Vishwas Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है विश्वास शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको अच्छा लगेगा और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
किसी को बार-बार विश्वास दिलाना पड़े,
ऐसी मोहब्बत से तो अकेलापन ही ठीक हैl
दो पल की मोहब्बत जिंदगी भर की खुशी ले जाती है,
और तोहफ़े में दे जाती है दुख, तड़प और टूटा विश्वास।
प्यार नाम होता है विश्वास का,
बिना विश्वास सच्चा प्यार नहीं मिलता।
किसी अपने ने ही मुझे सिखाया कि विश्वास नही करना
अपना हो या हो पराया सबसे दूर और बहुत दूर रहना
परिंदों को कैद करने का कोई शौक नहीं है मुझको,
हम तो वो दीवाने है जो साथ उड़ने में विश्वास रखते है।
प्यार और विश्वास दो ऐसे पंछी है,
एक उड़ जाए तो दूसरा भी उड़ जाता है।
काश वो आकर कहे एक दिन मोहब्बत से,
ये बेसब्री कैसी तेरी हूँ तसल्ली रख।
बहक जाने देँ मुझे मेरे यार की मोहब्बत में,
ये वो नशा है जो मेरे सर से कभी उतरता नही।
ये खयाल ये तड़प ये बेचैनी ये उल्फाते,
कितना सब है मेरे पास एक सिवा तेरे।
यूँ तो खुल ही जायेगा राज़ हमारी मोहब्बत का एक दिन,
जो हमे छोड़कर महफ़िल में सबको सलाम करते हो।
जिसे समझा हकीक़त वो तो सपना निकली,
एक चाय है जो अपना निकली।
तुम इस कदर हो मुझ में मौजूद,
मेरे बस में नहीं है मेरा वजूद।
नींद खुली है जबसे आँखें दुःख रही है मेरी,
ना जाने कौन चला है रात भर हमारी पलकों तले।
वो काश अपने बालो का पिन बना ले मुझे,
जुल्फो से जुदा करे तो होठो मे दबा ले मुझे।
अपने प्यार को समय दिया जाता है,
समय देखकर प्यार नहीं किया जाता।
ऐ साक़ी देख कैसे बसता है इश्क़ वजूद में,
सल्तनत मेरी है रग रग में हुकूमत यार की।
ऐ साक़ी देख कैसे बसता है इश्क़ वजूद में,
सल्तनत मेरी है रग रग में हुकूमत यार की।
कुछ रिश्तो का कोई वजुद नहीं होता,
फिर भी वो हमारे ही वजुद की धज्जिया उड़ा देते है।
अच्छा हुआ बड़ी जल्दी बदल गए तुम,
वरना मेरी उम्मीदें बढ़ती ही जा रही थी।
कैसे कहूं कि इस दिल के लिए कितने खास हो तुम,
फासले तो कदमों के हैं पर हर वक्त दिल के पास हो तुम।
विश्वास शायरी
तुम्हारा इश्क़ मेरे लिए हवा जैसा है,
जरा सा कम हो तो सांसे रुकने लगती हैं।
मोहब्बत भी हमने कुछ अजीब ढंग से की,
दौर जिस्मों का था और हम दिल मांग बैठे।
सुकून कुछ तो मिला दिल का माजरा लिख कर,
लिफ़ाफ़ा फाड़ दिया फिर तेरा पता लिख कर।
यार करे नफरत मुझसे मुझे कोई गम नही,
ख्वाइश थी मेरी वो किसी से बात करे नही।
एक गफलत सी बनी रहने दो हर रिश्ते में,
किसी को इतना ना जानो की खुद का वजूद मिटा दो।
वो मेरी मोहब्बत का यकीन दिलाते है,
जो भूल गए है उस बेवफा की याद दिलाते है।
जहां हो तुम्हारी यादों की महक,
टहलना है मुझे उन्हीं गलियारों में।
हुस्न तलब मदहोशीयां क्या क्या लेके आये हो,
फकत दिल ही तो जीतना था आप तो पूरी फौज लेके आये हो।
बताओ इश्क कहा से शुरू करोगे,
चूमोगे मेरे माथे पर या लब चूमोगे।
साल जाने को है आओ कुछ बात कर लें,
दूरियां अच्छी नहीं लगती आओ मुलाकात कर लें।
आप साल बदलते देख रहे हो,
मैंने सालभर लोगों को बदलते देखा है।
बदलता ही गया सब कुछ मेरे लिए,
पहले वक्त फिर वो और अब ये साल भी।
दिसंबर बिखर रहा है जनवरी के स्वागत में,
तुम गर चाय पिलाओ मै तुम्हारे घर आ जाऊं।
तेरी परवाह करना फ़र्ज़ है मेरा,
मोहब्बत का रिश्ता है दिल से निभाऊंगी।
सीखकर गया है वो मोहब्बत मुझसे,
जिससे भी करेगा बेमिसाल करेगा।
Vishwas Shayari
मुझे और कुछ नही बस तेरा प्यर चाहिए,
सवर जाये मेरी ज़िंदगी इतना प्यार दीजिये।
इश्क़ से नशीला कोई नशा नहीं है,
घूँट घूँट पीते हैं कतरा कतरा मरते हैं।
बहुत हुआ छुपना छुपाना खुलेआम प्यार दे दूं क्या,
मुझे बस इश्क है तुमसे ये अखबार में इश्तहार दे दूं क्या।
गुफ्तगू देर तक चली उनसे,
बर्षों बाद आज मेरा इतवार आया।
महफूज़ कर रखा है इस दिल को हमने,
वर्ना इसमे बसने के तलबगार बहुत हैं।
अभी ताज़ा हैं इश्क़ बहुत कसमें खाओगे,
थोड़ा वक़्त बीतने दो देखते हैं कितना निभाऔगे।
तुझ से कुछ और ताल्लुक़ भी ज़रूरी है मेरा,
ये मोहब्बत तो किसी वक़्त भी मर सकती है।
मै वाकिफ़ हुँ चार दिन कि मोहब्बत से,
मै भी किसी कि अजीज रह चुकी हूं।
अव्वल रखा है हर जगह तुम्हे मेरी जान,
तुम तो मुझमें भी मुझसे पहले आती हो।
वो पहली मुलाकात थी और हम दोनों बे-बस,
वो जुल्फें ना समेट सकी और हम खुद को।
इश्क़ मेरे लफ्जों में कुछ यूं दिखने लगा,
वो मुझे पढ़ने लगी और मैं उस पर लिखने लगा।
दुनिया में ऐसी कोई दिलचस्पी नहीं,
जो मेरा ध्यान तुम से हटा सके।
ख़याल-ए-यार मुसलसल है,
जिधर नज़र जाए बस तू ही तू है।
कोहरे में ढका-ढका सा शहर मेरा और,
चाय की चुस्कियों में घुली यादें तुम्हारी।
आप कौन होते हैं हमें इश्क़ सिखाने वाले,
शायर हैं हम जिसे चाहें उसे लैला कर दें।
गुज़र गया पूरा दिन काम काज में,
हमने तेरे वास्ते रात को बचाए रखा है ।
और कम याद आओगी अगले बरस तुम,
अब के कम याद आई हो पिछले बरस से।
कोई उनसा फिर मेरे रू-ब-रू न हुआ,
जो इश्क़ उनसे था वो हू-ब-हू न हुआ।
एक उसे खोने का ही डर था,
और उसे खो करवो डर भी खत्म हो गया।
हमको कौन कौन ना मयस्सर था तेरे बाद मगर,
एक ठोकर के बाद हमने सब से ही तौबा कर ली।