Pyar me Dhoka Shayari: नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है प्यार में धोखा शायरी। हम उम्मीद करते है की ये पोस्ट आपको जरूर पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।
उसको मेरी बाते थोड़ी तकलीफ देती है,
कुछ यहि सब हमे उससे दूर करती है।
देख कहीं उसका दिल ना दुखे,
बस इसलिए उससे दूर हम रहते।
सब कुछ तो कर दिया उसके नाम
आंसू दिल यादे सब जगह उसका ही नाम
थोड़ा खुद को बदल लिया हमने,
उसके कहे मुताबिक चल दिया हमने।
खुदगर्ज बहुत हू मैं,
तेरे बाद किसी और को देखना जरूरी नहीं लगता।
मेरी आदत मेरी मोहब्बत मेरी गुरूर थी वो,
वो जैसी भी थी मेरे चेहरे की नूर थी वो।
थोड़े दिल के कमजोर निकले हम,
तेरे मामले मे फकीर निकले हम।
सब कुछ दिया बस अपना बताना भूल गए,
इस दिल को तेरी जरूरत कितनी है ये जताना भूल गये।
टूट जाते हैं हर वो रिश्ते,
जहाँ निभाया सिर्फ एक तरफ से जाए।
मिल नहीं पाता तो क्या हुआ,
मोहब्बत तो तुमसे फिर भी बेहिसाब करता हूं।
मत बताना के बिछड़ जाएं तो क्या होता है,
नई नस्लों को नए ख्वाब सजाने देना।
तीर अपने ना आज़माएँ आप,
मैं किसी और का निशाना हूँ।
तुमने ही सवार किया था मुझे,मोहब्बत की कश्ती पर,
अब नजरे ना चुराओ मुझे डूबता हुआ देखकर।
वो ना आए नज़र तो लगता है,
मेरी आँखे फ़िजूल हो जैसे।
तुम्हें दे दिया है कब्जा दिल का,
फुर्सत हो तो रजिस्ट्री करा लेना।
तुम क्या रह जाओगे मेरे चले जाने के बाद,
तुम्हारे तो नाम में भी मेरे चार हर्फ़ आते हैं।
मुझे कभी लिखना नहीं आया मैंने बस तुम्हें उकेरा है,
इश्क़ के जज़्बातों से प्रेम के पन्नों पर,मोहब्बत की क़लम से।
इंसानियत वहा दम तोड़ देती है जहाँ किसी की मजबूरी, आप के लिए तमाशा बन जाती है।
बेशुमार दुआओं के साथ रुख़्सत किया उसे,
जिसे बे-पनाह मोहब्बतों से पाया था कभी ।
हम किसी और के हो जाएं तो हैरत कैसी,
तुमने जो जख्म दिए हैं उन्हें भरना भी तो है।
Pyar Me Dhoka Shayari image
हम अगर उसकी तस्वीर बनाने लग जाएं,
सिर्फ़ उसकी आंखों पे कई ज़माने लग जाएं।
सब आते है खैरियत पूछने,
तुम आ जाओ तो ये नौबत ही न आए।
कुछ तो सर्द सुबह का कोहरा कुछ तेरी यादों की धुंध,
गर्म चाय की कुछ चुस्कियाँ और ख़यालों में ढेर सारी तुम।
हासिल और ला-हासिल के दायरों में सभी घूम रहे हैं,
हासिल की ना-कद्री और ला-हासिल की हसरत।
कैसे भूल गए हो मोहब्बत के वो अफ़साने,
क्यों, तुम मुझसे रूठ गए हो खुदा जाने।
अब इन निगाहों मे कोई और शख्स नहीं है गवारा,
अब मोहब्बत भी तुमसे और सजदा भी तुम्हारा।
कहाँ कहाँ से रूख्सत करोगे तुम मुझको,
छिपा हुआ हूँ मैं तुम्हारी ही दास्तानों मे।
हम तो क़ायल हैं लगातार तुम्हें देखने के,
इश्क़ होता है तो हो जाये हमें उससे क्या।
बस मुरादों में हमें शुमार रखिए,
हम हक़ नहीं जताएंगे ऐतबार रखिए।
कभी आहट कभी खुश्बू कभी नूर से आ जाती है,
तेरे आने की खबर हमें दूर दूर से आ जाती है।
इक साल बीत गया और अब इक साल है आने को,
लगता है अब ये ज़िन्दगी लग जाएगी उसे पाने को।
अफसोस करने वालों की गिनती नहीं थम रही,
जब से सुना है मैंने कभी तुम्हें चाहा था।
लकीरें खिंच के अक्सर, यूं ही मिट्टी पर बैठ जाता हूं मैं,
ये उसका मकाँ था यहां वो खड़ी थी यहां से मैं गुजरा।
हम वक्त गुजारने के लिए दोस्त नहीं रखते,
दोस्तों के साथ रहने के लिए वक्त रखते हैं।
वो छूटा है मुझसे मेरी रूह तक मुझ में समा कर,
उसे पाने वाले तुझे मेरा अजीज हिस्सा मुबारक।
जब सुनाई जाएगी फांसी तुझे बेवा करने के इल्जाम में,
तब कहूंगा मैं जायज है कत्ल हर जान लेने वाले का।
इस भीड़ में कभी होती है जब भी बात नजरों से,
कभी वो पलके झुकाते हैं, कभी थोड़ा मुस्कुरातें है।
अब जिंदगी में इश्क से ज्यादा सुकून जरूरी है,
बस तू वहां ठीक है और मैं यहां ठीक हूं।
कितना मजा आए मैं करूं शिकवा कयामत के दिन,
और वो मिन्नतों से कहें चुप रहो यार खुदा के लिए।
तेरी वो तस्वीर तो दीवार से हटा दी गई है मगर,
नजरे मेरी बार-बार वही जाकर ठहर जाती है।
मैं चाहता हूं उसकी मोहब्बत मेरा वो हाल करें,
के ख्वाब में भी कभी मेरी दोबारा मजाल ना हो।
जानता था अफसोस होगा सुबह उठते ही हर साल की तरह,
फिर भी नाम लिखके तेरा तकिए तले दबा कर सो गया।
अच्छा सुनो चांद लाना मेरे बस में नहीं,
मैं बस खुद को लाया हूं कुबूल कीजिए।
उसने फिर जानबूझकर नजरें फिरा ली हमसे,
वो भी चाहती थी मैं जी भर के देख लूं उसको।
जिस रोज हकीकत से वाकिफ हुआ रोया बहुत था,
अब हाल यूं है कि होश में रहता हूं सब बेख्याली छोड़ दी।
खून-ऐ-हिना से सजा रखी है जिसने अपनी हथेली,
दावा है उसका कि उसने मेरी जान तो नहीं ली।
चल वक़्त खत्म तेरी मोहब्बत का,
अब मजे ले मेरी नफरत का।
ये साल भी उदासियां देकर चला गया,
तुम से मिले बग़ैर दिसंबर चला गया।
तेरा रास्ता देखते देखते
कैलेंडर बदलने का दिन आ गया।
नज़रों से ना देखो हमें तुम में हम छुप जायेंगे,
अपने दिल पर हाथ रखो तुम हम वही तुम्हें मिल जायेंगे।
जाने कब उतरेगा कर्ज उसकी मोहब्बत का,
हर रोज आँसुओं से इश्क की किस्त भरता हूँ।