हो जाता हूँ।
वक्त ए मुलाकात हम तय ही ना कर सके,
फासला हो गया फैसला करते करते।
खौफ़ नही था अजनबी से मुलाकात का,
डर था कहीं कोई रिश्ता ना बन जाये।
आपसे दूर रह कर हर लम्हा आपके नाम कर दिया,
चंद मुलाकात मे आपने मेरे दिल घायल कर दिया।
मुलाकातों के समंदरों से बहुत दूर है हम,
ये तुमसे स्क्रीन के पीछे से बात करना हमें अच्छा नहीं लगता।
फिर यूँ हुआ कि उससे मुलाकात हो गई,
फिर उम्र भर मैं अपना पता ढूँढ़ता रहा।
इंतजार से थकी इन आंखों में कुछ ख्यालात चाहता हूँ,
मेरे जज़्बात पढ़ने वाले मैं तुझसे एक मुलाकात चाहता हूँ।
आपका प्यार हमेशा इस दिल में रहेगा,
चाहे पूरी उमर मुलाकात हो ना हो।
नशा चढ़ता है हम पर तुम्हे सोचने भर से,
मुलाकात का आलम क्या होगा खुदा खैर करे।
आखिरी मुलाकात में बिंदी लगाकर आयी थी,
वो नाराज़ थी या मुझको मनाने आयी थी।
अजनबी तो हम जमाने के लिए हैं,
आपसे तो हम शायरियों में मुलाकात कर लेते हैं।
गुलाब की खुशबू साअपने भीतर उतार लिया है तुम्हें,
सूरत न मूरतन मुलाकात बस एहसासों में बसा लिया है तुझे।
पहली मुलाकात थी और हम दोनों ही बेबस थे,
वो अपनी जुल्फें न संभाल पाए और हम खुद को
ना संभाल पाए।
फ़ोन से करने लगे है मुलाकात आजकल के आशिक,
वो गालो से जुल्फों को हटाने का जमाना अब नहीं रहा।
भूल जाने का मशवरा और जिन्दगी बनाने की सलाह,
ये कुछ तोहफे मिले थे उनसे आखिरी मुलाकात में।
मेरे आने का यूं तेरा इंतजार करना मेरे इश्क का असर है,
मुलाकात के बाद मेरा यूं निखरना तेरे इश्क का असर है।
अजीब मुलाकातों के किस्से है हमारे,
सुकून पाते है दीदार ख्वाब मैं करके तुम्हारे।
पहली मुलाकात अब भी याद है उनको देर हो रही थी,
फिर भी मेरा हाथ पकड़ रखा था।
आपसे दूर रह कर हर लम्हा आपके नाम कर दिया,
चंद मुलाकात मे आपने मेरे दिल घायल कर दिया।
मुलाकातें उरुज़ पर थी तो आज़ान का ज़वाब तक़ नहीं दिया,
सनम आज़ रूठा है तो नमाज़ी बन बैठें है।
दिदार ए यार ना हो रुबारू ख्वाबो मैं तो दिदार हो जाए,
एक शाम ऐसी भी आए हम दोनो की मुलाकात हो जाए।
कुछ नशा तेरी बात का है कुछ नशा धीमी बरसात का है,
हमे तुम यूँही पागल मत समझो ये दिल पर असर पहली मुलाकात का है।
साल जाने को है आओ कुछ बात कर लें,
दूरियां अच्छी नहीं लगती आओ मुलाकात कर लें।
होंठ हिलते नहीं फिर भी बातचीत होती रहती है,
फासले घटते नहीं फिर भी मुलाक़ात होती रहती है।
मैं लोगों से मुलाकातों के लम्हें याद रखता हूँ,
बातें भूल भी जाऊं पर लहजे याद रखता हूँ।
न जी भर के देखा न कुछ बात की,
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की।
तुझसे एक मुलाकात की ख्वाहिश है,
यूं तो मेरे फ़ोन में तेरी तस्वीर बहुत हैं।
दिल के रिश्ते तो किस्मत से बनते है,
वरना मुलाकात तो रोज हजारों से है।
मुस्कान वो पहली मुलाकात पर,
जागे कई राते छोटी सी बात पर।
खामोशियां बोल देती है ज़िनकी बातें नहीं होती,
दोस्ती उनकी भी क़ायम है ज़िनकी मुलाक़ातें नहीं होती।
हश्र में भी वो क्या मिलेंगे हमें,
जब मुलाक़ात उम्र भर ना हुई।
तुम महज़ बहाना खोज लेना हमसे मुलाक़ात का,
हम दुनिया के सामने इत्तेफाक साबित कर देंगे
दिदार ए यार ना हो रुबारू ख्वाबो मैं तो दिदार हो जाए,
एक शाम ऐसी भी आए हम दोनो की मुलाकात हो जाए।
तेरे साथ को तरसे तेरी बात को तरसे,
होकर भी तेरे तुझ से एक मुलाक़ात को तरसे।
नशा चढ़ता है हम पर तुम्हे सोचने भर से,
मुलाकात का आलम क्या होगा खुदा खैर करे।
वो चंद मुलाकात करके एहसान जता रहे है,
इस तरह वो हम से इश्क कर रहे है।
इंतजार में थकी इन आंखों में कुछ ख्यालात चाहते है,
मेरी नज़्म पढ़ने वाले तुमसे एक मुलाकात चाहते है।
कुछ दिन और ही सही मगर जब भी मिलेंगे तो,
मुलाकात रोमांटिक होगी जान।
वो आख़िरी मुलाकात है ये सोच कर मिली थी,
और हम यूँ मिले की जैसे मुलाकात पहली हो।
मोहब्बत न सही मुक़दमा ही कर दे,
तारीख दर तारीख मुलाकात तो होगी।
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