50+ Narazgi Shayari in Hindi - नाराजगी शायरी हिंदी में

Narazgi Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है नाराजगी शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको जरूर अच्छी लगेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।

उदास हूं लेकिन तुझसे नाराज नहीं,

अफसोस ये है की तेरे दिल में हूं लेकिन तेरे साथ नहीं।


Narazgi Shayari in Hindi

हमें लगा था वो नाराज है हमसे,

हम गलत थे वो तो तंग है हमसे।


तुमसे नाराज़ होकर कहां जायेंगे रोयेगे याद करेंगे

और फिर आपके पास ही तो लौट आयेंगे।


ना राज है जींदगी ना नाराज है जींदगी,

बस जो भी है वो आज है जींदगी।


तुमसे नाराज़ हो कर तुमसे ही बात करने का मन,

यह दिल का मसला समझ ना पाए हम।


Narazgi Shayari for Girlfriend


थका हुआ हूं थोड़ा ज़िंदगी भी थोड़ी नाराज़ हैं,

पर कोई बात नहीं ये तो हर रोज़ की बात हैं।


Narazgi Shayari in Hindi

इक रोज़ मैं भी किसी शाम सूरज की तरह ढल जाऊंगा,

कहो फिर किस से होगे नाराज़ होगे और कौन तुम्हे  मनाएगा।


किसी को मनाने से पहले ये जरुर देख लेना, 

वो आपसे नाराज है या परेशान।


मंजिल का नाराज होना भी जायज था,

हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे।


यहां सब खामोश हैं कोई आवाज नहीं करता,

सच बोलकर कोई किसी को नाराज नहीं करता।


Love Narazgi Shayari

कुछ इस तरह नाराज है वो हमसे,

जैंसे उसे किसी ओर ने मना लिया हो।


Narazgi Shayari in Hindi

मुझसे नाराज़ हैं तो छोड़ दे तन्हा मुझको,

ए जिंदगी मेरा रोज रोज तमाशा न बनाया कर।


मन हो जाता जब कभी मन से ही नाराज़,

मन फिर सुनता ही नहीं,मन से मन की बात।


तुम नाराज हो जाओ रूठो या खफा हो जाओ,

पर बात इतनी भी ना बिगाड़ो की जुदा हो जाओ।


रूठ कर लड़ने का हक़ दिया था तुम्हें,

नाराज़ हो कर चुप रहने की कोई बात न हुई थी।


नाराजगी शायरी हिंदी में

मैं कोई हक नही रखता किसी से नाराज़ होने का,

मुझ से खुद रूठ जाता है मेरे घर का आइना।


Narazgi Shayari in Hindi

मेरी किरदार में बस कमी बहुत है,

अच्छाई बस इतना की तुम्हे नाराज नहीं कर सकता।


तु मिल गई है तो मुझ पे नाराज है खुदा,

कहता है की तु अब कुछ माँगता नहीं है।


पहले एक मिनट भी बात ना करूं तो नाराज हो जाती थी,

आज मन नहीं है कहकर उसनेे मेरा फ़ोन काट दिया।


मंजिल का नाराज होना भी जायज था,

हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे।


Narazgi Shayari in Hindi

ए मेरे नाराज़ लम्हें तू मुझसे मिल तो सही,

इस जमाने से अलग होकर गुजारूं तुझको।



Narazgi Shayari in Hindi

चार दिन की जिंदगी है ,

और वो तीन दिन से तू नाराज हैं।


क्यों तुझसे नाराज रहे हम,

क्यों रखें इतना सा भी वास्ता।


नाराज़ होना भी छोड़ दिया है तुमने,

इतनी नाराजगी भी ठीक नहीं।


मुट्ठी भर माफी के बीज बिखेर दो, नाराज दिलों की जमीन पर,

बारिश का मौसम आया है शायद अपनापन  फिर से पनप जाए।


मेरी जान बात सुनो नाराज हो क्या,

तुम तो इतने गौर से पढ़ रहे हो मेरी जान हो क्या।


Narazgi Shayari in Hindi

हम चाह कर भी तुमसे ज्यादा देर तक नाराज नही रह सकते,

क्योंकि तुम्हारी प्यारी सी मुस्कान में मेरी जान बसती है।


तू नाराज न रहा कर तुझे वास्ता है खुदा का,

एक तेरा चेहरा देख हम अपना गम भुलाते है।


आप तो मोहब्बत कीजिए साहिब,

नाराज़ तो हमसे ज़माना रहता है।


सुनो जब वो मुझसे नाराज होती है तब मुझे,

दुनिया की सबसे महँगी चीज उसकी मुस्कान लगती है।


Shayari on Narazgi

थोड़ा खुद से नाराज हूं आजकल,

वरना चाय मै खुद बनाता तुम्हारे लिए।


Narazgi Shayari in Hindi

आखिरी मुलाकात में बिंदी लगाकर आयी थी,

वो नाराज़ थी या मुझको मनाने आयी थी।


थोड़ा सा नाराज होकर देखो किसी से,

वक्त नहीं लगेगा वो भूल जाएंगे तुमको।


जो काबिल है तू उसके लयक नहीं,

नाराज तो वो तुजसे है क्युकी तू उसके काबिल नहीं है।


नाराज होकर तुम्हारा यू DP हटा लेना,

हमारे लिए तो ये ही भारत बंद जैसा है।


तु मिल गई है ताे मुझ पे नाराज है खुदा,

कहता है की तु अब कुछ माँगता नहीं है।


Narazgi Shayari in Hindi

गलती मेरी ना होने पर भी,

माफी अक्सर मैं मांग लिया करता था।


मैं खुद को नाराज़ कर,

उनको मना लिया करता था।


तू नाराज़ सी लगती है कोई तरकीब बता मनाने की,

मैं खुशियां निछावर कर दूंगा क़ीमत तो बता मुस्कुराने की।


मेरी फितरत मे नही है किसी से नाराज होना,

नाराज वो होते है जिनको अपने आप पर गुरुर होता है।


Shayari Narazgi

नराज हो कर भी नराज नहीं होते,

ऐसी मोहब्बत है तुमसे।


Narazgi Shayari in Hindi

उन लम्हों से आज भी नाराज हूँ जिन लम्हों में मैं तुमसे नाराज रहा,

क्यूँ नाराज नहीं हो पाता मैं तुमसे क्यूँ मुझमे तुम मुझसे ज्यादा हो।


मोहब्बत तो मोहब्बत है और हमेशा रहेगी फिर चाहे वो नाराज़ हो,

बेरुख़ी दिखाए ख़ामोश हो जाए,जलाये या भूल जाए।


क्यूँ नाराज नहीं हो पाता मैं तुमसे,

क्यूँ तुम मुझमे मुझसे ज्यादा हो।


उन लम्हों से आज भी नाराज हूँ जिन लम्हों में मैं तुमसे नाराज रहा,

नाराज तो नहीं थे तेरे जाने से मगर हैरान थे कि तुमने मुड़ कर भी नहीं देखा।


Narazgi Shayari


ग़िला जो मैं करूँ तो नाराज़ होते हो क्यों,

है इश्क़ तुमसे तो मेरा हक़ भी वाज़िब है।


Narazgi Shayari in Hindi

तुमने नाराज होना छोड़ दिया,

इतनी नाराजगी भी ठीक नहीं।


आप तो मोहब्बत कीजिए साहिबा ,

नाराज़ तो हमसे ज़माना रहता है।


कोई कहे जाके जुगनू से,

उसकी तितली उससे नाराज़ है।


अपनी उम्मीद की टोकरी को खाली कर दीजिये,

परेशानियां नाराज होकर खुद चली जायेंगी।