Waqt shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है वक्त शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको अच्छी लगेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
वक्त का खास होना ज़रूरी नहीं,
खास के लिए वक्त होना ज़रूरी है।
वक्त दीजिए अपने रिश्तों को,
याद रखना, ताजमहल दुनियां ने देखा है
पर मुमताज़ ने नहीं।
हम ख़ुद कभी बेचा करते दर्द ए दिल की दवा,
आज वक्त हमें हमारी ही दुकान पर ले आया।
सिखा दिया वक्त ने मुझे ,
अपनों पे भी शक करना,
वरना फितरत थी गैरों पे भरोसा करने की।
मैं कभी वक्त पर तुमसे मिलने नहीं आऊंगी,
मुझे रिश्ते में औपचारिकताएं पसंद नहीं।
Bura Waqt Shayari in Hindi
थोड़ी मोहब्बत तो उसे भी हुई होगी मुझसे,
इतना वक्त सिर्फ दिल तोड़ने के लिए कौन बरबाद करता है।
दुनिया को हर वक्त ख़ुशी चाहिए,
और मुझे हर ख़ुशी में तु चाहिए।
बदल जाते हैं वो लोग वक्त की तरह,
जिन्हें हद से ज्यादा वक्त दिया जाए।
अब इस से बढ़कर गुनाह ए आशिक़ी क्या होगा,
रिहाई का वक्त था और मैं पिंजरे से मोहब्बत कर चुकीं थी।
बेवजह बेवफाओं को याद किया है,
ग़लत लोगो पे बहुत वक्त बरबाद किया है।
Bure Waqt ki Shayari
पौधे में पानी की जो अहमियत है,
वही प्यार में वक्त की है।
अजमाइशों में वक्त को यूं जाया ना कीजिए,
जहर हैं हम आप दूर से ही किनारा कीजिए।
जो चीज़ वक्त पर ना मिले वो बाद में,
मिले या ना मिलेकोई फर्क नहीं पड़ता।
जब वक्त कहीं और नहीं गुजरता उसका,
मेहरबान हम पर हो जाता है वो।
हर वक्त मेरी ज़रूरत एक सी नहीं होती,
कभी तुझे सीने से लगाने को जी चाहता है,
और कभी सीने से लग जाने को।
Waqt Shayari 2 Lines
दुआएं रद्द नहीं होती,
बस बेहतरीन वक्त पे कबूल होती हैं।
माना की दूरियां कुछ बढ़ सी गई हैं,
लेकिन तेरे हिस्से का वक्त आज भी तन्हा ही गुजरता है।
और फ़िर वो वक्त भी आया,
जब हमें कोई रास नहीं आया।
ज़रूरी तो नहीं आग से ही जला जाए,
हमें तो जला देती हैं यादें बीते वक्त की।
रिश्ता बनाया था जिन्हें यार बोलकर,
वो वक्त के साथ परिवार बन गए हैं।
Waqt par Shayari
हर वक्त दिल पे हमला करते रहते हो,
जी में आता है तुम्हारा नाम जानलेवा रख दूं।
ये तूने कैसा साल बना डाला ए खुदा,
एक वक्त है जो गुजरता नहीं बस लोग गुज़रे जाते हैं।
हमें वक्त भी नहीं दिया गया,
और हम ज़िन्दगी दे रहे थे।
जाने कब होगी मुलाक़ात हमारी,
वक्त कम है और बातें ढेर सारी।
नजदीक उनके रहो
जो तुम्हारे बुरे वक्त में
तुम्हारे करीब थे।
Bura Waqt Shayari
वक्त वक्त की मोहब्बत वक्त वक्त की रुसवाईयां,
कभी पंखे सगे हो जाते हैं तो कभी रजाईयां।
मेरा हाथ थामते वक्त हाथ कांपते है उसके,
छूने से पहले ही बयां कर देता है उसका इश्क रूह वाला है।
वक्त उसके साथ बिताओ,
जिसके साथ वक्त का पता ना चले।
तुम मिले भी तो ऐसे वक्त पर,
जब बिछड़ने का वक्त हो गया।
एहसान तुम्हारा बेबसी हमारी,
साल के आखिरी दिन उसने दिया वक्त हमें,
अब तो ये साल कई साल नहीं गुजरेगा।
Waqt Shayari In Hindi
मैं मोहब्बत से शायद इसलिए बचा रहा,
दस जिम्मेदारियों से मैं हर वक्त घिरा रहा।
तुम दिल से और वक्त हाथ से
निकला ही जारा है।
वक्त वक्त की बात है साहब,
कल सुबह जो रंग थे अब वो दाग़ हो गए।
अब तुम्हारी याद भी जरा कम आती है,
कुछ आदतें वक्त के साथ सुधर जाती हैं।
दूसरों के वक्त से बचा थोड़ा सा वक्त,
मुझपर ना जाया कर।
Waqt Shayari
कदर ना करने पर ऊपर वाला छीन ही लेता है,
जनाब वक्त भी और शख्स भी।
ये जो तुम बुरे वक्त में हाथ छोड़ देते हो ना,
अच्छे वक्त में गले मत लगाना।
सारे जमाने में बंट गया वक्त उनका,
हमारे हिस्से में उनके बहाने आए।
अब धीरे धीरे यकीन हो चला है उस जुमले पर,
कि एक वक्त के बाद हम वही चाहने लगते हैं जो बेशर्त हमें मिल सकता है।
हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी,
हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया।
वक्त शायरी
जल्दी उठ जाते ग़र घुटनों के बल गिरे होते,
नजरों में गिरे हो उठने में वक्त लगेगा।
कौन कहता है वक्त बहुत तेज है,
कभी किसी का इंतजार करके देखो।
वक्त इशारा देता रहा हम इत्तेफाक़ समझते रहे,
बस यु ही धोखे खाते रहे और इस्तेमाल होते रहे।
कुछ सवालो के जवाब वक़्त देता है और,
जो जवाब वक़्त देता है वो लाजवाब देता है।
वक्त की बेरहमी ही होगी जो कोई मुझसे अलग हो जाएं,
वरना जान लगा देते हैं हम लेकिन जाने नहीं देता।
वक्त शायरी हिंदी में
वक़्त का सितम तो देखिए,
खुद गुज़र जाता है हमे वही छोड़ कर।
वक्त ऐसा भी ना दिया कर की मुझे भीख लगे,
बाकी उसके अलावा तेरी मर्जी जो तुझे ठीक लगे।
कितना लड़ूँ आख़िर मैं भी इक इंसान हूँ,
वक़्त थोड़ा बुरा है इसलिए परेशान हूँ।
बदल जाती हैं ज़िन्दगी की सचाई उस वक़्त,
जब कोई तुम्हारा तुम्हारे सामने तुम्हारा नहीं होता।
वक्त ऐसा भी ना दिया कर की मुझे भीख लगे,
बाकी उसके अलावा तेरी मर्जी जो तुझे ठीक लगे।
Waqt shayari Images
ए ज़िन्दगी तेरा तो अलग की फसाना है,
वक़्त पे कोई साथ नही और जनाजे पे जमाना है।
यूं तो मशरूफ है हम भी अपनी जिंदगानी में,
मगर तुम्हारा जिक्र होते हो वक्त ना जाने कैसे बढ़ जाता है।
मेरे पास वक्त भी था मौसम भी था और दस्तूर भी था,
पर छुआ नहीं उसे फिर भी मेरी नहीं हुई।
वक़्त अच्छा भी आएगा नासिर
ग़म न कर ज़िंदगी पड़ी है अभी
मुझसे इश्क करना बस वक्त जा़या है,
मैं बस लकिर हुं किसी की तकदीर नही।
Time shayari
एक वक़्त था जब हम भी,
वक़्त पर सो जाया करते थे।
रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी,
देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है।
बे- इख्तियार आँखों से आँसु छलक पड़े,
कल रात अपने आप से जिस वक्त हम मिले।
बुरा वक़्त भी कमाल का होता है,
जी जी करने वाले तु तु करने लगते हैं।
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