Judai Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है जुदाई शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको जरूर अच्छी लगेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
किसने बनाया है यें बिछड़ने का रिवाज,
उससे कहो लोग़ मर भी सकते हैं जुदाई में।
मिटा ना पाओगे मेरे निशां दिल से,
मिलने से जुदाई तक बेशुमार हूँ मैं।
सुलझ भी सकता है झगड़ा उससे कहो की अभी,
जुदाई के किसी कागज पर दस्तख़त न करे।
चल खामोशी से अदा रस्म ए जुदाई कर लें
सारी दुनिया को खबर हो यह ज़रूरी तो नहीं
लाएंगे कहां से हम जुदाई का हौसला,
क्यों इस क़दर मेरे करीब आ रहे हो तुम।
कौन भूल पाता है जुदाई का वो दिन,
हर शख्स के पास एक तारीख पुरानी होती है।
उसे हम छोड़ दें लेकिन बस इक छोटी सी उलझन हैं,
सुना है दिल से धड़कन की जुदाई मौत होती है।
किसने बनाया है यें बिछड़ने का रिवाज,
उससे कहो लोग़ मर भी सकते हैं जुदाई में।
क़लम में ज़ोर जितना है जुदाई की बदौलत है,
मिलन के बाद लिखने वाले लिखना छोड़ देते हैं।
ना शौक दीदार का ना फिक्र जुदाई की,
बड़े खुश नसीब है वो लोग जो मोहब्बत नहीं करते।
जुदाई शायरी
मेरा सच्चा था इश्क उसका शौक था इश्क,
बहाना किया जुदाई का उसे तजुर्बा था बेवफाई का।
तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की,
क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की।
मुस्कुराने से भी होता है बयांँ ग़म-ए-जुदाई,
रोने की रसम हो यह जरूरी नहीं।
तेरी जुदाई और ये जुलाई,
दोनों मिलकर जला रहे है।
उसको छोड़ दे लेकिन बस इक छोटी सी उलझन है,
सूना है दिल से धड़कन की जुदाई मौत होती है।
मिटा ना पाओगे मेरे निशां दिल से,
वस्ल से जुदाई तक बेशुमार हूँ मैं।
जहाँ नही तुम वहाँ मेरी मौजूदगी क्या है,
तेरी मोहब्बत से एहसास हुआ कि जुदाई क्या है।
तो क्या सच-मुच जुदाई मुझ से कर ली,
तो ख़ुद अपने को आधा कर लिया क्या।
तेरी मोहब्बत से रिहाई किसे चाहिए,
तु बांध ले बंधन में तुझसे जुदाई किसे चाहिए।
कितने बेदर्द निकले वो आइये बताते हैं,
जाते जाते उन्हींने कहा शायरी बड़ी अच्छी करते हो एक जुदाई वाली सुनाओगे क्या?
हाँ शायद उन बूढ़ी हड्डियों में ताक़त न रही
उन दुवाओं में असर जादुई से है अब भी।
बहोत तक़लीफ़ देती है ये जुदाई जब दोनों वफ़ादार हो रिश्ते में,
गर इतना आसान होता तो लोग महीनों रोया नहीं करते।
कई बार उसका फ़ोन न उठने पर मुझे बैचैनी होनें लगती है,
ये तड़प-ए-जुदाई बहुत नशीली होती है।
मौसम की शरारतें महबूब से जुदाई
फ़िर अल्फ़ाज़ों का ये मेल उफ्फ़ये बेख़ौफ मोहब्बत।
मैं तुमको भूल तो जाऊं मगर एक छोटी सी उलझन है,
सुना है दिल से धड़कन की जुदाई मौत होती है।
सफर-ऐ-मोहब्बत अब खत्म ही समझिये जनाब,
अब उनके पास से जुदाई की महक आने लगी है।
ग़म -ए -जुदाई में राहत-ओ-आराम लाया हूं,
आशिक़ हूं मैं इश्क़-ए-मुलाक़ात लाया हूं।
मिटा ना पाओगें मेरे निशा दिल से,
मिलने से जुदाई तक बेशुमार हुं मै।
जुदा होकर भी जी रहे हैं एक मुद्दत से,
कभी दोनों ही कहते थे जुदाई मार डालेगी।
लाएंगे कहां से हम जुदाई का हौसला,
क्यों इस क़दर मेरे करीब आ रहे है आप।
Judai Shayari in Hindi
जिंदगी का सफ़र अब खत्म ही हुआ समझो,
उनकी बातो से जुदाई की महक आने लगी है।
इश्क़ के सफ़र को तभी ख़त्म समझ लेना,
जब उनकी बातों से जुदाई की महक आने लगे।
धमकियां देते है वो भी जुदाई की,
उफ़ मोहब्बत की ये बदमाशियां।
कौन भूल पाता है जुदाई का दिन,
हर शख्स के पास एक तारीख पुरानी होती है।
सुलझ भी सकता है झगड़ा उससे कहो के अभी,
जुदाई के किसी काग़ज़ पर दस्तख़त ना करे।
दूर जा कर भी मेरी रूह में मौजूद न रह,
तू कभी अपनी जुदाई भी तो सहने दें मुझे।
मरने के तमाम साधन है,
पर मैं तेरी जुदाई से मर जाऊँगा।
तेरी मोहब्बत से रिहाई किसे चाहिए,
तु बांध ले बंधन में तुझसे जुदाई किसे चाहिए।
इश्क़ जब हुआ तो मोहब्बत से बताया सबको,
जुदा हुए तो जुदाई का सबब छुपा रहा हूं मैं।
जुदाई के डर से मैं किसी के क़रीब भी नहीं जाता,
फिर बताओ बिछड़कर तुझसे मैं किसके पास जाता।
जुदाई शायरी
एक लफ़्ज़ मोहब्बत था एक लफ़्ज़ जुदाई था,
एक वो ले गया और एक मुझे दे गया।
जुदाई से ज्यादा जान-लेवा,
मोहब्बत में मोहब्बत की कमी है।
जिंदगी भर के लिए दिल पर निशानी पड़ जाए,
बात ऐसी ना लिखो लिख के मिटानी पड़ जाए।
मेरी कोई भी बात मुकम्मल नहीं तेरे ज़िक्र के बेगैर,
मेरे लिए ये कायनात अधूरी है एक तेरे बेगैर।
ज़िंदगी को कुछ इस तरह ख़ुशनुमा किया जाए,
चलो किसी बेसहारा का सहारा बन कर जिया जाए।
सोया नहीं हूँ मैं बस थोड़ा खो गया हूँ,
क्या था मैं पहले क्या अब हो गया हूँ।
हिफाजत से रखे थे रिस्तो के लिफाफे,
जो आज खोल के देखे तो खाली निकले।
क्यों बनू मैं किसी और के जैसा,
ज़माने मेंजब कोई मुझ सा नहीं।
मैं बुरा कैसे बन गया
दर्द लिखता हूँ किसी को देता तो नहीं।
कितने बदल गये है आज के रिश्तें भी,
चंद मुस्कान के लिये चुटकुले सुनाने पड़ते है।
बंध जाये अगर किसी से रूह का बंधन,
तो इजहार-ए-इश्क़ को अल्फ़ाज़ की जरूरत नहीं होती।
पानी समुन्दर में हो या आँखों में,
गहराई और राज दोनों में होते हैं।
काश तू मेरी आँखों का आँसू बन जाए,
मैं रोना ही छोड़ दूँ तुझे खोने के डर से।
अब आँसू नहीं आते अपने हालात पर,
बस अब तरस आता है अपने आप पर।
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