Dushmani Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फ़िर से हाजिर हैं एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है दुश्मनी शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको जरूर पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
दुश्मनी उसकी तबियत में रची है मुर्शीद
कोई चिंगारी जहाँ देखी हवा दी उसने।
क्यों मेरे चैन ओ सुकून के दुश्मन बन गए,
दुनिया बड़ी हसीं है किसी और से दिल लगा लेते।
जान जब प्यारी थी तब दुश्मन बहुत थे,
अब मरने का शौक है तो कोई कातिल नहीं मिलता।
दुश्मन-ए-जाँ है मगर जान से प्यारा भी है,
ऐसा किसी शहर में इक शख़्स हमारा भी है।
तुम होश में भी हमें दुश्मन मान बैठे हो,
बेख्याली मे भी तुम्हारी शनासाई याद रहती है हमको।
दुश्मनों को भी पसंद है मेरे लड़नें का तरीका,
पता तो उन्हें भी है कि मैं दिलदार हूँ गद्दार नहीं।
गली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूं,
नए मकान में खिड़की नहीं बनाऊंगा।
मै दुश्मनों से अगर जंग जीत भी जाऊं,
तो उनकी औरतें कैदी नहीं बनाऊंगा।
2 Line Shayari on Dushmani
खुदा ने किस्मत में चंद साँसे लिखी थी,
दुश्मनो ने उसमे भी जहर घोल दिया।
आहिस्ता-आहिस्ता जिंदगी में लोग बदल जाते हैं,
जो लोग कल तक उन्हें दुश्मन कहते थे आज उनके साथ नज़र आते हैं।
तन्हाई हो या महफ़िल याद आते हो,
रात की ठंडी हवाओं सा छू जाते हो,
मोहब्बत इतनी बढ़ गयी है तुमसे,
दुश्मन की गोली में भी तुम मुस्कुराते हो।
दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद,
वक़्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते है।
मेरी गली से गुज़रते हैं छुपा के खंजर,
रु-ब-रु होने पर सलाम किया करते हैं।
तुम निभाते रहो दुश्मनी हमसे हम मोहब्बत की बात करेंगे,
पढ़े लिखे लोग है जनाब कई रास्ते आते है हमे बरबाद करने के।
दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है,
दोस्तों ने भी क्या कमी की है।
हो यदि दुश्मन तो सामने से बार करता है,
लेकिन अजनबी अपना बन कर मीठा बोल कर कत्ल करता है।
दुश्मनी शायरी
दुश्मनी हो जाती है मुफ़्त में सैकड़ों से साहब,
इंसान का सीधा होना भी एक गुनाह है।
कोई दुश्मनी नही ज़िन्दगी से मेरी,
बस ज़िद्द है तेरे साथ जीना है।
हमारे दिल की मत पूछो साहब बड़ी मुश्किल में रहता है,
हमारी जान का दुश्मन हमारे दिल मे रहता है।
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे,
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों।
बहुत गौर से देखने पर जिंदगी को जाना मैंने,
दिल जैसा दुश्मन जमाने में नहीं मिलता।
जो दिल के करीब थे वो दुश्मन हो गए,
जमाने में हुए चर्चे जबसे हम मशहूर हो गए।
सच के चेहरे में यहाँ झूठ के फसाने देखे,
दुश्मनों को जब गौर से देखा उनमे कई दोस्त पुराने देखे।
इलाही क्यूँ नहीं उठती क़यामत माजरा क्या है,
हमारे सामने पहलू में वो दुश्मन के बैठे हैं।
मतलब की दुनिया थी फरेब का जमाना था,
दिल मे दुश्मनी थी और दोस्ती का बहाना था।
सौ दुश्मन बनाए हमने किसी ने कुछ नहीं कहा,
एक को हमसफर क्या बनाया सौ ऊँगली उठ गई।
इतनी चाहत से न देखा कीजिए महफ़िल में आप,
शहर वालों से हमारी दुशमनी बढ़ जायेगी।
बेवक्त बेवजह बेहिसाब मुस्कुरा देती हूं,
आधे दुश्मनों को तो यूं ही हरा देती हूं।
तारीफ़ की चाहत तो नाकामों की फ़ितरत है,
काबिल के तो दुश्मन भी कायल होते हैं।
उफ़ ये हसरते उफ़ ये हकीकतें,
दोनों में दुश्मनी पुरानी लगती है।
एक नाम क्या लिखा तेरा साहिल की रेत पर,
ता उम्र फिर हवा से मेरी दुश्मनी रही।
मेरी दोस्ती का फायदा उठा लेना क्यूंकि,
मेरी दुश्मनी का नुकसान सह नही पाओगे ।
मेरी खामोशी का फायदा उठा रहे हो,
मेरी दुश्मनी का नुकसान तुम सह नही पाओगे।
तुम हिने चोट दी मरहम भी तुम बन गए,
तुम्हारी दुश्मनी में मोहब्बत क्यों महकने लग जाए।
हम अपना इंतज़ार संभाल लेंगे तुम आ जाओ तो सही,
हम ज़माने से दुश्मनी भी निभा लेंगे तुम खुद को मेरा बताओ तो सही।
दुश्मन को जलाना और दोस्त के लिए,
जान की बाजी लगाना फितरत है हमारी
दुश्मन के सितम का खौफ नहीं हमको
हम तो दोस्तों के रूठ जाने से डरते हैं
दुश्मन भी दुआ देते है मेरी फ़ितरत ऐसी है,
और मेरे अपने दगा देते है मेरी किश्मत ऐसी है।
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