इश्क़ शायरी: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है इश्क़ की शायरी। हम उम्मीद करते है कि ये पोस्ट आपके दिल को छू जाएगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
जरा सा शुक्रिया तो करने दो इन नाजुक होंठों का,
सुना हैं बहुत तारीफ करते हैं हमेशा मेरे बारे में।
ढूँढ़ लेना खुद को मेरे अल्फाज़ों की बारिश में,
सरेआम जो तेरा नाम लिखा तो आम हो जाओगे।
गुज़र चुका जो वक़्त उसको याद करना क्या,
अब बहुत हुआ ऐ इश्क़ तेरे लिए रोज़ रोज़ मरना क्या।
भुला देंगे तुझे जरा सबर तो कीजिये,
आपकी तरहा मतलबी होने में थोडा वक्त लगेगा।
रोज़ आता है मेरे दिल को तसल्ली देने,
ख्याल ए यार को मेरा खयाल कितना है।
मुझे छोड़ तो दिया तुमने लेकिन कभी ये सोचा है,
कि अब जब झूठ बोलोगे तो कसम किसकी खाओगे।
छुपती फिरेंगी शर्म के मारे उदासियां,
बस इक मेरे महबूब के हंसने की देर है।
आ जाएगा जिस रोज़ अपने दिल को समझाना मुझे,
तो आपकी ये बेरुखी किस काम की रह जाएगी।
जहां रुक जाऊं वहीं मिल जाना तुम,
इस भीड़ में मुझे कोई अपना भी चाहिए
के क़रीब-क़रीब ख़ुद को आज़माया है हमने,
तुम्हीं से दूर रहकर तुम्हीं को चाहा है हमने।
जिंदगी उसके साथ बिताओ जिसके साथ,
बेखौफ होकर एक छोटे बच्चे की तरह हंस सको।
एक दिन सही वक़्त निकाल कर मैं,
अपनी ख्वाईशो को नोच खाऊंगा।
देखो अगर हाथ पकड़ना है तो उम्र भर के लिए पकड़ना
क्या है ना की मुझे जिंदगी बितानी है सड़क पार नहीं करनी है।
कोई तुम्हें सुन ले तो इसमें तुम्हारे बोलने का गौरव नहीं है,
सुन लेने की उसकी इच्छा का है।
खुद को इतना भी दिलासा मत दीजिए,
कोई इतना भी व्यस्त नहीं होता।
चुप्पी की आंखें अलग अलग होती हैं,
वो देखती कम और सोचती ज्यादा हैं।
मगर अच्छा तो ये होता कि हम एक साथ रहते,
भरी रहती तेरे कपड़ों से अलमारी हमारी।
मुझसे नही कटती अब ये उदास रातें,
कल सूरज से कहूंगा मुझे साथ लेकर डूबे।
इश्क में जल्दबाजी ना करे,
महबूब अभी और सस्ते होंगे।
छोटी छोटी बातों पे खुश हो जाती हैं वो,
जैसे उनकी एक अच्छी सी फोटो खींच दो।
उसी को जीने का हक है इस जमाने में,
जो इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए।
अक्सर सबसे क़ाबिल लोग स्वयं को
उन लोगों को प्यार करने से नहीं रोक पाते जो उन्हें बर्बाद कर देते हैं।
पानी नहीं छोड़ता पेड़ों पर कोई निशान भीतर बैठा रहता है,
प्राण बनकर चुपचाप प्यार करने का एक तरीका यह भी है।
जो दुख तुम भोग रहे हो,
वो तुम्हारा अपना पैदा किया हुआ है।
खुदा करे के इन्हें मोहब्बत ना हो किसी से,
ये हंसती खेलती लड़कियां हमेशा यूंही ख़ुश रहें।
इश्क़ की शायरी
कुछ ना काम लिया पिछले तजुर्बे से हमने,
फिर किया नया इश्क़ फिर की नई गलतियां।
चेहरे को माँजने के लिए सैकड़ो सौंदर्य प्रसाधन है,
हृदय के लिए बस एक मात्र प्रेम है।
वजह तलाश करो अपने हार जाने की
किसी की जीत पर रोने से कुछ नहीं होगा।
जिसे अपने घर सूखी रोटियां भी मयस्सर नहीं,
वह भी बारात में जाकर तानाशाह बन बैठता है।
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है।
उसे मालूम था मैं उससे लिपट कर रो दूंगा,
सो आख़िरी अलविदा फोन पर कहा उसने।
सब हादसे ही है,
किसी का आना भी, किसी का जाना भी।
कुछ आरजू ए इश्क तो हमें भी बयां कर लेने दो,
इज़हार ना सही इक तरफा प्यार ही कर लेने दो।
साथ बारिश में लिए फिरते हो उस को अंजुम,
तुम ने इस शहर में क्या आग लगानी है कोई।
ज़िंदगी है अपने क़ब्ज़े में न अपने बस में मौत,
आदमी मजबूर है और किस क़दर मजबूर है।
नहीं बस्ती किसी और की सूरत अब इन आँखों में,
काश की हमने तुझे इतने गौर से ना देखा होता।
भूल के मोहब्बत के जंगल मे ना जाना,
यहाँ साँप नही इंसान डसते है।
बंद आलमारी में किताबों ने खुदकुशी कर ली,
और सुसाइड नोट में कातिल का नाम मोबाइल लिख दिया।
कब छोडेंगी तेरी यादें मुझे मैं हर कहीं तुमको ही पाता हूँ
गम बहुत है मेरे पास से बेचना चाहता हूं।
फिर तुझे कोई और गवारा कैसे हुआ,
मुझे तो नहीं हुआ तुझे ये इश्क़ दोबारा कैसे हुआ।
चाय जैसी उबल रही है ज़िंदगी मगर,
हम भी हर घूँट का आनंद शौक़ से लेंगे।
मेरे दिल की तन्हाई हो जड़ों तले उखाड़ देंगे,
दोस्त ये मेरे दोस्त हर बला को टाल देंगे।
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है,
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।
हम अपनों से परखे गए हैं कुछ गैरों की तरह,
हर कोई बदलता ही गया हमें शहरों की तरह।
मेरे जिस्म से निकलने लगी है अब उसकी ही खुश्बू,
शायद कल ख्वाब में उसने मुझे सीने से लगा लिया होगा
दिल साफ़ करके मुलाक़ात की आदत डालो,
धूल हटती है तो आईने भी चमक उठते हैं।
हम ऐसे लोग जो सिर्फ दिमाग में रखे जाएंगे,
हमारे वास्ते कोई दिल बना ही नहीं।
प्यार मोहब्बत आशिकी ये बस अल्फाज थे,
मगर जब तुम मिले तब इन अल्फाजो को मायने मिले।
कभी तो थोड़ा रहम खाया करो जानता हूं,
बुरा हूं पर माफ तो कर दिया कर।
आप अल्फाज में मोहब्बत लिखते है,
और हम अल्फाज में हर किसी की औकात।
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