Khamoshi Shayari - खामोशी शायरी - Shayari On Khamoshi

Khamoshi Shayari - खामोशी शायरी: नमस्कार दोस्तो आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका title है - खामोशी शायरी। अगर कोई ख़ामोश है तो इसका मतलब जरूर उसके पीछे कुछ कुछ कारण होता है वो अंदर ही अंदर अपने आप से कुछ सवालों का जवाब मांग रहा होता है। अगर आप सच्चे हो तो आपकी खामोशी आपको बहुत आगे तक लेके जाती है। और अगर आपके मन में चोर है तो आपकी खामोशी आपका विनाश कर देती है।


अगर कभी प्यार में बेवफाई मिल जाए तो उसका अफसोस ना करो बल्कि खुद को इस काबिल बनाओ की उसे अफसोस हो आपको छोड़ के। जिंदगी एक बार ही मिली है तो इसको दिल खोल के जियो चाहे कैसी भी परिस्थिति हो। तो चलिए आज ऐसे ही कुछ Khamoshi Shayari पढ़ते है। हम उम्मीद करते है कि ये पोस्ट आपको अच्छी लगेगी और आप इस पोस्ट कि Shayari On Khamoshi को अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।


खामोशियां तेरी मुझसे बातें करती है,

मेरी हर आह हर दर्द समझती है,

पता है मजबूर है तू भी और मै भी,

फिर भी आंखें तेरे दीदार को तरसती है।


Khamoshi Shayari


कब तक बहाने बनता रहू की आंख में कुछ चला गया है,

लो आज सबके सामने कहता हूं की,

तुझे याद करके रो रहा हूं।


करनी है खुदा से गुजारिश,

तेरी दोस्ती के सिवा कोई बंदगी न मिले,

हर जनम में मिले दोस्त तेरे जैसा,

या फिर कभी जिंदगी न मिले।


Khamoshi Shayari In Hindi - खामोशियां ख़ामोश होती है


कौन कहता है कि खामोशियां ख़ामोश होती है,

खामोशियां को खामोशी से सुनो,

ये वो कहती है,

जिनकी तलाश हमें लफ्जो में होती है।


Khamoshi Shayari

बंद आंखों से भी इंतेज़ार की उम्मीद ना टूटेगी,
ये दूरी अब तो मिटाने से भी ना मिटेगी,
रूह भी घायल है और दिल भी है दर्द से भरा हुआ,
पर लबो की ये खामोशियां ना अब टूटेगी।

खामोशी राहों में तेरा साथ चाहिए,

तनहा है मेरा हाथ तेरा हाथ चाहिए,

मुझको मेरे मुक्कदर पर इतना यकीन तो है,

तुझको भी मेरे लफ्ज़ मेरी बात बात चाहिए।


Shayari On Khamoshi - खामोशी का जुबान


आपकी मुस्कान हमारी कमजोरी है,

कह ना पाना हमारी मजबूरी है,

आप क्यों नहीं समझते इस खामोशी को,

क्या खामोशी को भी ज़ुबान देना जरूरी है।


Khamoshi Shayari


एक रात रब ने मेरे दिल से पूछा,

तू दोस्ती में इतना क्यूँ खोया है?

दिल बोला दोस्तों ने ही दी हैं सारी खुशियाँ,

वरना प्यार करके तो दिल हमेशा रोया है।


जो निकाल रहे, हर वक़्त,

मुझमें कमिया हज़ार,

काश, कभी निभा के देखे,

वो मेरा किरदार।


सिर्फ नजदीकियों से मोहब्बत हुआ नहीं करती,

फासले जो दिलों हो तो फिर चाहत हुआ नहीं करती,

अगर नाराज़ हो खफा हो तो शिकायत करो हमसे,

ख़ामोश रहने से दिलों कि दूरियां मिटा नहीं करती।


खामोशी शायरी - तुम छोड़ मुझे हमसफ़र


तेरी दर्द ए जुदाई क्यु सताती है मुझे,

तेरी ये खामोशी क्युं तड़पती है मुझे,

जब चले गए हो तुम छोड़ मुझे हमसफ़र,

तो फिर तेरी यादे क्यों रुलाती है मुझे।


Khamoshi Shayari

मोहब्बतें मेे नुमाइश की ज़रूरत नुमाइश की जरूरत नहीं होती,

ये तो वो जज्बा है जिस मेे खामोशी भी गुनगुनाती है।  


बड़े ही पक्के होते हैं

सच्ची दोस्ती के रंग,

ज़िंदगी के धूप में भी

उड़ा नहीं करते।


Khamoshi Shayari - ज़माने ने रहने ना दिया


रहना चाहते थे साथ उनके,

पर इस ज़माने ने रहने ना दिया,

कभी वक़्त की खामोशी मेे ख़ामोश रहे,

तो कभी उनकी खामोशी ने कुछ कहने ना दिया।


Khamoshi Shayari

खामोशियां तेरी मुझसे बातें करती है,

मेरा हर दर्द और हर आह समझती है,

पता है मजबूर है तू और मै भी,

फिर भी आंखें तेरे दीदार को तरसती है।


तुमको मिल जायेंगे बेहतर मुझसे,

मुझको मिल जायँगे बेहतर तुमसे,

पर कभी - कभी लगता हे,

हम एक दूसरे को मिल जाते तो होता बेहतर सबसे।


Khamoshi Shayari In Hindi - बेचैनियां की दास्तां


चाहतों ने किया मुझ पर ऐसा असर,

जहां देखूं मै देखूं तुझे हमसफ़र,

मेरी खामोशियां मेरी ज़ुबान बन गई,

मेरी बेचैनियां मेरी दास्तां बन गई।


Khamoshi Shayari

खामोशियां सब्र का इम्तिहान बन गई,

मजबूरियां प्यार में इल्जाम बन गई,

वो आए और आकर चले गए,

खुशियां चांद लम्हों कि मेहमान बन गई।


क़ाश एक शायरी कभी

तुम्हारी क़लम से ऐसी भी हो,

जो मेरी हो मुझ पर हो

और बस मेरे लिए हो।


Shayari On Khamoshi - छोड़ तो नहीं दोगे


वो अक्सर मुझसे पूछा करती थी,

तुम मुझे कभी छोड़ कर तो नहीं जाओगे,

काश मैंने भी पूछ लिया होता।


Khamoshi Shayari

ना जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर,

तेरे सामने आने से ज्यादा,

तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है।


मैं अगर बेजुबां हो जाऊं,

तुम मेरी जुबां बन जाना,

मैं अगर रास्ता भटक जाऊं,

तुम मेरी दिशा बन जाना।


खामोशी शायरी - अरमानों का कत्ल


कितने अरमानों का गला दबा दिया हमने,

कौन कहता है हमारे हाथों कोई कत्ल नहीं हुआ।


Khamoshi Shayari

कुछ ज्यादा नही जानता मोहब्बत के बारे मे,

बस तुम्हे देख कर मेरी तलाश खत्म हो गई।


ना भूख है ना प्यास है बस,

जुस्तजू है तुम्हारी,

तुम चाहो या ना चाहो,

तुम्हें चाहना फितरत है हमारी।


Khamoshi Shayari - जंगल की आग


जला हुआ जंगल छुप कर रोता रहा,

लकड़ी उसी की थी उस माचिस की तीली में।


Khamoshi Shayari


अगर मोहब्ब्त किसी से बेहिसाब हो जाए,

तो समझ जाना वो किस्मत में नहीं।


तुम ज़रा हाथ मेरा थाम के देखो तो सही,

लोग जल जाएँगे महिफ़ल में चिरागों की तरह।


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