Mohabbatein Shayari: नमस्कार दोस्तों, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है मोहब्बतें शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आएगा और आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करेंगे।
उसे किसी से मोहब्बत थी और वो मैं नहीं था,
ये बात मुझसे ज्यादा उसे रुलाती थी।
मिलने को तो दुनिया मे कई चेहरे मिले,
पर तुम सी मोहब्बत हम खुद से भी न कर पाये।
सच्ची मोहब्बत वादों से नहीं,
परवाह से ज़ाहिर होती है।
उसे किसी से मोहब्बत थीऔर वो मैं नहीं था,
ये बात मुझसे ज्यादा उसे रुलाती थी।
जो फना हो गया तेरी मोहब्बत में तो गुरूर मत करना,
ये असर तेरे इश्क का नहीं मेरी दिवानगी का है।
बेहद मोहब्बत है तुमसे,
मान लीजिए या मार दीजिए।
तुझे भूल जाऊँ इतना कमजोर मेरा प्यार नहीं,
मोहब्बत बदल दूँ इतना गिरा मेरा किरदार नही।
दर्द मैं भी हम मुस्कुराते है रूठ जाए मेहबूब तो मनाते है,
बे इंतेहा मोहब्बत हम करते है तुम्हारी जगह दिल मैं रखते है।
तुम जिसके वास्ते छोड़कर गई मुझको,
सुना है तुम उसकी तीसरी मोहब्बत हो।
अब लौट आने की कोशिश मत करना,
हम एक मोहब्बत दो बार नही करते।
नही हो सकती अब मोहब्बत किसी और से,
मैने ये दिल हमेशा के लिए तेरे नाम कर दिया है।
मोहब्बत की है तुमसे तन्हा नहीं छोड़ेंगे,
अपने वजूद मै तुम्हे हर वक्त जिंदा रखेंगे।
खुद को कितना भी रोकूँ मोहब्बत बढ़ ही जाती है,
तुमसे लड़ने के बाद तुम्हारी और भी ज्यादा याद आती है।
क्यूँ करते हो मुझसे इतनी ख़ामोश मोहब्बत,
लोग समझते हैं इस बदनसीब का कोई नहीं।
मोहब्बत करने चला है तो कुछ अदब भी सीख लेना ऐ दोस्त,
इसमें हंसते साथ हैं पर रोना अकेले ही पड़ता है।
उसने जख्म भी दिए दर्द भी सहे बहुत,
उन से मोहब्बत कर के जिंदगी भर रोए बहुत।
मोहब्बत तो इतनी थी की उसकी ख़ुशी केे लिए ना,
उसी को खुशी ख़ुशी छोड दिया।
हकीकत में हकीकत हैं हकीकत को खु़दा जाने,
मेरे दिल में तेरी मोहब्बत है तेरे दिल की खु़दा जाने
सुनो बेपनाह मोहब्बत है तुमसे,
अब तुम पास हो या दूर क्या फर्क पढ़ता है।
उसने जख्म भी दिए दर्द भी सहे बहुत,
उन से मोहब्बत कर के जिंदगी भर रोए बहुत।
मोहब्बत न सही मुक़दमा ही कर दे,
तारीख दर तारीख मुलाकात तो होगी।
मोहब्बत और कुछ करे या ना करे मोबाईल,
जरूर साईलेंट करवा देती है।
किसी से दिल लग जाए वो मोहब्बत नहीं,
किसी के बगैर दिल ना लगे वो मोहब्बत है।
ना कोई जिद है ना कोई हद है,
मोहब्बत बे पनाह और बेहद है।
मैने अपने दिल को कब्रस्तान बना दिया है,
अपनी ही मोहब्बत को दिल मैं दफना दिया है।
मोहब्बत में हम उन्हें भी हारे है,
जो कहते थे हम सिर्फ तुम्हारे है।
मिल ही जाती अगर हर चीज दुआ से,
तो मांग लेता अपनी मोहब्बत खुदा से।
मोहब्बत में शर्त नहीं होती साहब,
ये वो गुनाह है जो बेशर्त किया जाता है।
मोहब्बत रास ना आई किया करते,
बेवफाई से उनके गुजारा कैसे करते।
वो अगर करता मोहब्बत तो बेवफा कहता उसे,
उसने तो चाहा तक नही मुझे तो कैसे कहता बेवफा उसे।
मुखोटे तमाम थे उस चेहरे पर मगर गलती मेरी थी कि,
मुझे उसमे सिर्फ मोहब्बत दिखी।
ख़ुदा बना दिया उन को मेरी मोहब्बत ने,
हमेशा दिल में रहे और रू-ब-रू न रहे।
मिलने को तो दुनिया मे कई चेहरे मिले,
पर तुम सी मोहब्बत हम खुद से भी न कर पाए।
धीरे धीरे अपनी मोहब्बत दिखाएँगे,
कभी फ़ुरसत में आओ तुम्हें ‘देहरादून घुमाएँगे।
फसाने मुहब्बत के सुनाओ दो-चार,
माहौल मायूस सा ख़ुशनुमा हो जाए।
जरा छू लूँ तुमको कि मुझको यकीं आ जाये,
लोग कहते हैं मुझे साये से मोहब्बत है।
तुमसे मुहोब्बत बेपनाह हैं
पर मज़बूरियोंको मुझसे ज्यादा मुहोब्बत हैं।
कब्रों में नही हमे मुहब्बत किताबों में उतारना,
हम जब भी मरेंगे तो मुहब्बत में ही मरेंगे।
जिंदगी पर एक किताब लिखूंगा उसमे सारे दुख बेहिसाब लिखूंगा,
अब दिल से मोहब्बत हो जाए ऐसा पागलों दुबारा न करूंगा।
बड़ी मासूम होती है मोहब्बत भी जनाब,
धडकनों की हलचल बढ़ जाती है एक अनजान कि बातो से।
हमें न बताइये मुहब्बत में तहज़ीब,
इक उम्र सिर्फ़ दूर से देखा है उन्हें।
कुछ खास नही बस इतनी सी है मोहब्बत मेरी,
हर रात का आखरी खयाल और हर सुबह की पहली सोच हो तुम।
ऐसा लगता है के अब बची कुची मोहब्बत भी ख़त्म हो गई,
अब उसे देख कर दिल खुश नहीं होता।
मोहब्बत सिखी हैं हमने इस लोकल ट्रेन से,
कमबख्त सफर मीलो का करती हैं एक ही पटरी से।
सब करते होंगे तेरे इश्क की तारीफ,
हमे तो तेरी बेरुखी से भी मोहब्बत है।
अजीब खेल है ये मोहब्बत का,
किसी को हम न मिले कोई हमें ना मिला।
मोहब्बत में प्यार मिले ना मिले याद करने के लिए,
एक चेहरा ज़रूर मिल जाता है।
पहले मोहब्बत अंधी थी फिर उसने अपना इलाज करवा लिया,
अब मोहब्बत शकल भी देखती है और पैसा भी देखती है और हैसियत भी देखती हैं।
मुझ से रूठकर वो खुश है तो शिकायत ही कैसी,
अब मैं उनको खुश भी ना देखूं तो हमारी मोहब्बत ही कैसी।
कुछ भी नहीं है पास मेरे,
ये मोहब्बत भी तुम्हारी है।
अब मुझसे मोहब्बत पर मशवरा मांगते है लोग,
तेरा इश्क़ ऐसा तजुर्बा दे गया।
तुम्हारी हर पसंद का ख्याल रखूँगा,
राधा कृष्ण जैसे मोहब्बत की मिसाल रखूँगा।
शक नहीं करना मेरी मोहब्बत पर,
तुम्हारे बिना भी हम तुम्हारे ही है।
तुम्हारे दिल को मुहब्बत सिखा के निकले हैं,
हमारे बाद जो आएगा ख़ुश रहेगा वहाँ।
चूम कर उनके होंटों को लुत्फ मोहब्बत का आया है,
लज्जत चॉकलेट का मैने उनके होंटों पर पाया है।
समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे किस्से,
अगली मोहब्बत में तुम्हे फिर इनकी जरुरत पड़ेगी।
साथ तो ज़िन्दगी भी छोड़ देती है,
फिर शिकायत मोहब्बत से क्यों।
वो भी क्या जिद थी जो तेरे-मेरे बीच एक हद थी,
मुलाकात मुकम्मल ना सही मोहब्बत बेहद थी।
मोहब्बत अपनी आंखो से बहा देता हूं,
दर्द सारे अपने सीने मैं दफन कर देता हु।
हैरत से तक रहा है जहान-ए-वफ़ा मुझे,
तुमने बना दिया है मुहब्बत में क्या मुझे।
ना जाने कब से है ना जाने कब तक है,
लेकिन जब से है और जब तक है मोहब्बत तुम्ही से है।
जिस्म से होने वाली मुहब्बत का इज़हार आसान होता है,
रुह से हुई मुहब्बत को समझाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है।
यारियाँ ही रह जाती है मुनाफ़ा बन के,
मोहब्बत के सौदों में नुक़सान बहुत है।
घायल कर के मुझे उसने पुछाकरोगे क्या फिर मोहब्बत मुझसे
लहू -लहू था दिल मगर मेरा होठो ने कहा बेइन्तहा बेइन्तहा।
एहसास होते ही इज़हार नहीं होता होता भी हो तो बे-शुमार नहीं होता,
पहचानी जाती है अपनी ख़ुशबू से मोहब्बत को कुछ दरकार नहीं होता।
जब मेरी इतनी मोहब्बत तुम्हे मेरा ना कर सकी,
तुम किसी और की मोहब्बत की क्या कदर करोगे।
मोहब्बत में पड़ा शख्स,
महबूबा के मोहल्ले के ठेले वालो तक से दोस्ती कर लेता है।
फर्क था हम दोनों की मोहब्बत में,
मुझे उससे ‘ही‘ थीउसे मुझसे भी थी।
गुफ्तगू दोस्ती चाहत फिर मोहब्बत हुई,
फिर किया था शुरू मेरी बरबादी हुई।
चलो मान लिया की मुझे मोहब्बत करनी नहीं आती,
लेकीन ये बतायो तुम्हें दिल तोडना किसने सिखाया।
मोहब्बत का हुनर अब आता किसे है यहां,
बिस्तरों में हुए दंगल को इश्क़ कह देते हैं लोग।
इरफान भी एक खता कर बैठा,
एक बेवफा से मोहब्बत कर बैठा।
मोहब्बत-ए-जंग की वो बाज़ी हार गया,
जो किसी से ना हरा था उसे इश्क़ मार गया।
सोचकर पांव डालना इसमें,
सच्ची मोहब्बत दरिया नहीं दलदल है।
कभी तो हिसाब करो हमारा भी
इतनी मोहब्बत भला कौन देता है उधार में
ख्वाब ख्याल यकीन हकीक़त ग़म ओर मोहब्बत
ज़रा सी उम्र मेरी किस किस के साथ गुजरी ।।
मत कर हिसाब तू मेरी मोहब्बत का वरना,
ब्याज में ही तेरी जिन्दगी गुजर जाएगी।
तेरी नज़रों को फुरसत ना मिली,
वरना मर्ज़ इतना लाइलाज़ ना था।
हमने तो वहाँ भी मुहब्बत बाँट दी,
जहाँ मुहब्बतों का रिवाज़ ना था।
हर ज़माने मैं मोहब्बत की ये दास्तान रही है,
मोहब्बत सबने की है मुकम्मल किसी की नही हुई है।
एक खुशी पाने के लिए हजारों गमों को गले लगाया है,
यारो मैने मोहब्बत का नशीला जाम पिया है।
कोई रूह का तलबगार मिले तो हम भी करे मोहब्बत,
वरना दिल्लगी के लिए बहुत मिले लेकिन दिल से कोई ना मिला।
दिन भी होता है रात भी होती है,
आज की मोहब्बत मैं जिस्म की नुमाइश भी होती है।
बहुत रोका दिल को मगर कहा तक रोकते,
मोहब्बत बढ़ती गई आपके नखरो की तरह।
जब भी निगाह उठी है हया की चादर रही है,
यही तो पाकीजा मोहब्बत की निशानी रही है।
इतनी मोहब्बत से वो जान कहते है,
मेरे सीने से जान वो निकाल लेते है।
हद-ए-इंतज़ार मुकर्रर किये नहीं जाते,
अगर मोहब्बत हो सच्ची तो साथ छोड़े नहीं जाते।
शिद्दत से मोहब्बत करने वाले,
मुद्दत गुज़र जाये बर्बाद रहते हैं।
फासले है जो ये बेवजह के वो कभी कम नही होते,
होती है रूह की मोहब्बत जिस से वो कभी एक नही होते।
तेरे मेरे मोहब्बत की कुछ ऐसे शुरुआत हो जाए,
तुम्हारे निगाहो के तीर मेरे जिगर के पार हो जाए।
हमेशा के लिए रखलो ना मुझे अपने पास,
कोई पूछे तो कहना गुलाम है मेरी मोहब्बत का।
घायल करके मुझे उसने पूछा क्या मोहब्बत करोगे फिर मुझसे,
मेरा दिल तो लहू-लहू था मगर होठों ने कहा हाँ बेइंतहाँ।
ये दिल खामोशी से हजारों सितम सेह गया,
मोहब्बत थी दिल मैं तेरी मोहब्बत को दफना गया।
मैं चाहूँ भी तो वो अल्फ़ाज़ ना लिख पाऊँ,
जिसमे बयान हो जाए केे कितनी मोहब्बत है तुमसे।
मेरी किस्मत मैं मोहब्बत करना गुनाह था,
इल्जाम भी उसने लगाया जो बेवफा था।
किसी ने बताया नही केे मोहब्बत रूलायेगी इतना,
वरना खु़दा से लड़ते नही हम मोहब्बत केे नाम पर।
वो जो हकदार बना हुआ था मेरी मोहब्बत का,
वो भी बदल ना सका दर्द मेरे मुकद्दर का।
मोहब्बत मांगी थी हमदर्दी नही,
साथ चाहते थे उनका तन्हाई नही।
उतर चुके हैं इस कदर अब कोई भाता कहां है,
तेरी मोहब्बत और मेरा दर्द कोई समझ पाता कहां है।
मोहब्बत को वो दोस्ती का नाम दे जाते है,
हम पर वो ऐसे सितम हर बार कर जाते है।
मोहब्बत के सितम भी अजीब होते है,
जो करता है सितम वो ही रो देते है।
काश चाहने वाले हमेशा चाहने वाले ही रहते,
पर लोग अक्सर बदल जाते है मोहब्बत हो जाने के बाद।
लोग दिल मैं अपनी मोहब्बत को बसाए बैठे है,
इसलिए शायद खुदा से दूरियां बनाए बैठे है।
ये महोब्बत है जरा सोच कर करना,
जो एक आंशू भी गिरा तो सुनाई देगा।
यू तो हर बात का अदब से जवाब दिया था मेरी जाना ने,
जब किया इजहार ए मोहब्बत तो हस के टाल दिया जाना ने।
एक गलती थी मेरी बेइंतेहा मोहब्बत कर बैठा,
जिसे कदर ना थी हमारी उनसे वफा कर बैठा।
एक नजर देख ले हमे जीने की इजाजत दे दे,
ए रुठने वाले वो पहली सी मोहब्बत दे दे।
तोहफा दे गई वो मुझे आंखो मैं बरसात की,
बदले मैं निशानी दे जाती अपनी मोहब्बत की।
बड़े जिद्दी थे आंसू मेरे आंखो से बह गए,
मोहब्बत के एहसास को बहा कर ले गए।