Achi Achi Shayari: नमस्कार दोस्तों, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है अच्छी अच्छी शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको पसंद आएगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करेंगे।
ज़िंदगी बैठी थी अपने हुस्न पे फूली हुई,
मौत ने आते ही सारा रंग फीका कर दिया।
उसकी शादी की तारीख आगे बढ़ा दी गई है।
कोरोना अब मुझे दुश्मन नहीं लगता।
जब हंस कर कह दूं कि ठीक हूँ मैं,
तो समझ जाना कि रोने के करीब हूँ मैं।
उन्हें कोई मुहब्बत निभाना सिखाये,
जिनसे हमनें मुहब्बत करनी सीखी है।
जो देते है दुआ हमें उम्र ए दराज की,
उनसे कह दो जीना कोई मजाक नहीं।
मेरी बर्बादी में जो जो शामिल हो,
भगवान करे उसे एक पल को भी सुकून न हासिल हो।
दिल को हज़ार चीखने चिल्लाने दीजिए,
जो आप का नहीं है उसे जाने दीजिए।
वो एक सबक था ज़िंदगी का,
और मुझे लगा मोहब्बत है ये।
इन ख्वाहिशो ने ही भटकाई है ये जिंदगी की राह,
रूह तो उतरी थी ज़मीं पर मँजिल का पता लेकर।
मेरा हाथ थामे कोई भी साथ नहीं,
चला मुझे हर किसी ने कहा।
अब बस एक बात का इजहार करना हैं,
मुझे अब इस तन्हाई से ही प्यार करना है।
एक पीता हूं चार तोड़ता हूं,
वो जो कहती थी मत पियो सिगरेट।
उसके ना होने से उसका होना समझ आया,
खो दिया उसे फिर मुझे खोना समझ आया।
अलविदा कह चुके है तुम्हे,
जाओ आँखो पर ध्यान मत दो।
शक से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते,
कसूर हर बार गल्तियों का नही होता।
खींच लेती है मुझे उसकी मोहब्बत,
वरना मै बहुत बार मिला हूँ आखरी बार उससे।
कैसे सीने से लगाऊ किसी और के हो तुम,
मेरे होते तो बताता मोहब्बत किसे कहते हैं।
नींद भी क्या कमाल की है आ गई तो ठीक,
वरना सारे पुराने जख्म एक एक कर उभारती है।
कुछ प्यार की कुछ इबादत की महक है उसमें,
उसको किस रिश्ते में बाँधू हर रिश्ते की महक है।
उसमें आईने ने कभी हमसे झूठ नहीं कहा,
हम ही तो, तेरे बेईमान ख़्वाबों में थे।
बना रहा है जो कश्ती उसे नहीं मालूम,
सफ़र से पहले ही इरादे बनाये जाते हैं।
ये जरुरी तो नहीं कि तेरा ख़ास रहूँ मैं बस,
महफूज़ रहे तू ताउम्र तेरे आसपास रहूँ मैं।
तुझसे मिलना अब तो ख्वाब सा लगता है,
इसलिए मैंने तेरे इंतज़ार से मोहब्बत की है।
शिकायत नहीं है रात से तुम्ही से कुछ कहना है,
बस तुम थोड़ा ठहर जाओ ये रात कब ठहरती है।
उन्होंने समय समझ कर गुज़ार दिया हम को,
हम उन्हें ज़िंदगी समझकर आज भी जी रहे हैं।
अब हादसे भी हैरान हैं गुज़र कर मुझ से,
मैं गुजरने के बाद भी बसा हुआ लगता हूं,
तेरे छोड़ जाने का एहसास क्यूं है,
साथ तेरा नही तो तेरी याद क्यूं है।
मेरा भरोसा मत करना कभी क्योंकि मै,
खुद कभी कभी उदास रहकर आपको हँसाता हूं।
तबाह हुँ तेरे प्यार में तुझे दुसरो का ख्याल है,
कुछ मेरे मसले पर भी गौर कर मेरी तो जिन्दगी का।
सवाल है कोई कब तक एक नाम दिन रात पुकारे,
शाम उतर आई खिड़की में बिना तुम्हारे।
मुस्कुराना और सहते जाना चाहने की रस्म है,
अब ना लहूँ न क़ोई आँसू इश्क़।
ऐसा जख्म है कुछ रिश्ते भी अजीब होते है,
इश्क़ को ही देख लीजिए जनाब।
हम हारेंगे भी तो आपसे कुछ इस तरह से,
हर वक्त शक तुम्हें अपनी जीत पर होगा।
मोहब्बत बनकर तो आती है।
और आँशु इंतज़ार बनकर जाती है
तेरी नाराजगी वाजिब है दोस्त
मैं भी खुद से खुश नहीं आजकल
मैं बोलता गया हूं वो सुनता रहा खामोश,
ऐसे भी मेरी हार हुयी है कभी-कभी।
पूछता है जब कोई मुझसे की दुनिया में मोहब्बत बची है कहाँ,
मुस्कुरा देता हूँ मैं और याद आ जाती है माँ।
यक़ीन सबको झूठ पर होता है,
सच तो साबित करना पड़ता है।
देखो माँ अब नींद नहीं आती मुझ को,
तुम कहती थीं इतना सोना बंद करो।
क्या हम भी जन्नत में जाएंगे,
हर जगह से तो ठुकराए गए हैं।
जुल्मो सितम सहते रहे एक बेवफा की आस मे,
डुबो दिया मुझे दरिया ने दो घूट की प्यास में।
शर्त पक्के है मोहब्बत के,
करोगे तो दर्द जरूर मिलेगा।
गर हमें तेरी बदनामियों का डर न होता,
न तू बेवफा कहती न मैं बेवफा होता।
तब बहुत देर हो चुकी होगी,
जब तुझे हम समझ में आएंगे।
हुआ कुछ नहीं बस
वो चुप है मैं उदास हूँ।
कुछ पल का साथ देकर उसने,
चैन उम्र भर का मुझसे छीन लिया।
वो मेरे दिल में रहें और महफ़ूज़ ना हों,
ऐसे रिश्ते ही क्या जो मज़बूत ना हों।
अब दिल भी तो आशियाने जैसे हो गए हैं,
ये रिश्ते भी अब जगह ढूंढते हुए खो गए हैं।
बाज आ जाओ मोहब्बत से मोहब्बत वालो,
हमने एक उम्र गवाइ है मिला कुछ भी नहीं।
हर गुजरे लम्हे का एहसास है वो,
दूर होकर भी बस मेरे पास है वो।
नींद का मुकद्दर था ही नहीं अपना,
जागू तो यादें हैं सोऊ तो सपना।
नहीं चाहिए किसी का साथ,
सिर पर रहे बस् माँ का हाथ।
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ,
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ।
सब कुछ झूठ है लेकिन फिर भी बिलकुल सच्चा लगता है,
जानबूझकर धोखा खाना कितना अच्छा लगता है।
तेरी यादें सिरहाने रख के मैं रात रात भर न सोया,
नफ़रत हो गयी है तुमसें कहकर ख़ुद घंटों रोया।
जहां सब छोड़ दें तुम्हें,
वहाँ हमे याद करना तुम।
किसी की खुशी न बन सके तो कोई बात नहीं,
पर किसी की तकलीफ मत बन जाना।
जब वो ख़्वाब बनकर आती है,
मेरी हर रात महक सी जाती है।
तुम्हारी मोहब्बत ही वजह है जो जिंदा हैं हम,
वरना यार इस जिंदगी से कबका हार चुके हैं हम।
लफ्ज़ अल्फाज़ कागज़ और किताब,
कहाँ कहाँ नही रखता मैं तेरी यादों का हिसाब।
तुझ पर खर्च करने के लिए कुछ नहीं था मेरे पास,
थोड़ा वक्त था थोड़ा मैं दोनों बरबाद हो गये।
रौशनी में कुछ कमी रह गई हो तो बता देना,
ऐ सनम दिल आज भी हाजिर है जलने को।
बहुत काम कर लिया दूसरों के लिए,
अब अपने लिए कुछ करने जा रहे हैं।
झूठे हैं वो जो कहते हैं हम मिट्टी से बने हैं,
मैंने कई अपने देखे हैं जो सिर्फ पत्थर हैं।
ज़रूरी तो नहीं कि दौलत ही अमीरी का पैमाना हो,
कुछ लोगों के पास दोस्त भी होते हैं।
रोज़ रोज़ गिरकर भी मुक़म्मल खड़ा हूँ,
ऐ मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।
ये ज़िंदगी भी दी बड़े हिसाब से उसने मुझे,
और ग़म तो बे हिसाब लिखे जा रहा है वो।
हम खुद को खाली कर बैठे,
तेरे इश्क़ मे रंग भरते भरते।
पुरानी होली का थोड़ा सा गुलाल रखा है,
तुम्हारा इश्क़ मैंने यूँ संभाल रखा है।
मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोड़ो,
लीजिये आपका घर आ गया मेरा हाथ छोड़ों।
ख़ामख़ाह शरमा रहे हैं आप बात क्यूँँ नहीं बढ़ाते,
शक्ल-ओ-सूरत तो अच्छी है आँखे क्यूँँ नहीं लड़ाते।
कई सच हैं तुम्हें लेकिन बताएँ क्या,
भरोसा गर न हो तुमको सुनाएँ क्या।
दुनियाँ में झूठे लोगों को बहुत हुनर आते है,
सच्चे लोग तो इल्जाम से ही मर जाते है।
दर्द देकर कहते हो के हसते रहो,
जान लेकर कहते हो के मरते रहो।
टूटा दिल तो गम कैसा,
वो चल दिये तो सितम कैसा।
मन भरा यार बदले बेवफा हुए साफ,
तो फिर इश्क का भ्रम कैसा।
मै हवा मे गुलाल कुछ इस तरह उडाऊंगा,
तुम्हारे गालो तक ना पहुँचे तो कहना मै खुद आ जाऊंगा।
इतना ही लेना गलाश में,
घर वाले न निकले तालाश में।
बड़ा कच्चा था उस पर इश्क़ का रंग भी,
मजबूरियों के छीटें क्या पड़े उतर ही गया।
इलज़ाम है मुझपे की उनकी कोई फिक्र नहीं,
जो दर्द मझे मिला उसका कोई ज़िक्र नहीं।
वो मिल नहीं पाता तो क्या हुआ,
मोहब्बत तो हमसे फिर भी बेहिसाब करता है।
तुम लहराती सागर सी मैं खालीपन का मारा हूं,
तुम कामयाब शहरी लड़की मैं गलियों का आवारा हूं।
कोई रंग उसे लगा रहा था,
चेहरा मेरा लाल हो रहा था।
जमाना बदल गया है साहब,
अब लोग मासूमों को बेवकूफ समझते है।
नीद को आज भी शिकवा है मेरी आंखों से,
मैने उसे आने न दिया तेरी याद से पहले।
ख्वाबों में ही सही मेहमान रहने दो,
तुम मेरे हो ये गुमान रहने दो।
यह होली का मजा कुछ खास नहीं है,
जिन्हें रंगना था वो पास नहीं।
ताउम्र जो ना उतर सके वो अबीर कहा से लाऊ मैं,
तेरे गालों को छूने वाली तकदीर कहा से लाऊ मैं।
यूं तो हर रंग में वह कमाल लगती है,
पर काले रंग के सूट में तो लाजवाब लगती है।
सीख कर गया जो हमसे प्यार मोहब्बत,
अब न जाने किस किस को सिखाता है ,ऎसे होती है मोहब्बत।
माना साथ निभाना इश्क का पहला नियम है,
पर इश्क को खुश देखना दिल का पहला जज़्बात है।
हमने बुरा वक़्त देखा है यार,
हम किसी का बुरा नहीं सोचते।
हमारी मोहब्ब्त किसी मौसम की मोहताज नही,
जब तुम आजाओ मोहब्बत का मौसम है वही।
सर झुकाने की खूबसूरती भी क्या कमाल होती है,
ज़मीं पे सर रखो और दुआ आसमान में कबूल होती है।
वो कहते हैं कि हम हम उन्हें याद नही करते,
अब कैसे समझाएं उन्हे कि हम एक पल को भी उन्हे भुला नहीं करते।
किसी की बद्दुआ की गिरफ्त में हूँ मैं,
मुझे मेरे नसीब की मोहब्बत नहीं मिली।
लोग कहते हैं रोने से कुछ नहीं मिलता,
मेरा मानना है रोने से सुकून मिलता है।
अगर मैं मर गया तेरे वियोग में तो,
गरुण पुराण पढ़ने आओगी न तुम।
आग अपने ही लगाते हैं साहब,
जिंदगी को भी लाश को भी।
वो खयालों से निकलकर मेरे ख्वाबो तक चली आती है,
मै सोने की कोशिश करता रहता हूं मगर नींद कहां आती है।
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