Sharabi Shayari 2 Lines: नमस्कार दोस्तों, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है शराबी शायरी हिंदी में। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको जरूर पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
प्यास अगर शराब की होती तो ना आता तेरे मैखाने मे,
ये जो तेरी नज़रो का जाम है कम्बख्त कही और मिलता ही नही।
तुम्हारी आँखों की तौहीन है जरा सोंचो,
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है।
अफ़ीमी आखें शर्बती गाल और शराबी लब,
खुदा ही जाने नशे में तुम हो या तुम में नशा।
ये इश्क भी नशा-ए-शराब जैसा है यारो,
करें तो मर जाएँ और छोड़े तो किधर जाएँ।
बहुत शराब चढाता हुँ रोज,
तब जाकर तुम कहीं उतरती हो।
महकता हुआ जिस्म तेरा गुलाब जैसा है,
नींद के सफर में तू ख्वाब जैसा है,
दो घूँट पी लेने दे तेरे आँखों की मस्तियाँ,
नशा तेरी आँखों का शराब जैसा है।
कदम भला बहके कहाँ है मेरे शराब से,
ये तो बहके है करके इश्क़ एक गुलाब से ।
तेरे होंठो में भी क्या खूब नशा है ऐ सनम,
लगता है तेरे जूठे पानी से ही शराब बनती है।
पंखुड़ियों से भी नाज़ुक है तुम्हारे होठों की सुर्खियां,
कुछ बोले तो गुलाब कुछ ना बोले तो ठहरी हुई शराब।
लाल आँखे और होंठ शबनमी,
पी के आये हो या खुद शराब हो।
उनके गुलाबी होठों की प्यास ओ तलब बढ़ रही हैं,
हम कभी पीते नहीं फिर भी उनकी यादें शराब सी चढ़ रही है।
जो नशा तेरी सूरत मे हैं,
वो नशा शराब में नही ये तो कल आज़मा लिया हमने।
वो बर्फ की तरह मेरी शराब में घुल गयी,
मैं लबों से छूकर उसे तेज़ाब कर बैठा।
तमाम शराबें पी ली थी इस जहाँ की मगर,
उसकी आँखों में झाँका तो जाना आखिर नशा भी क्या चीज़ हैं।
ना जख्म भरे ना शराब सहारा हुए,
ना वो बापस लौटे ना मोहब्बत दोबारा हुए।
महंगी शराब दुनिया के हर कोने में मिल जाती,
बस माँ तेरे हाथों की चाय का स्वाद कहीं न मिला।
साकी को गिला है उसकी बिकती नहीं शराब,
और एक तेरी आंखें हैं कि होश में आने नहीं देती।
तेरा होके खुद को मिटा दिया,
मुझे एक शराबी बना दिया।
ये इश्क़ तुझे कौन सी बीमारी है,
जब से तुझे अपनाया है देख मेरा सिर भारी है।
क्या कहा बहा से किताबें नही शराबे निकल रही है,
अरे यार उसे बंद करो वो मेरी अलमारी है।
ना सिगरेट को छुआ कभी ना कोई और नशा,
ना आदत शराब की जाने कैसे पड गई हमे लत ज़नाब की।
कभी सोचा ना था इतना बिखर जाऊँगी मैं,
शराब पियूँगी औऱ फिर नशे में घर जाऊँगी मैं।
शराब की जरूरत किसे है,
कम्बख़त तू उतरे तो नशा दूसरा करें।
ना जख्म भरे ना शराब सहारा हुए,
ना वो बापस लौटे ना मोहब्बत दोबारा हुए।
ये इश्क़ भी नशा-ए-शराब जैसा है यारो,
करें तो मर जाएं और छोड़े तो किधर जाएं।
आओ कभी शराब बनकर मुझे घुलना है तुममें पानी की तरह,
अपने होठों से मुझको चख तो जरा मैं भी शायद शराब हो जाऊँ।
तेरी आँखों से एक चीज लाजवाब पीता हूँ,
में गरीब जरुर हूँ मगर सबसे महँगी शराब पीता हूँ।
अपने होठों से मुझको चख तो जरा,
मैं भी शायद शराब हो जाऊँ।
अरे शराब तक जलती हैं हमसे कम्बख़्त जबसे हम मिले हैं,
मेहबूब ने हमारे जाम से तालुक्कात सारे तोड़ दिए हैं।
न पूछो कि शराब की लत कैसे लगी,
बस गमों के बोझ से शराब की बोतल हल्की लगी।
कदम भला बहके कहाँ है शराब से,
ये तो बहके हैं करके इश्क़ एक गुलाब से।
मेरी तबाही का इलजाम अब शराब पर है,
मैं और करता भी क्या तुम पर आ रही थी बात।
यू तो तुझसे जुदा हो कर पानी तक तो गले से उतरता नही,
लेकिन अगर तुम शराब ले आये हो तो पिला दो।
कुछ नहीं बचा कहने को हर बात हो गई,
आओ कहीं शराब पीएं के रात हो गई।
होठों से लगाकर पी जाऊ तुम्हे,
सर से पाँव तक शराब जैसी हो तुम।
क्या कहा तुम्हारा पति शराब पीता है,
तो लानत है तुम्हारे होठों पर।
ज़माने बाद वो मिला है कैसे मुँह फेरूँ,
मेरे लिए वो पुरानी शराब है मेरे दोस्त।
रोया था मेरा रुह भी तेरे जाने के बाद गम में,
अरे हम चाय वाले थे पर उस दिन शराब पी थी हमने।
जा छोड़ दिया हमने शराब पीना तेरी यादों में,
पर ये मत भूल वो वज़ह तू ही थी जो पीने का कारण बनी।
नशा है नशे की बात न कर,
तुझे देख भर लें बस देसी शराब का नशा होता है।
शराब पीने की आदत बुरी होती होगी पर क्योँ,
क्योकि किसी को भूल जाने के लिए उसी को याद कर की पी जाती है।
वक़ालत ख़ूब की हमनें शराब छोड़ देंगे यार,
दुहराई कहानी फिर रूहानी शाम जब आयी।
शराब पी है हमनें आज मार ही दे आज हमें,
सब पुरानी बात है दिल टूटने की तड़पकोई नई तो नहीं।
शराबों में डूबे रहने की तकलीफ़ उन्हें क्या पता,
मोहब्बत औरों की देख जो खेल इसे समझा करते हैं।
मत पूछा कीजिये बार-बार शराब पीने की वज़हें,
जिस दिन बता दिया कहीं आप भी शराबी न हो जाएं।
शराब बड़ी महँगी हो गयी,
ग़म भुलाने का तरीका और ग़म देनें का तरीक़ा अब सिर्फ़ तुम ही हो।
तबाह होने की वजह ढूंढ रहे तो इधर आइये,
शराब तो पुरानी चीज़ है ज़नाब एक बार मोहब्बत अपनाइए।
शराब बुरी चीज़ है होगी,
बस जरूरी है हमें जिंदगी के लिए।
शहर आज की दिलकश है फिज़ाओ में क्या है,
शराब हमनें पी और कहीं ऐसा तो नहीं बादलों में नशा है।
शराब पीने ज्यों ही पहुँचें मयख़ाने में,
बात याद आ गयी किसी की और लौट आए हम।
शराब नें हमसे कहा पी मुझे और उसे भूल जाएगा,
पूरा मयखाना पी जानें के बाद भी उसे भूल नहीं पाया।
कौन है जो हमें हरानें की कोशिशों में डूबा है,
हम तो ऐसे ही शराब में डूबें हैं ज़रा और पिला दे ऐसे ही मर जाएंगे।
नशा इस क़दर है मुझपे उसकी बातों का,
शराबों का सहारा लेकर जीना छोड़ दिया मैनें।
बड़े ग़ुरूर से उसनें ठोकर मार दी हमें,
आशिक़ हम भी ज़रा पुरानें किस्म के निकले शराबें
और शराबियों से नाता पुराना है अपना।
बड़ा शौख था हमें इश्क़ का पहले,
अब लत है शराब-ए-ज़िन्दगी की हमें।
रात का मौसम कभी कभी जानलेवा हो जाता है,
कभी उनकी यादें तो कभी शराब नशा तो दोनों देती हैं।
शराब अच्छी हो या बुरी,
लोगों को अच्छा बना देती है कुछ वक्त के लिए।
काश के तुझे पा गए होते,
इस कम्बख़त शराब से तो छुटकारा मिलता।
बड़े शौख से मोहब्बत की थी उस वक़्त हमनें,
आज हम मोहल्ले के नामी शराबी आशिकों में शुमार हैं।
शराब छोड़ने को कहा था उसनें,
कल उसकी शादी थी अब तो पी ही सकता हूँ ना।
तुझे मोहब्बत में न पाकर बड़ा अफ़सोस था हमें,
शराब पी बेहिसाब तब जाना की कोई और भी जन्नत है इसी जहान में।
चेहरा याद करके पीने की आदत है हमें,
उसे क्या मालूम उससे ज्यादा नशा देती है शराब।
अच्छा सुनो जब शराब मँगाओ हमें बुला लेना,
अब हम उसके ग़म में नहीं उसकी याद में पीते हैं।
उसे भरम था की एकलौती मोहब्बत थी वो मेरी,
पर उसे कहाँ मालूम की बोतलों से नहीं नशे शराबों से हुआ करते हैं।
अब वो बात रही नहीं शराबों में,
पहले पीनें के बाद भी उसे भुला पाना नामुमकिन होता था।
लोगों को लगता है शराबें हरदम ख़ुशी से पी जातीं हैं
उन्हें मालूम नहीं दुनियाँ में मोहब्ब्त भी एक चीज़ होती है।
शराब के बोतल में ख़ुद को डुबा के पी है,
दर्द कुछ नहीं है पर किसी और का ग़म सोच के ही शराब पी है।
शराब से जबतक हमारी इश्कबाज़ी चलती रहेगी,
यकीन मानिए हर पल मौत को मात देता रहूँगा मैं।
चलिए बहुत हो गई मोहब्ब्त वोहब्बत की बेकार बातें,
ये बताइए महफ़िल-ए-शराब का कोई इंतज़ाम है क्या?
वो एक क़तरा शराब चाहिए हमें हर रोज़ उसकी नज़रों की,
बस ये जिंदगी यूँ ही गुज़ार देनें को तैयार हैं हम।
ख़त्म कर देंनें से गर मोहब्ब्त खत्म हो जाती,
दुनियाँ में यारों शराब इतनीं महँगी नहीं होती।
रोते हुए पहुँचे औऱ झूमते हुए निकले हम,
ये शराब इतनीं भी बुरी नहींजितना जानते हैं आप।
शराब या वो जो भी मिल जाएँ
हर शाम हमें पागल किए देते हैं।
नया नया नशा है उतर जाएगा,
ये शराब क्या चीज़ है हमें तो अब जिंदगी का भी नशा नहीं रहा।
महँगा शौख है शराब पीना,
उम्मीदों को बेच देना सबके बस की बात नहीं।
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