Shayari For Impress Girl: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फ़िर हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है लड़की को खुश करने वाली शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
शायरी से ज्यादा प्यार मुझे कहीं नही मिला,
ये सिर्फ वही बोलती है जो मेरा दिल कहता है।
लफ्जों में तो तुम कुछ भी उतार सकते हो,
ये बताओ दर्द में कितने दिन गुज़ार सकते हो।
किसी दिन ज़िंदगानी में करिश्मा क्यों नहीं होता,
मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ ज़िंदा क्यों नहीं होता।
तू मेरे साथ होगा तो क्या कहेगा जमाना,
मेरी यही एक तमन्ना और तेरा यही एक बहाना।
अभी तक अलविदा तो नहीं कहा उसने,
अभी भी इंतज़ार करना लाज़मी है मेरा।
मैं भूल सा ही गया हूँ अब तुम्हारे बारे में लिखना आजकल,
सुकून से तुम्हें पढ़ सकूँ मैं इतना भी वक्त नहीं देती है ये जिंदगी।
उन्होंने इश़्क नहीं किया कारोबार किया
जब भी फुर्सत में थे तभी तो प्यार किया
घाव दिखा दूंगा मगर खाओ कसम,
तुम्हारे हाथों में नमक नही मरहम है।
ये किताब के मुड़े पन्ने कहते हैं दास्तां,
बहुत कुछ रह गया है तुमसे कहे बगैर
रूह को अपनी करके एक तेरे हवाले मैं,
एक जिस्म लिए सारे ज़माने में घूमता हूँ।
छोड़ जाना मगर इक दफ़ा आ तो सही,
तू बेवफ़ा है ये कह के आँख मिला तो सही।
मुकम्मल हो नहीं पाती कभी तालीम-ए-मोहबबत,
यहां उस्ताद भी ताउम्र शागिर्द रहता है।
जो मेरे दिल में है तेरे दिल में भी वही आरज़ू चाहिए,
मोहब्बत में मुझे सिर्फ जिस्म नहीं तेरी रूह चाहिए।
मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है,
कि चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है।
करवटें सिसकिया कशमकश और बेताबी,
कुछ भी कहो मोहब्बत आग लगा देती है।
अजीज इतना ही रखो के मेरा जी सम्भल जाएं,
अब इस कदर भी न चाहो के दम निकल जाए।
किस वास्ते लिखाया हथेली पर मेरा नाम,
मैं हर्फ़-ए-गलत हूँ तो मिटा क्यों नही देते
मैं लब हूँ पर मेरी बात तुम हो,
मैं तब हूँ जब मेरे साथ तुम हो।
मोहब्बत के दावेदार हो तो,
जुदाई वसीयत में मिलेगी।
जमीन जब भी हुई करबला हमारे लिए,
तो आसमान से उतरा खुदा हमारे लिए।
तैरती रहती है इन आँखों में तस्वीर तेरी,
कहीं बह न जाये इसलिए रोते नहीं हम।
रंजीश ही सही मेरा दिल दुखाने को आ,
मुझे एक बार फिर से अकेला छोड़ जाने को आ।
कभी न खत्म किया मैं ने रोशनी का सबब,
अगर चिराग बुझा तो दिल जला लिया मैंने।
ख्वाब ही ख्वाब कब तलक देखु,
काश तुझ को भी एक झलक देखु।
टूटते-बनते-बदलते रिश्तों की मैं बात कैसे करूँ,
ठहराव का आदी हूँ बदलाव की बात कैसे करूँ।
मेहरबानी शुक्रिया बहुत कुछ दिया है आपने,
अब पीठ से मेरी अपना खंजर निकाल लिजिए।
बहुत जोर से हँसे थे हम बड़ी मुद्दतों के बाद,
आज फिर कहा किसी ने मेरा ऐतबार कीजिये।
अकेली रात बोलती बहुत है लेकिन सुन,
वहीं सकता है जो मेरी तरह तनहा हो।
हजारों ना मुकम्मल हसरतों के बोझ तले,
ऐ दिल तेरी हिम्मत है, जो तू धङकता है।
अब घूंघट ओढ़ के रखा करो अपने आप को,
ताज के बाद सिर्फ तुम्ही में खूबसूरती बची है।
ऐसा ना हो तुझको भी दीवाना बना डाले,
तन्हाई में खुद अपनी तस्वीर न देखा कर।
अरसे बीत गए हैं अब तुझे लिखते लिखते,
दो लफ्ज़ तू भी कभी मेरे सब्र पर कह दे।
अगली बार मिलो हमें तो हाथ मत मिलाना,
तुम थाम नहीं पाओगे हम छोड़ नहीं पाएंगे।
मैं ढूंढ रहा हूँ लेकिन नाकाम हूँ अब तक,
वो लम्हा जिसमें तुम मुझे याद न आते हो।
क़ैद हूँ कई बरसों से बेचैनी के क़ैदखाने में,
सुनो खोल दो न ज़रा सुकूँ की खिड़कियां।
अब मन की कोमल भावनाओ को तुम हवा मत देना,
जो निभा सको ना तुम किसी को ऐसी वफ़ा मत देना।
जो कह दिया वो बात थी,
जो चुप रहे जज़्बात थे।
बहुत महंगा पड़ रहा हैं,
सस्ते लोगो पर भरोसा करना।
हमें कुछ याद आया तो लिखेंगे फिर कभी,
फ़िलहाल रूह बेचैन है तेरी तस्वीर देखकर।
जब दिल जो टूटा तो कई हाथ दुआ को उठे,
ऐसे माहौल में अब किसको पराया समझूँ मैं।
अब ये नब्ज़ भी क्या ख़ाक बोलेगी हुज़ूर,
जो दिल पे गुज़री है वो दिल ही जानता है।
मेरे साथ यूँ चलने की ख्वाहिश न रख ए कातिल,
यह वह हसीन कफन हैं जिसकी न कोई जमीं हैं।
अब न कोई हमें मोहब्बत का यकीन दिलाये,
हमें रूह में भी बसा कर निकाला है किसी ने।
माना तेरे जितने बेहतरीन तो नहीं है हम लेकिन,
बात बात पर रंग बदले इतने भी रंगीन नहीं है हम।
इधर ये ही तड़प है कि वो साथ नहीं,
उधर वो कहते हैं कि कोई बात नहीं।
ज़िन्दगी का सफ़र नही रुकता किसी के चले जाने से,
हम ना होंगे तो रोनक-ऐ-महफ़िल कोई और होगा।
दोस्ती निभाओगे तो महफ़िल में भी आओगे,
कुछ एहसास कुछ जज्बात अल्फाजों से ही सुनाओगे।
माफ़ी मांग लें सुलह भी कर लें,
खफा क्यूँ है वजह तो तय कर लें।
दिल है तजल्ली-ए-रुख़-ए-ज़ेबा लिए हुए,
आग़ोश में है चाँद को दरिया लिए हुए।
जो न मानो तो फिर तोल लेना तराजू के पलड़ों पर,
तुम्हारे हुस्न से भी कहीं ज्यादा मेरा ये इश्क भारी है।
कशिश ज़िंदगी की कुछ इसलिये भी बरकरार है,
क्योंकि कहानी में बाकी अब भी एक इंतज़ार है।
बड़ी मुश्किल से मिलते हैं आशियाने आज-कल,
हमने दिल में जगह दी है आप रहना तो सीखिए।
जब जुड़े हो दो दिल किसी अनदेखी डोर से,
तो जरूरी नहीं की इजहारे मोहब्बत रोज हो।
आप हर रोज कहते हो मुझसे कि कुछ देर में बात करेंगे,
कुछ देर में हमारी आँख ही न खुली तो आप क्या करेंगे।
हँस हँस के इस दिल के हम क्यूँ न चुनें टुकड़े,
हर शख़्स की क़िस्मत में भी प्यार नहीं होता।
मत कर गुरूर इतना इन बनावटी रंगों पे,
मेरे सच्चे इश्क़ ने ही तेरा हुस्न संवारा है।
वहम मत पाला करो कि हर रिश्तें ख़ास होते है,
कुछ अपने दिखने वाले भी सांप होते हैं।
तुम बदले तो हम भी कहाँ अब पुराने से रहे,
गर तुम आने से रहे तो हम भी बुलाने से रहे।
क्या ख़ाक तरक्की की है आज भी दुनिया ने,
मरीज-ए-इश्क़ आज भी ला-इलाज़ बैठे हैं।
फूट-फूटकर वो भी तन्हाई में बहुत रोया होगा,
जब मजबूर होकर हालातों से उसने मुझे खोया होगा।
अब बिन तुम्हारे भी तो नहीं मेरा कोई सपना पूरा है,
कुछ भी लिखूँ कुछ भी कहूँ बिन तुम्हारे सब अधूरा है।
सिर्फ़ इशारा काफ़ी है तफ़सील ज़रूरी नहीं,
हम और तुम काफ़ी है महफ़िल ज़रूरी नहीं।
न जाहिर हुई तुमसे न बयान हुई हमसे,
बस सुलझी हुई आँखो में उलझी रही मोहब्बत।
क्या बताये कैसे कैसे मिल जाते हैं लोग,
रहमदिल क्या हुए रोज छल जाते हैं लोग।
ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है,
जहां कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है।
हल्की हल्की सी हँसी साफ़ इशारा भी नहीं,
जान भी ले गए औऱ जान से मारा भी नहीं।
जिसके लफ़्ज़ों में हमे अपना अक्स मिलता है,
बड़े नसीबों से ऐसा कोई शख़्स मिलता है।
अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई,
और बिखर जाऊँ तो मुझ को न समेटे कोई।
पटरी पे रख के कम्बख्त इश्क पर ट्रेन चढ़ा दो,
फिर भी बच जाए तो इसपर क्रेन चढ़ा दो।
हम वफ़ा के मामले मे दरख़्त की तरह हैं,
कट जाते हैं लेकिन जगह नहीं बदलते।
मैं आदत हूँ उसकी तो वो ज़रुरत हैं मेरी,
मैं फरमाईश हूँ उसकी वो इबादत हैं मेरी।
उस दर पे दोबारा कभी ना जाना,
जिस दर पे रौंदा जाए एहसास तुम्हारा।
मिला है हुस्न तो इस हुस्न की हिफाज़त कर,
सँभल के चल तुझे सारा जहान देखता है।
अचानक एक हमदर्द मिला,
फिर उसी से हर दर्द मिला।
कोई गुनहा करो तो याद रखो,
इंसान माफ करते हैं भगवान नहीं।
मैंने जान बचा रखी है एक जान के लिए पता न,
इतना इश्क़ कैसे हो गया एक अनजान के लिए।
गैरों से तो हमें कोई शिकवा ही नहीं है,
ज़ख्म तो अपनों के दिए चुभ रहे हैं।
मोहब्बत से इनायत से वफ़ा से चोट लगती है,
बिखरता फूल हूँ मुझको हवा से चोट लगती है।
बहुत सोचा तेरे बारे में,
अब तू सोच अपने बारे में।
फिर वही पल वही लम्हे फिर वही दौर है,
फिर वही हम अकेले फिर उनके साथ कोई ओर है।
दिल की पहली भूलों में जो शामिल होता है,
उस को सारी उम्र भुलाना मुश्किल होता है।
जाया न कीजिए ये उम्र जनाब,
धड़कता है दिल तो इश्क कीजिए।
मैं चाहा था कि ज़ख्म भर जाएं,
ज़ख्म ही ज़ख्म भर गए मुझ मैं।
कुछ मत चाहो दर्द बढ़ेगा,
ऊबो और उदास रहो।
अब इस ठहरी हुई ज़िन्दगी का न जाने क्या अफसाना होगा,
गुफ्तगू कर लीजिये कभी अब न जाने कब तेरे शहर में आना होगा।
तुम अब मेरी नादानियों से शिकवा ना करना,
तुम भी तो नादान ही थे जो मुझ से मोहब्बत कर बैठे।
जुल्फे भी खुली थी काजल भी लगा रखा था,
झुमके ने तो जालिम अलग ही उधम मचा रखा था।
तुम्हें कोई और भी चाहे तो मेरा दिल थोड़ा डरता है,
पर फक्र है मुझे इस बात पर मेरे पसंद पर हर कोई मरता है।
सिर्फ चेहरे की उदासी से भर आये तेरी आँखों में आँसू,
मेरे दिल का क्या आलम है ये तो तू अभी जानती नहीं।
नाराज क्यों होते हो चले जायेंगे बहुत दूर,
जरा टूटे हुए दिल के टुकङे तो उठा लेने दो।
दिल काँच का होता है लिखना क्या है,
टूट गया तो फेंक दो अब रखना क्या है।
कम से कम इतना तो बता दो,
भूल जाऊं तुम्हें या इंतजार करूं।
समंदर खुद चल कर दरिया में मिल क्यूं नहीं जाता,
मुझे छोड़ कर जाने वाला अब लौट क्यूं नहीं आता।
बेनूर सी लगती है, उस से बिछड़ कर ये जिंदगी,
अब चिराग जलते तो हैं मगर उजाला नहीं करते।
हम दिल के सच्चे यूं कुछ एहसास लिखते हैं,
मामूली शब्दों में ही सही कुछ खास लिखते हैं।
अब ये रूकता भी नहीं ठीक से चलता भी नहीं ठीक से,
यह दिल है कि तुम्हारी याद में सँभलता ही नहीं ठीक से।
भरोसा टूट जाने के बाद,
यक़ीन धुंधला सा हो जाता है।
देख ली जमाने की यारी,
सब बदल गए बारी बारी।
कोई इशारा कोई दिलासा न कोई वादा मगर,
अब तो हर पल हम तेरा ही इंतज़ार करने लगे।
महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली,
वक़्त फिर भी मेरे हिसाब से कभी ना चला।