Tanhai Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है तन्हाई शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
सरे-बाज़ार निकलूं तो आवारगी की तोहमत,
तन्हाई में बैठूं तो इल्ज़ाम-ए-मुहब्बत।
ठोकर खाया हुआ दिल है मैडम,
भीड़ से ज़्यादा तन्हाई अच्छी लगती है।
तन्हाई मे तुम्हारी कमी ज्यादा महसूस होती है,
क्या करें इश्क की तासीर ही ऐसी होती है।
मुझे महसूस होती है छुअन तेरी ओठों की,
तुम तन्हाई में मेरी तस्वीर चूमती हो क्या।
जब कुछ नहीं रहा पास तो रख ली तन्हाई संभाल कर मैंने,
ये वो सल्तनत है जिसके बादशाह भी हम, वज़ीर भी हम, फकीर भी हम।
Main aur Meri Tanhai Shayari
तुम्हारा यूं मिलना कोई इत्तेफाक ना था,
एक उम्र की तन्हाई का मुआवजा हो तुम।
अपनी तन्हाई में तनहा ही अच्छा हूँ ,
मुझे ज़रूरत नहीं दो पल के सहारो की।
मेरी तन्हाई देखेंगे तो हैरत ही करेंगे लोग,
मोहब्बत छोड़ देंगे या मोहब्बत ही करेंगे लोग।
जिनके पास होती है उम्र भर की यादें,
वह लोग तन्हाई में भी तन्हा नही होते।
तनहाई के झूले झूलोगे हर बात पुरानी भूलोगे,
आईने से तुम घबराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा।
Tanhai Shayari wallpaper
आज तन्हाई मैं ये किसका ख्याल आया हमे,
कल ही तो इस चेहरे से झगड़े थे हम।
मुझे महसूस होती है छुअन तेरी ओठों की,
तुम तन्हाई में मेरी तस्वीर चूमती हो क्या।
तुम्हे महफिल पसंद है और हमें तन्हाई,
बताओ भला हमारा मेल कैसे होगा।
मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं हूं,
मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मोहब्बत नहीं है।
एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी,
ऐसा तो कम ही होता है वो भी हों तन्हाई भी।
हमे तो आता हैं मजा अब रातो को जागने में,
तन्हाई जब दोस्त बन जाए तो अंधेरे अच्छे लगते हैं।
मेरी कुछ उदासी भी आज खुश हुई है,
फिर मुझे तन्हाई आ कर गले लगाएगी।
यूं तो देखने में महफिल की सारी मोहब्बत मेरे लिए,
मेरे तन्हाई में कोई नहीं आता मुझे दिलासा देने।
तन्हाई रही साथ ता-जिंदगी मेरे,
शिकवा नहीं कि कोई साथ न रहा।
मैं अपनी तन्हाई में तनहा ही बेहतर हूं,
मुझे जरूरत नहीं दो पल के सहारो की।
अब रहने लगे हैं हम अल्फाजों की सोहबत में,
आखिर कब तक रहते यूँ तनहाई की छाव मे।
चखकर देखी है तुमने तन्हाई कभी मैने देखी है,
बड़ी ईमानदार लगती है।
खनकती है चूड़ियाँ दूर कहीं कलाई में,
गुज़र रहे हैं टूटी तक़दीर की तन्हाई में।
मेरी तन्हाई को मेरा शौक न समझना,
बहुत प्यार से दिया हैं ये तोहफा किसी ने।
मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं है,
मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मोहब्बत नहीं है।
बस वही जान सकता है मेरी तन्हाई का आलम,
जिसने जिन्दगी में किसी को पाने से पहले खोया है।
इश्क कि राह में चलते चलते शाम हो गई,
फिर से ग़म ए तन्हाई मेरे नाम हो गई।
पास मेरे न बैठो साहब,
मेरी तन्हाई ख़फ़ा होती है।
मेरे लफ्जों से क्या समझोगे मेरी तन्हाई को
ख़ामोशी ही कह देती हैं मेरे ना मुकम्मल इश्क़ की कहानी को।
तन्हाई में मुश्कुराना भी इश्क है,
और इस बात को छुपाना भी इश्क है।
Raat ki Tanhai Shayari
लफ्जो से अगर दर्द कम हो जाया करता,
तो कोई भी तन्हाई मैं आंसू बहाया ना करता।
ऐसे रिश्तों से तन्हाई बेहतर है,
जो गुजरे ज़माने के साथ बदल जाए।
तन्हाई मैं हम शब गुजार देते है,
अपने हालत पर थोड़ा मुस्कुरा लेते है।
सरे बाज़ार निकलूं तो आवारगी की तोहमत,
तन्हाई में बैठूं तो इल्जाम-ए-मोहब्बत।
मोहब्बत के रास्ते कितने भी मखमली क्यो न हो,
खत्म तन्हाई के कम्मबल मे ही होते है।
क्यूँ किस लिए जुदा हुई मैं अपने शायर से,
वो कभी कभी तन्हाई में यही सोचती होगी।
तुम्हे तन्हाई मैं पढू कोई अक्स भी ना रहे,
एक तेरे सिवा कोई और मेरा राजदार भी ना रहे।
इंतज़ार करते करते एक रात और बीत जायेगी,
पता है तुम नहीं आओगे ये तन्हाई जीत जायेगी।
अंदाज सब से अलग होता है मेरा,
तन्हाई मैं भी खयाल होता है यार का।
इँतजार करते करते एक और रात बीत जायेगी,
पता हैं तुम नहीं आओगे और ये तनहाई जीत जायेगी।
कहने को साथ अपने एक दुनियां चलती हैँ,
पर चुपके इस दिल मैं तन्हाई पलती हैँ।
क्या तेरा कोई नहीं है यहां,
तंज़ करती है रोज तन्हाई मुझ पे।
मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं है,
मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मोहब्बत नहीं है।
कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता,
तुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होता।
कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी,
हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है।
Tanhai Shayari in Hindi
मेरे मरने पर किसी को ज्यादा फर्क नहीं होगा,
लेकिन मेरी तन्हाई रोएगी के मेरा हमसफ़र चला गया।
दोस्ती यारी इश्क़ मोहब्बत सब अच्छे हैं,
मगर तन्हाई की बात ही अलग है।
ज़िंदगी कैसे तन्हाई में बसर होगी कहो,
भीड़ की बुनियाद पर भी कितना सूनापन है यहां।
सुना है हर बात का जवाब रखती हो तुम,
क्या तन्हाई का भी इलाज रखती हो तुम।
मेरी तन्हाई देखेंगे तो हैरत ही करेंगे लोग,
मोहब्बत छोड़ देंगे या मोहब्बत ही करेंगे लोग।
मेरी तन्हाई देखेंगे तो हैरत ही करेंग लोग,
मोहब्बत छोड़ देंगे या मोहब्बत ही करेंगे लोग।
जाने किस बात पर किससे उलझ जाऊँ,
यही वजह के अब तन्हाई से इश्क़ है।
जुगनूओ को जमा, रोशन तुम रात करो,
यार तन्हाई है यहाँ कुछ तो बात करो।
अपनी तन्हाई तेरे नाम पे आबाद करे,
कौन होगा जो तुझे मेरी तरह याद करे।
मुझे महसूस होती है छुअन तेरी होंठों की,
तुम तन्हाई में मेरी तस्वीर चूमते हो क्या।
ये जो तन्हाई का आलम हैं,
साहब यही मुहोब्बत का अंजाम हैं।