Teri Aankhen Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है तेरी आंखे शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
रुतबा अपना हम आंखों से ज़ाहिर कर देंगे,
करीब से गुज़रेंगे और तुझे मुसाफ़िर कर देंगे
अलविदा कह चुके हैं तुम्हें,
जाओ आंखों पे ध्यान मत दो ।
कुछ लोग आँखो में रहते हैं,
कुछ लोगों की तस्वीरें नहीं होती।
आज आंखे थोड़ी सी उलझन में है,
उनकी तस्वीर कहती है जाग ले,
ख्वाब कहते है थोड़ी देर सो ले।
जिसके होंठों पे है सन्नाटा कभी गौर तो कर,
उसकी आँखों में शिकायत भी तो हो सकती है।
बस नजरो से नजर मिला लिया करो,
इश्क तेरी आँखों में हम खुद ही ढूंढ लेंगे।
लाज़िमी नहीं की तुझे आंखों से ही देखूं,
तुझे सोचना ही तेरे दीदार कम नहीं।
आँख खुलते ही याद आ जाता है तेरा चेहरा,
दिन की ये पहली खुशी भी कमाल होती है।
Teri Aankhen Shayari in Hindi
एक चहेरा है जो आखोंं में बसा रहता है,
एक तसव्वूर है जो तन्हा होने नहीं देता।
जान ज़रा चुप रहा करो,
इश्क़ में आँखों से बोलते हैं।
आँखों से ही गले लगा लीजिए,
सीने से लगाने में यहाँ पाबंदियां बहुत है।
तेरी आँखों से एक चीज लाजवाब पीता हूँ,
में गरीब जरुर हूँ मगर सबसे महँगी शराब पीता हूँ।
झलक रहा है उनकी आँखों से अब वज़ूद मेरा,
खुदा करे उन निगाहों को नज़र न लगे।
तुम मुझे हैरतज़दा आंखों से मत देखो साहब,
बेवफाई में सब मर नहीं जाते, कुछ लोग संभल जाते हैं।
बिन बोले जो तुम कहते हो बिन बोले ही वो सुन लूँ मैं,
भरके तुमको इन आँखों में कुछ ख्वाब नए से बुन लूँ मैं।
ये आईने ना दे सकेंगे तुझे तेरे हुस्न की खबर,
कभी मेरी आँखों से आकर पूछो के कितनी हसीन हों।
लोग पढ़ लेते है मेरी आँखों में तुम्हारे प्यार की शिद्दत,
हमसे अब तुम्हारे इश्क की और हिफाजत नहीं होती।
ना आँखों से छलकते हैं ना कागज पर उतरते हैं,
कुछ लफ्ज ऐसे होते हैं जो तुम और मैं ही समझते हैं।
सादगी आँखो से जान लेना संस्कार बातो से जान लेना,
फिर भी गर न समझ पाओ तो मिलकर मुलाकातों से जान लेना।
इश्क़, जिस की भी आंखों में उतर आता है,
उसे ये सारा जहाँ, खुबसूरत नज़र आता है।
खूली आंखो से सारी कायनात देख लेते है,
बस तुम्हें देखने के लिए आँखे मूंद लेते है।
नजाकत आँखों में लेकर वो उनका देखना हाय,
हम उन्हें देखें या उनका देखना देखें।
सारी दुनिया से छीन लूं उसे,
ये ख्वाहिश है उसकी आँखों में।
उन्होंने मेरी आँखों मे कई ख्वाब झूलते देखे हैं,
अफसोस, उन्होंने मेरी ख़्वाबोंमे खुदहीको बसा नही देखा हैं।
तेरे हुस्न पर लिखने को बहुत कुछ था आज,
पर तेरी आंखों' से आगे हम बढ़ ही ना पाए।
जो मोहब्ब्त तुम बयां नही कर पाती हो मुझसे,
वही पढ़ता हूँ मैं तुम्हारी आँखों में।
कैद खाने है बिन सलाखों के,
कुछ यूं चर्चे है तुम्हारी आंखों के।
कौन कहता है तेरी यादों से बेखबर हूं,
मेरी आँखों से पूछ मेरी रात कैसे गुज़रती है।
आंखें थी जो कह गयी सब कुछ,
लफ्ज़ होते तो मुकर गए होते।
इतना बेताब न हो मुझसे बिछड़ने के लिए,
तुझे आँखों से नहीं मेरे दिल से जुदा होना है।
क़यामत खेज़ हैं आँखें तुम्हारी,
आख़िर तुम ख़्वाब किसके देखती हो।
मेरी आँखों में यही हद से ज्यादा बेशुमार है,
तेरा ही इश्क़, तेरा ही दर्द, तेरा ही इंतज़ार है।
उसने मेरा गुरुर भी कुछ ऐसे तोड़ दिया,
आँखों को चूमा और होंठों को छोड़ दिया।
जब लबों पर जगह नहीं मिलती,
लफ़ज़ आंखो में रहने लगते हैं।
रोक कर बैठे हैं कई समंदर आँखों में,
दगाबाज़ हो सावन तो क्या हम खुद ही बरस लेंगे।
तेरी आँखों के जो कंचे हैं,
बगैर लाईसेंस के तमंचे हैं।
आंखों में बसा रखा है उन्हे,
जिनका नाम तक लकीरों में नहीं।
कब से लिखे जा रहे हो मेरी नथली के एक मोती पर,
आँखों पर भी लिखना है होंठ भी तो बाक़ी हैं।
कभी तो ले आओ होठो पर,
जो बात तिरी आंखे कहती हैं।
तमाम ज़ुबानें बे-ज़ुबान लगती हैं,
जब इश्क़ आंखों से समझाया जाता है ।
हम ने रोती हुई आँखों को हँसाया है सदा,
इस से बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे।
कबकी पत्थर हो चुकी थी मुंतजिर आंखे मगर,
छूकर जब उसने देखा तो हाथ उसके गीले हो गए।
लगा लेना काजल अपनी आँखों में जरा,
ख्वाब बनकर दाखिल होने का इरादा है मेरा।
आँसू थे हम दोनो की आँखों मे फिर भी,
उसने कहा के मुझे जाना है।
वो आँखों से ही बात करती है,
होंठ तो सिर्फ मुस्कुराने के लिए है।
किसी के बुढ़ापे की लाठी किसी के आंख का तारा हूँ मैं,
फिर उसके बाद ही मेरी जान,तुम्हारा हूँ मैं।
मैंने उसको उतना देखा जितना देखा जा सकता था,
लेकिन फिर भी दो आँखों से कितना देखा जा सकता था।
पोशीदा हो तुम इन नजरो से दुआ करो दीदार न हो,
रहो गुमनाम ताउम्र तुम बस इन आँखो में इंतजार न हो।
कि इस बार कुछ तब्दीलियां की जाएं,
प्यास आंखों की जगह उंगलियों की मिटाई जाए।
एक आँसू भी हुकूमत के लिए खतरा है,
तुमने देखा नहीं आँखों का समन्दर होना।
आँख भरकर देखना है तुझे,
चूमना मोहब्बत का दस्तूर नही।
उसकी आंखों में मेरी शायरियाँ हैं,
मेरी शायरियों में उसका चेहरा है।
इन आँखों की तमन्ना है बस दीदार तुम्हारा हो,
इस दिल में रहो बस तुम और हर बात में जिक्र तुम्हारा हो।
तू सुकून है इस दिल का वरना,
इन आंखों ने तुझसे भी अच्छे चेहरे देखे हैं।
किताबें भी पढ़ने का शौक़ नहीं था हमें,
और इस इश्क़ ने आँखें पढ़ना सिखा दिया।
इसे इत्तेफाक समझो या दर्द भरी हकीकत,
आँख जब भी नम हुई वजह कोई अपना ही था।
वो आँखों ही आँखों में करती है ऐसे बातें,
के कानों कान किसी को खबर नही होती।
तरस गई हैं मेरी आंखें तुझे निहारने को,
काश आखरी बार तुझे थोड़ा और देख लिया होता।
आँखों में ज़रा सी नींद,
और ज़ेहन में बहुत से तुम हो।
फर्क़ आँखों मे नही बसीरत मे होता है,
ऐब वाले ऐब औऱ हुनर वाले हुनर ढूँढते है।
यूँ तो उनसे करने को बातें थी तमाम,
मगर आँख प्यासी थी तो उन्हें देखते रहे हम।
जाते जाते उसने ये तो कहा अपना ख्याल रखना,
पर उसकी आंखे कह रही थी अब मेरा ख्याल कोन रखेगा।
फिर से हो रही थी मोहब्बत उन्हें मुझसे
ना खुलती आँख तो,बस वो मेरे हो ही चुके थे।
मेरी आंखों में पढ़ लेते हैं लोग तेरे इश्क़ की आयतें,
किसी में इस कदर बस जाना भी अच्छी बात नहीं ।
इजहार ए मोहब्बत इन आंखों से बखूबी समझते है हम,
तोहमत ना लगे आप पे कहीं इसलिए खामोश रहते है हम।
तेरे आंखों की सहूलियत मयस्सर हो जिसको,
वह भला चाँद सितारों को कहाँ देखेगा।
थोड़ा बहुत रह ही जाते हो,
हमने कितनी बारआंखों से बहाया है तुझको।
कुछ यूँ भर लिया है मैंने अपनी आँखों में उन्हें,
अब ये आइना मुझे मेरी तस्वीर नहीं दिखाता।
कोई और तुमको देख़े भी तो क्यों,
मेरी ही आँख़ो को जब तुम कम पड़ती हो।
तू रख गुरूर तेरे हुस्न का बेशक,
हम आँखें मूंद कर इश्क करते हैं ।
सलीके का ख्याल है मुझे,
तभी सिर्फ आंखें नम हुई आंसू छलके नहीं।
तुम से बेहतर तो नही हैं ये नज़ारे लेकिन,
तुम ज़रा आँख से निकलो तो इन्हें भी देखूँ।
कभी पढ़कर ख़ुशी होती होगी कभी आंखें भर जाती होगी,
मेरी शायरी में जब किसी को अपनी कहानी नज़र आती होगी ।
आँखों में ज़रा सी नींद,
और ज़ेहन में बहुत से तुम हो।
ये सवालिया आँखे और अफ़ीम सी बिंदी,
ये चाहती कुछ और है और बोलती कुछ और।
रुख़्सत हुआ तो आँख मिला कर नहीं गया,
वो क्यूँ गया है ये भी बता कर नहीं गया।
यकीनन उसे तलाशती हैं मेरी आँखें,
ये अलग बात है अब हम ज़ाहिर नहीं होने देते।
इजहार-ए-मुहब्बत नहीं होगा हमसे,
आपको आँखो से ही समझना होगा।
मखमली बदन नाज़ुक कमर गजराले बाल और आंख पर काला काजल,
दुनिया की बाकी हसीनाओं को तो कोने से लगा रखा है।
तुम्हारी आंखें जैसी कोई जहर,
मेरी चाहत इसमे डुब कर मर जाऊं।
कई आँखों में रहती है कई बांहें बदलती है,
मुहब्बत भी सियासत की तरह राहें बदलती है।
ये झुकी आँखें खामोश होठ उलझे केश और,
कमर पर तिल हाय एक नदी में इतनी सारी लहरें।
हमें है शौक़ कि बे-पर्दा तुम को देखेंगे,
तुम्हें है शर्म तो आँखों पे हाथ धर लेना।
आँखों से भी लिखी जाती है दास्तानें,
हर कहानी को कलम की जरूरत नहीं होती।
मेरी आँखे तेरी तस्वीर से जा लगती है,
सुबह उठ कर सभी अख़बार नहीं पढ़ते।
कभी गालों पर तो कभी आँखों पर,
अब मैं होश संभालू या उसकी जुल्फ़े।
आँखें खुली हों या हों बंद नज़र आते हो तुम ही तुम,
मेरी साँसों में मेरी धड़कन में मेरी रूह में बसर करते हो तुम ही तुम।
सुनो,मुझसे नहीं होता कि मैं मिसालें दूँ दलीलें दूँ,
मेरी आँखों में लिखा है कि मुझे तुमसे मोहब्बत है।
वो खूबसूरत बहुत है लेकिन हमारी आंखों को चुभ रहा है,
क्या ज़रूरी है हमेशा हसीन लोगों पर प्यार आये।
उसकी आँखों की गुफ़्तगू से साफ़ ज़ाहिर है,
कि ले रखी है मेरी जान की सुपारी उसने।
वो ना आए नज़र तो लगता है,
मेरी आँखे फ़िजूल हो जैसे।
हम अगर उसकी तस्वीर बनाने लग जाएं,
सिर्फ़ उसकी आंखों पे कई ज़माने लग जाएं।
उसकी आंख उसके रुख़्सार उसके लब देखकर,
हम उसके कायल हो गए बस यही सब देखकर।
तुम्हारे इश्क़ की दास्तां लिखी है मेरी आँखों में,
तुम मेरे इज़हार करने का इंतजार मत करना।
इन आंखों की आखरी ज़िद है,
तेरे बाजुओं में बंद होने की।
इक हीर है जिसकी आँखों पर मरता है शहर सारा,
इक राँझा है जिसकी हीर दीवानी है।
ख्याल - ए - यार मे नींद का तसव्वुर कैसा,
आंख लगती ही नहीं आंख लगी है जबसे।
आँखें खुले तो देखू तुझको सिर्फ ये ही फरमाइश है,
पहली तो मुझको याद नहीं तू मेरी आखरी ख्वाहिश है।
उनके लफ़्ज़ों की करामात ना पूछिए,
दिल पे लगते ही आंखों से निकलते हैं।
उसकी आँखें अगर शेर सुनाने लग जाएँ,
हम जो ग़ज़लें लिए फिरते हैं, ठिकाने लग जाएँ।
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